नागरिकता बिल: 36 घंटे में बदल गया नंबर गेम, राज्यसभा में मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा
नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को राज्यसभा पेश करेगी. लोकसभा में तो सरकार को इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन 36 घंटे में समीकरण बदल गए हैं. इसके चलते मोदी सरकार के लिए इस विधेयक को पास करना अंतिम अग्निपरीक्षा होगी.
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राज्यसभा में आज पेश होगा नागरिकता संशोधन विधेयक
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मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में बिल पास करना चुनौती
नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद मोदी सरकार आज यानी बुधवार को 12 बजे इसे उच्चसदन में पेश करेगी. लोकसभा में तो सरकार को इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन 36 घंटे में समीकरण बदल गए हैं. लोकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेना ने विधेयक को समर्थन देने के लिए शर्त रखकर मोदी सरकार को फिलहाल टेंशन में डाल दिया है.
केंद्र सरकार विधेयक पारित कराने के लिए पूरा जोर लगा रही है. राज्यसभा में बहुमत का जुगाड़ करने के लिए सरकार के रणनीतिकारों ने कई बैठकें की हैं. वहीं, विपक्ष भी राज्यसभा में अपनी ताकत दिखाने का पूरा प्रयास कर रहा है. ऐसे में शिवसेना और जेडीयू का रुख राज्यसभा में बेहद अहम होगा.
नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है. सोमवार को इस विधेयक के पक्ष में जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ आने के चलते यह आसानी से पास हो गया था. लेकिन राज्यसभा में सरकार की इस विधेयक को पास करना अंतिम अग्निपरीक्षा होगी.
शिवसेना ने मारी पलटी
लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना ने मंगलवार को यू-टर्न लेकर असमंजस बढ़ा दिया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का जो भी विरोध कर रहे हैं, उन सभी को देशद्रोही मानना भ्रम है. केवल बीजेपी ही देश का ध्यान रख सकती है ये भी भ्रम है. शरणार्थी कहां और किस प्रदेश में रखे जाएंगे. ये सारी बातें स्पष्ट होनी चाहिए. साथ ही शिवसेना ने कहा था कि शरणार्थियों को 25 साल तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.
दरअसल लोकसभा में शिवसेना के साथ आने के बाद लग रहा था कि राज्यसभा में सरकार को इस विधेयक को पास करने में कोई खास दिक्कत नहीं आएगी. ऐसे में अब शिवसेना प्रमुख ने जिस तरह से शर्तें रखी हैं, उसके बाद राज्यसभा में समीकरण को नए तरीके से बैठाना होगा. शिवेसना के पास भले ही 3 राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे की शर्त ऐसी है, जिसके आधार पर कई और भी दल शिवसेना के सुर में सुर मिला सकते हैं. जेडीयू के कई नेता भी पार्टी का फैसला बदलने के लिए नेतृत्व पर दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में पास कराने की बड़ी चुनौती होगी.
राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं, लेकिन पांच सीटें रिक्त हैं, जिसके चलते फिलहाल कुल सदस्यों की संख्या 240 है. मतलब ये कि अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 121 वोट की जरूरत पड़ेगी.
बीजेपी के साथ खड़े हैं ये दल
राज्यसभा में बीजेपी के 83, जेडीयू के 6, एआईएडीएमके के 11, बीजेडी के 7, एसएडी के 3, आरपीआई के 1, एलजेपी के 1, वाईएसआर कांग्रेस के 2, टीडीपी के 2, एजीपी के 1, बीपीएफ के 1, एनपीएफ के 1, एसडीएफ के 1, नॉमिनेटेड 3 सदस्य, निर्दलीय एवं अन्य 4 सदस्यों के साथ कुल 127 सांसद हैं जो बिल के पक्ष में वोट कर सकते हैं. लेकिन सरकार की तरफ के दो सांसद स्वास्थ्य कारणों की वजह से अनुपस्थित भी रह सकते हैं.
विपक्ष के समीकरण
बिल के विरोध में कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, एनसीपी के 4, सपा के 9, आप के 3, बसपा के 4, सीपीआई के 1, सीपीएम के 5, डीएमके के 5, आईयूएमएल के 1, पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस एम के 1, एमडीएमके के 1, पीएमके के 1, आरजेडी के 4, शिवसेना के 3, टीआरएस के 6, 1 नॉमिनेटेड सदस्य और 2 निर्दलीय एवं अन्य के साथ कुल 113 राज्यसभा सदस्य हैं. विपक्ष के सभी सदस्य कल राज्यसभा में उपस्थित रह सकते हैं.