नई दिल्ली. राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बचाने के लिए बीजेपी पर हमला किया है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक ओर तो बीजेपी गांधी जी के जन्म की 150वीं जयंती मनाने जा रही है, लेकिन साथ ही जिस शख्स ने सार्वजनिक रूप से बापू के हत्यारे की तारीफ की उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. ये कैसे संभव है, और कोई इसे कोई कैसे डिफेंड कर सकता है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा, “इस साल हम बापू का 150वां जन्मदिन मना रहे हैं, ये गौरव की बात है…साथ ही साथ मुझे अफसोस होता है कि जिस साल हम बापू की 150वीं जयंती मना रहे हैं उसी साल सत्ताधारी पार्टी से कुछ ऐसे सांसद चुनकर आ रहे हैं, जो गांधी के हत्यारों की सराहना कर रहे हैं…एक कैंडिडेट ने कहा कि जिस शख्स ने बापू को मारा वो देशभक्त था…उस शब्द को दोहराते हुए मेरी जुबान जल जाएगी. बीजेपी का कैंडिडेट ये कहे कि गांधी को मारने वाला देशभक्त था…मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत है कि आपको उसी वक्त पार्टी से उसे डिसमिस कर देना चाहिए था…और कहना चाहिए था कि ये हमारा कैंडिडेट नहीं है.”
बता दें कि आजाद मध्य प्रदेश के भोपाल से चुनी गई सांसद साध्वी प्रज्ञा का जिक्र कर रहे थे. साध्वी ने कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को मात दी है. लोकसभा चुनाव के दौरान यह विवादित बयान दिया था. इस बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह ऐसा बयान देने वालों को कभी मन से माफ नहीं कर पाएंगे.
राज्यसभा में आजाद ने सुनाई नेहरू की कहानी
इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी एक कहानी सुनाई. आजाद ने कहा कि 1952 में नेहरू विधानसभा के एक कैंडिडेट के लिए प्रचार के लिए पहुंचे. नेहरू जब कार्यक्रम स्थल पहुंचे तो वहां जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यहां से गलत व्यक्ति को टिकट मिला है, इस शख्स पर कुछ आरोप हैं. इसके बाद पंडित नेहरू ने कहा कि क्या इस विधानसभा क्षेत्र से कोई ऐसा निर्दलीय कैंडिडेट है जिसकी छवि साफ सुथरे नेता की हो, इस पर उन्हें बताया गया कि हां ऐसा एक उम्मीदवार है.
इसके बाद नेहरू जब मंच पर भाषण देने के लिए आए तो उन्होंने कहा कि वे आए तो थे कांग्रेस कैंडिडेट के लिए वोट मांगने, लेकिन उन्हें उस उम्मीदवार के बारे में कुछ ऐसी बातें पता चली हैं जो ठीक नहीं हैं. इसलिए आप इस निर्दलीय उम्मीदवार को वोट दीजिए. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि लोग नेहरू की साफगोई से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस स्वतंत्र उम्मीदवार को वोट दिया और वो जीत भी गया.
पीएम से भी थी नेहरू जैसी उम्मीद
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र से ऐसी ही उम्मीद थी. उन्होंने कहा कि गांधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष तो थे, लेकिन साथ ही वे राष्ट्रपिता भी थे. इस राष्ट्रपिता के हत्यारे को देशभक्त कहने वाले शख्स पर कोई कार्रवाई न हो…इस पर क्या कहा जा सकता है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बीजेपी के पास अभी भी मौका है कि वो इस पर 2 अक्टूबर से पहले कार्रवाई करे, नहीं तो ये दाग सत्ताधारी पार्टी पर हमेशा लगा रहेगा.