आज लोकसभा में आएगा नागरिकता संशोधन बिल, सरकार का दावा- दोनों सदनों में होगा पास

सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश होने से पहले रविवार को सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई. बैठक के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस CAB का पुरजोर विरोध करेगी.

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर चल रहे तमाम विवादों के बीच गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में बिल को पेश करेंगे. लोकसभा में सरकार के पास बहुमत होने की वजह से बिल को आसानी से मंजूरी मिल जाएगी. लोकसभा में सोमवार को होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक गृह मंत्री दोपहर में विधेयक पेश करेंगे जिसमें छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है और इसके बाद इस पर चर्चा होगी. इस बिल के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. AIADMK  नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में आ गई है. बता दें कि AIADMK के राज्यसभा में 11 सांसद हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा पहुंच गए हैं. दोपहर 12 बजे वह लोकसभा में नागरिकता कानून बिल पेश करेंगे.

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कहा है कि वे बिल का विरोध करेंगे. लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद कहा कि कांग्रेस विधेयक का पुरजोर विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश के संविधान और पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है.

बिल में क्या है प्रावधान
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. इसमें मुस्लिम वर्ग का जिक्र नहीं है.
यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था. बीजेपी नीत एनडीए सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था. लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया. पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी.

इनर लाइन परमिट में मणिपुर भी हो सकता है शामिल
गृह मंत्रालय सूत्रों की मानें तो नागरिकता कानून के तहत मणिपुर की चिंताओं को भी देखा गया है. इनर लाइन परमिट में मणिपुर को भी शामिल किया जा सकता है, अभी तक अरुणाचल, नगालैंड और मिजोरम को ही शामिल किया गया था. इससे पहले 1950 से लेकर अभी तक सभी को फॉरेन ऑफिस में रजिस्टर करने की जरूरत थी.
शिया वक्फ बोर्ड की अमित शाह को चिट्ठी
शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिज़वी ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है. इसमें लिखा गया है कि नागरिकता संशोधन बिल में शियाओं को भी शामिल किया जाए.

नागरिकता कानून पर शिवसेना का चैलेंज

शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को ट्वीट किया कि अवैध नागरिकों को बाहर करना चाहिए, हिंदुओं को भारत की नागरिकता देनी चाहिए. लेकिन उन्हें कुछ समय के लिए वोटिंग का अधिकार नहीं देना चाहिए. क्या कहते हो अमित शाह? और कश्मीरि पंडितों का क्या हुआ, क्या 370 हटने के बाद वो वापस जम्मू-कश्मीर में पहुंच गए?

नागरिकता कानून पर विवाद क्यों? पहले क्या था और अब क्या? 10 पॉइंट में समझें

अनुच्छेद 370, NRC के बाद अब मोदी सरकार एक और बड़ा दांव चलने जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून को पेश करेंगे. इस बिल के तहत देश में आए शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता को लेकर नियम पूरी तरह से बदल जाएंगे. केंद्र सरकार के इस कानून का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और इसे भारत के मूल नियमों के खिलाफ बता रही हैं. इस बिल में क्या विवादित है, पहले क्या था और अब क्या होने जा रहा है. जानें बिल से जुड़ी 10 बातें…

1.    मोदी सरकार जो नया बिल ला रही है, उसे सिटिजन अमेंडमेंट बिल, 2019 नाम दिया गया है. इस बिल के आने से सिटिजन एक्ट, 1955 में बदलाव होगा.

2.    मोदी सरकार के बिल के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है.

3.    इसके साथ ही इन सभी शरणार्थियों को भारत में अवैध नागरिक के रूप में नहीं माना जाएगा. अभी के कानून के तहत भारत में अवैध तरीके से आए लोगों को उनके देश वापस भेजने या फिर हिरासत में लेने की बात है.

4.    इन सभी शरणार्थियों को भारत में अब नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल का वक्त बिताना होगा. पहले ये समयसीमा 11 साल के लिए थी.

6.    नए कानून के मुताबिक, अफगानिस्तान-बांग्लादेश-पाकिस्तान से आया हुआ कोई भी हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई नागरिक जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में आया हो उसे अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा.

7.    इनमें से जो भी नागरिक OCI होल्डर है, अगर उसने किसी कानून का उल्लंघन किया है तो उसको एक बार उसकी बात रखने का मौका दिया जाएगा.

8.    इस बिल का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और भारत के संविधान का उल्लंघन बता रही हैं. विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार जो बिल ला रही है, वह देश में धर्म के आधार पर बंटवारा करेगा जो समानता के अधिकार के खिलाफ है.

9.    पूर्वोत्तर में इस बिल का सबसे अधिक विरोध हो रहा है, पूर्वोत्तर के लोगों का मानना है कि बांग्लादेश से अधिकतर हिंदू आकर असम, अरुणाचल, मणिपुर जैसे राज्यों में बसते हैं ऐसे में ये पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ठीक नहीं रहेगा. पूर्वोत्तर में कई छात्र संगठन, राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं.

10.    एनडीए में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने भी इस बिल का विरोध किया है, बिल के लोकसभा में आने पर वह गठबंधन से अलग हो गई थी. हालांकि, कार्यकाल खत्म होने पर जब बिल खत्म हुआ तो वह वापस भी आई.

 

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