नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास, पक्ष में पड़े 125 वोट, विरोध में 105
नागरिकता संशोधन विधेयक, लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया है. लोकसभा में इस बिल के समर्थन में 125 मत पड़े वहीं इसके विपक्ष में कुल 105 वोट पड़े. अब नागरिकता विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है. अब राष्ट्रपति के विधेयक पर हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा.
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राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास
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वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में पड़े 125 वोट
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वोटिंग में बिल के विरोध में कुल 105 वोट ही पड़े
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दोपहर 12 बजे नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया. जिसके बाद इस बिल पर ऊपरी सदन में चर्चा हुई. चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जवाब सदन के समक्ष प्रस्तुत किया. जिसके बाद राज्यसभा में यह ऐतिहासिक बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने पर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपना बयान जारी किया. उन्होंने लिखा, भारत के संवैधानिक इतिहास में ये काला दिन है. नागरिकता संशोधन बिल का पास होना भारत की विविधता पर संकीर्ण मानसिकता के लोगों की जीत है. ये आईडिया ऑफ इंडिया को चुनौती देता है. ये भारत को धर्म के आधार पर बांटने वाला है.
Statement by Congress President Smt. Sonia Gandhi on the unconstitutional Citizenship Amendment Bill. #CABseBharatBachao pic.twitter.com/RS4OxrYsgg
— Congress (@INCIndia) December 11, 2019
सोनिया गांधी ने अपने बयान में कहा, ये बिल न सिर्फ हमारे समानता के सिद्धांतों और धार्मिक समानता का अपमान है. ये उन चीजों का खारिज करता है, जिसके तहत हमारा संविधान नागरिकों को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार देता है. सोनिया गांधी ने कहा, हमारा देश हमेशा से ऐसा रहा है, जहां सभी देशों के हर धर्म के नागरिक को संरक्षण दिया गया है. हम अपने देश पर गर्व करने वाले लोग रहे हैं, जिसे कुछ असुरक्षित महसूस करने वाले लोग तोड़ नहीं सकते. हम एक स्वतंत्र भारत के लिए हमेशा दृढ़संकल्पित रहेंगे. ऐसा तभी होगा, जब हमारे लोग लिबरल रहेंगे.
सोनिया गांधी ने कहा, ‘विडंबना है कि बिल तब पास हुआ जब पूरी दुनिया महात्मा गांधी का 150वीं जयंती मना रही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मलाल के इस मौके पर कांग्रेस पार्टी कहना चाहती है कि वो बीजेपी की बंटवारे और धुव्रीकरण की राजनीति के खिलाफ लगातार पूरी शिद्दत के साथ लड़ती रहेगीं.”
बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर हो रही वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 125 और विपक्ष में 105 वोट पड़े. वोटिंग में कुल 230 वोट पड़े थे. शिवसेना ने वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला लिया. अब नागरिकता विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है. इसके बाद विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा.
आसानी से पास हुआ बिल
राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं. लेकिन फिलहाल पांच सीटें रिक्त हैं. जिसके चलते राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 240 है. लेकिन स्वास्थ्य कारणों की वजह से 5 सांसद फिलहाल सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित हैं. ऐसे में सदन के सदस्यों की कुल संख्या घट कर सिर्फ 235 रह गई. लेकिन वोटिंग में कुल 230 वोट ही पड़े जिस वजह से बिल आसानी से पारित हो गया.
शाह बोले- करोड़ों लोगों को फायदा मिलेगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश करने के बाद कहा कि इस सदन के सामने एक ऐतिहासिक बिल लेकर आया हूं , इस बिल के जो प्रावधान हैं उससे लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होगा. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यक रहते थे, उनके अधिकारों की सुरक्षा नहीं होती थी उन्हें वहां पर समानता का अधिकार नहीं मिला था.जो अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में आए, उन्हें यहां पर सुविधा नहीं मिली. पाकिस्तान में पहले 20 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन आज 3 फीसदी ही बचे हैं. इस बिल के जरिए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियातत मिलेगी.
नागरिकता संशोधन बिल को जेडीयू ने कैसे समर्थन दिया? जानिए- इनसाइड स्टोरी
पटना: नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू के संसदीय बोर्ड ने समर्थन देने का फैसला किया. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि जेडीयू के नार्थ ईस्ट के तीन यूनिट अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के नेताओं से सलाह ली गई. उनके सलाह पर जेडीयू के संसदीय बोर्ड ने समर्थन देने का फैसला लिया.
नागरिकता बिल पर पिछले साल जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद में नागरिकता बिल पर उठे सवाल पर नीतीश के करीबी ने बताया, उस वक्त जो लोकसभा में बिल आया था उस हिसाब से पार्टी ने फैसला लिया था कि तीन सदस्यीय टीम असम जाए और फिर वहां के नेताओं से संपर्क कर इसपर राय ली जाए. पार्टी का उस वक्त ऐसा कोई स्टैंड नहीं था जिसे बदलने की बात हो रही है. नीतीश के करीबी ने बताया कि पार्टी के अंदर किसी ने नागरिकता बिल पर कोई सवाल नहीं उठाया था. विधानसभा में पत्रकारों से एनआरसी पर उठे सवाल पर नीतीश ने कहा था कि पार्टी के अंदर इसपर राय शुमारी हो रही है और फिर नार्थ ईस्ट के तीन यूनिट से पूछकर संसदीय बोर्ड ने फैलसा ले लिया.
बिहार सीएम के करीबी नेता ने कहा कि नीतीश से अगर किसी ने बात की होती तो वो पार्टी फोरम पर ज़रूर बात रखते. हालांकि पवन वर्मा ने लोकसभा में जेडीयू के समर्थन देने के बाद नीतीश से संपर्क साधा था. पर लोकसभा में समर्थन देने के बाद राज्यसभा में सर्मथन नहीं देना ये संभव नहीं था. नागरिकता संशोधन बिल अब पुराना बिल नहीं है बल्कि नए तरीके से लाया गया है. पार्टी ने समर्थन दे दिया है अब ये फैसला सबको मानना होगा. जो नेता विरोध कर रहे हैं उन्हें भी बात समझ जानी चाहिए.
नागरिकता संशोधन बिल पर जब राज्य सभा में बहस हो रही थी, तब एक तरफ आरजेडी नेता और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव सड़क पर उतर गए थे. तेजस्वी जेपी और गांधी मूर्ति की परिक्रमा कर रहे थे. तो वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर पलटू राम कह कर बरस रहे थे. उसी वक्त नीतीश मुस्लिम बहुल इलाके किशनगंज में एएमयू यानि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉक्टर हसन इमाम से मुलाकात की तस्वीर मीडिया में जारी कर रहे थे. राज्यसभा में जेडीयू के नेता आर सी पी सिंह CAB का समर्थन कर अपनी पीठ भी थपथपा रहे थे.
बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में हुई बहस के दौरान जेडीयू नेता आरसीपी सिंह ने जमकर भाषण दिया. आरसीपी सिंह ने कहा कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में यूपीए सरकार के कार्यकाल से ज़्यादा मदरसे बनाए गए. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मदरसे के शिक्षकों को 7वां वेतन आयोग दे रही है. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने एक बार में एक कलम से 2460 मदरसे बनाए गए. जो मदरसों की सुरक्षा करे वो साम्प्रदायिक हो गई और न करे वो सेक्युलर सरकार हो गई.
जेडीयू ने कई बड़ी पार्टियों को चौंका दिया
नागरिकता संशोधन बिल संसद से सड़क तक बहस का मुद्दा बना हुआ है. इस बिल का विरोध करने वाली जेडीयू ने दोनों सदनों में समर्थन कर कई बड़ी पार्टियों को चौंका दिया जो इस बिल का लम्बे समय से विरोध कर रहीं थीं. ख़ुद जेडीयू के अंदर भी बिल को लेकर तकरार बढ़ गयी है. दिलचस्प बात और बड़ी बात ये है कि जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी पार्टी के इस फैसले से का विरोध कर रहें हैं. प्रशान्त किशोर के साथ-साथ पवन वर्मा और जेडीयू के एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी भी विरोध में खड़े हो गए.
वैसे हाल के दिनों में भी देखा जाए तो एनडीए का हिस्सा रहते हुए भी कई अहम मुद्दों पर जेडीयू ने बीजेपी का समर्थन संसद में नहीं दिया है. चाहे वो ट्रिपल तलाक़ की बात हो, या अनुच्छेद 370 हटाए जाने की. ऐसे में जब बीजेपी की विरोधी पार्टियां CAB को देश बांटने की नीति बता रही हैं तो जेडीयू ने इसे खुले तौर पर समर्थन दिया है. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने इस मुद्दे पर कहा कि अमित शाह से बातचीत के बाद पार्टी ने फ़ैसला लिया. विचार विमर्श कर लिए गए इस फ़ैसले से पार्टी के किसी भी नेता को आपत्ति नहीं है.
जेडीयू के हैं बदले बदले तेवर
नीतीश कुमार ने आज पटना में एएमयू के निदेशक से मुलाक़ात की. क़रीब एक घंटे की इस मुलाक़ात में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के किशनगंज सेंटर के निदेशक डॉ. हसन इमाम को हर सम्भव सहायता देने की भी बात कही.
बिल का समर्थन महज़ सियासी दांव
बिहार विधानसभा चुनाव अगले साल के अंत में यानि नवम्बर 2020 में होना है. उससे पहले बिहार में राजनीतिक हलचल शुरू हो गयी है. मंगलवार को आरजेडी के खुले अधिवेशन में तेजस्वी यादव और तेज़ प्रताप दोनों भाइयों ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. तेजस्वी पहले भी बोल चुके हैं कि CAB का विरोध करते-करते नीतीश कुमार ने इसका समर्थन कर अपने आपको फिर से पलटूराम साबित कर दिया. वैसे बिहार में मुस्लिमों की आबादी लगभग 16% है और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए जेडीयू ने बिल पर अपना स्टैंड बदला है.