CORONA को हराया: डेढ़ लाख संक्रमित लोगों में 76 हजार हो चुके बिल्कुल स्वस्थ, घर लौटे

कोरोना संक्रमण की खबरों ने दुनियाभर के लोगों को भयभीत कर रखा है. इस बीमारी से भयभीत होने के बजाए अलर्ट रहने की ज्यादा जरूरत है. पूरी दुनिया में करीब 76 हजार लोग इससे उबर चुके हैं.

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर भारत सहित दुनिया के सभी प्रभावित देशों की जंग जारी है. चीन ने इस रोग का चरम देखने बाद अब घोषणा कर दी है कि नए रोगियो की संख्या में तेजी से कमी आई है. वहीं सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान जैसे देशों ने अपने यहां इसे बढ़ने से रोक दिया है. चीन के बाद इस रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित इटली और ईरान हैं. कोरोना के खिलाफ दुनियाभर के देश एक साथ आ रहे हैं और एक-दूसरे को मदद पहुंचा रहे हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी के साथ बढ़ा है. लोगों में इससे भय है. लेकिन इसके साथ एक पॉजिटिव खबर भी जुड़ी हुई है. कोरोना पर ताजा आंकड़े दुनिया को उपलब्ध करा रही वेबसाइट worldometers.info के मुताबिक अब तक इस बीमारी से संक्रमण के कुल 160,564 मामले सामने आए हैं. इससे 5,962 लोगों की इससे मौत हुई है. लेकिन इस बीमारी से लड़कर स्वस्थ हो जाने वालों का प्रतिशत भी कम नहीं है.

पूरी दुनिया में 75,959 लोग इस बीमारी से लड़कर बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं और अपने घर वापस जा चुके हैं. अगर मौजूदा संक्रमित केसों की बात की जाए तो दुनियाभर में अब भी 78,643 लोग इलाज करा रहे हैं. अगर सकारात्मक तौर पर देखा जाए तो करीब 72,989 लोग यानी करीब 93 प्रतिशत को मामूली परेशानियां हो रही हैं. यानी इन्हें आइसोलेट तो किया गया है लेकिन इलाज के लिए हल्की-फुल्की दवाओं की ही आवश्यकता पड़ रही है. वहीं 5,654 प्रतिशत लोग ही गंभीर रूप से बीमार हैं. इनमें ज्यादातर उम्रदराज या ऐसे लोग हैं जिन्हें पहले से ही अन्य बीमारियों ने जकड़ रखा था.

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कोरोना वायरस की प्रतीकात्मक फोटो.

भारत में मिली बड़ी कामयाबी
भारतीय वैज्ञानिकों को कोरोना से लड़ाई में बड़ी कामयाबी मिली है. वैज्ञानिकों ने भारत में लगातार सामने आ रहे संक्रमित मरीजों में स्ट्रेन की पहचान कर ली है. यही नहीं, पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के वैज्ञानिकों ने उसे अलग करने में भी सफलता हासिल कर ली है. वैज्ञानिकों को मिली इस कामयाबी के बाद कोरोना वायरस की मेडिकल टेस्‍ट किट बनाने, दवा का पता लगाने और वैक्‍सीन पर रिसर्च कर जल्‍द तैयार करने में बड़ी मदद मिलेगी.

इसके अलावा स्‍ट्रेन के अलग होने से अब मानव शरीर के बाहर भी इसकी दवाइयों का परीक्षण किया जा सकता है. कोरोना वायरस स्‍ट्रेन को आइसोलेट करने वाला भारत पांचवा देश बन गया है. भारत से पहले चीन, जापान, थाइलैंड और अमेरिका ही वायरस को आइसोलेट करने में कामयाब हो पाए हैं. आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने जयपुर और आगरा के संक्रमित मरीजों में स्ट्रेन को आइसोलेट करने के बाद उसकी वुहान के स्ट्रेन से जांच की है. भारतीय मरीजों में मिला स्ट्रेन वुहान जैसा ही है. दोनों में 99.98 फीसदी समानता है.

भारत सरकार के प्रयासों की तारीफ
अगर भारत सरकार के प्रयासों की बात की जाए तो विदेश से आए लोग भी एयरपोर्ट पर सरकार की तरफ से की गई व्यवस्था से काफी संतुष्ठ नजर आए. न्यूजर्सी के डैलस से लौटे ऐसे ही एक शख्स ने बताया कि विमान से उतरते ही स्वास्थ्य अधिकारी हर यात्री की जांच कर रहे हैं. इसके बाद ही आव्रजन अधिकारी उनकी जांच कर रहे हैं.

इसके बाद यात्री बैगेज बेल्ट के पास जाते हैं, जिसकी भी पूरी घेराबंदी की गई है. यहां ऐसी व्यवस्था है कि लोग सिर्फ अपने ही बैगेज बेल्ट तक जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि यह इतनी अच्छी व्यवस्था की गई थी कि बिना वक्त गंवाए जल्द से जल्द वहां से निकल सकते हैं. उन्होंने बताया कि वह हफ्ते भर पहले ही डैलस, न्यू जर्सी और फ्रैकफर्ट एयरपोर्ट से भी गुजरे थे, जहां पूरी तरह अव्यवस्था का माहौल था.

सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान की एक्सपर्ट्स ने की तारीफ
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक लेख में महामारी विशेषज्ञ बेंजामिन जे काउलिंग और वेन लिम ने बताया कि किस तरह इन देशों ने कोरोना पर काबू पाया है. इन देशों ने अपने यहां कोरोना को लेकर कोई बहुत व्यापक और त्वरित उपाय नहीं किए जैसे कि चीन ने किए, लेकिन इन्होंने शुरुआत से सावधानी बरती. हालांकि चीन के प्रयासों की वैश्विक स्तर पर तारीफ भी हुई, लेकिन व्यक्तिगत अधिकारों से संदर्भ में आलोचनाएं भी सामने आईं. अगर हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर और ताइवान की बात की जाए तो ये वो देश हैं जो दूसरे देशों के लिए कोरोना से लड़ाई में सबसे शानदार उदाहरण हैं.

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