महाराष्ट्र में लड़ाई और गोवा में कांग्रेस-बीजेपी का मिलन, समझिए सत्ता का खेल

सियासत में विचारधारा का क्या महत्व रह गया है ? इसका पता उस वक्त चलता है जब सियासी ड्रामा रचा जा रहा हो. राजनीति में कौन, कब सेक्यूलर और कबतक उसके सेक्यूलर रहने की गारंटी है, ये कोई नहीं कह सकता.

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नई दिल्लीजिस वक्त महाराष्ट्र में सियासी गहमागहमी जारी थी, सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए मोलभाव हो रहा था. शिवसेना और बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर जंग जारी थी और बैकडोर शिवसेना की बीजेपी एनसीपी के साथ सरकार बनाने को लेकर बातचीत हो रही थी. ठीक उसी वक्त पड़ोसी राज्य गोवा में कुछ अलग ही राजनीतिक ड्रामा रचा जा रहा था. महाराष्ट्र से इतर यहां दो धुर विरोधी पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी का मेल देखने को मिला.

 

22 नवंबर को यहां दो धुर विरोधी विचारधारा वाली पार्टी एक साथ आ गईं. कांग्रेस और बीजेपी ने अपना संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर केंद्र में सहयोगी एनडीए की पार्टी को हराने का प्रयास किया. मगर जीत केंद्र में एनडीए की सहयोगी गोवा फॉरवर्ड पार्टी के उम्मीदवार की हुई.

 

बीजेपी-कांग्रेस एक खेमे में तो दूसरी तरफ एनडीए की सहयोगी

 

माजरा ये है कि मार्गो म्यूनिसिपल काउंसिल चेयरपर्सन के लिए यहां दो खेमे अपनी अपनी चाल चल रहे थे. एक तरफ बीजेपी कांग्रेस का खेमा काम कर रहा था तो दूसरी तरफ थी गोवा फॉरवर्ड पार्टी. बीजेपी और कांग्रेस ने चुनाव में जीत के लिए अपना संयुक्त उम्मीदवार डोरिस टेक्सेरिया को बनाया जबकि गोवा फॉरवर्ड पार्टी के उम्मीदवार पूना नायक थे. मगर 25 सदस्यीय काउंसिल में चेयरपर्सन पद पर जीत पूना नायक की हुई.

 

25 सदस्यीय काउंसिल में 11 सदस्य जीएफपी के हैं और ये पार्टी केंद्र में एनडीए की सहयोगी है. मगर उसकी तगड़ी रणनीति की बदौलत कांग्रेस बीजेपी समर्थित उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा. और चेयरपर्सन पद पर जीत का सेहरा पूना नायक के खाते में गया. म्यूनिसिपल काउंसिल में सात सीटें बीजेपी को मिली हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 6 सीटें गई हैं.


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शिवसेना का बीजेपी पर हमला जारी, सामना में लिखा- 5 लाख करोड़ का कर्ज छोड़ गए फडणवीस

शिवसेना ने सामना में लिखा, ”प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते. इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? महाराष्ट्र की जनता ने जो निर्णय दिया है, दिल्ली उसका सम्मान करे और सरकार की स्थिरता न डगमगाए, इसका खयाल रखे.”

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आज दोपहर एक बजे कामकाज संभालेंगे. राज्यमें महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार बनने के बाद भी शिवसेना का बीजेपी पर तीखा हमला जारी है. पार्टी ने बीते कई रोज की तरह आज भी अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर बड़ा हमला बोला है.

 

सामना में शिवसेना ने बड़ा आरोप लगाते हुए लिखा कि फडणवीस सरकार पांच साल में राज्य पर पांच लाख करोड़ का कर्ज लादकर चली गई. सामना में लिखा है, ”महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार सत्य और न्याय की सारी कसौटियों पर खरी उतरकर स्थिर रहेगी. पांच साल में राज्य पर पांच लाख करोड़ का कर्ज लादकर फडणवीस सरकार चली गई. इसलिए नए मुख्यमंत्री ने जो संकल्प लिया है, उस पर तेजी से लेकिन सावधानीपूर्वक कदम रखना होगा.” बता दें कि किसानों की कर्जमाफी को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार जल्द बड़ा एलान कर सकती है.

 

इसके साथ ही सामना में प्रधानमंत्री मोदी को उद्धव ठाकरे का बड़ा भाई बताते हुए लिखा कि वो महाराष्ट्र के विकास में सहयोग देंगे. सामना में लिखा , ”महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा-शिवसेना में अन-बन है लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है. इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को प्रधानमंत्री के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी श्री मोदी की है. प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते.”

 

सामना में लिखा, ”महाराष्ट्र दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसा देता है. देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है. देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर देता है. देश की सीमा पर महाराष्ट्र के जवान शहीद हो रहे हैं. अब महाराष्ट्र से अन्याय नहीं होगा और उसका सम्मान किया जाएगा, इसका ध्यान नए मुख्यमंत्री को रखना होगा. दिल्ली के दरबार में महाराष्ट्र चौथी-पांचवीं कतार में नहीं खड़ा रहेगा बल्कि आगे रहकर ही काम करेगा.”

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