नई दिल्ली: भारतीय रेलवे को अपनी पहली कमांडो फोर्स मिली है जिसका नाम कोरास है. कोरास का मतलब कमांडो फॉर रेलवे सिक्योरिटी है. रेलवे की कमांडोज फोर्स के इन जवानों को खासतौर पर तैयार किए गया है जो किसी भी तरह की अप्रिय हालातों से निपटने में सक्षम हैं. चाहे आतंकी हमला हो, नक्सलियों का हमला हो या फिर प्राकृतिक आपदा से यात्रियों को बचना हो, इन कमांडोज को खासतौर पर ट्रेनिंग दी गई है.
आजादी के पर्व पर ये कमांडो फोर्स रेलवे में शामिल हो गई है. यह ऐसे स्थानों पर मौजूद रहेंगे जहां पर अक्सर अप्रिय हालातों का खतरा बना रहता है. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और दंतेवाड़ा, उत्तर-पूर्व राज्यों के संवेदनशील इलाके या फिर जम्मू कश्मीर जैसी जगहों पर इन कोरास को तैनात रखा जाएगा और जरूरत पड़ने पर इनकी मदद ली जाएगी.
रेलवे के मुताबिक अभी तक देश के कुछ हिस्सों में रेलवे के प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में भी दिक्कत आती थी. खासतौर पर ऐसे इलाकों में जहां पर नक्सली, आतंकी और उल्फा के हमलों का डर रहता था. लेकिन अब इन कमांडोज की मदद से रेलवे अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने की भी योजना बना रही है.
आरपीएफ के डीजीपी की माने तो इन जवानों को एनएसजी और मार्कोस की तर्ज पर ट्रेनिंग दी गई है. मार्कोस जहां समुद्री ऑपरेशन में महारत हासिल रखते हैं, वहीं एनएसजी के जवानों के पास अलग-अलग इलाकों में ऑपरेशन की महारत है. इसी तरह रेलवे के ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए कोरास को खासतौर पर तैयार किया गया है.
कोरास में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स और रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स के जवान शामिल किये गए हैं. इन कमांडो की खास तरह की यूनिफार्म होगी. इनके पास बुलेट प्रूफ जैकेट होगी और अलग तरह का हेलमेट होगा. इसके साथ ही इनके पास अत्याधुनिक हथियार भी मौजूद रहेंगे. इसमें से अधिकतर जवान 30 से 35 साल उम्र के हैं और इनकी ट्रेनिंग एनएसजी, फोर्स वन और ग्रेहाउंड जैसे कमांडोज़ के साथ में हुई है.