चंद्रयान 2 की सफलता पर चीन ने दी भारत को बधाई, कही यह बात…
‘बाहुबली’ नाम का भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 एम 1 ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ
नई दिल्ली: चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण पर चीन ने भारत को बधाई दी है. चीन के चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के प्रमुख ने सोमवार को भारत को चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण पर बधाई दी और कहा कि चीन अपने चंद्र मिशन पर सक्रिय रूप से आगे बढ़ रहा है और वह अपने अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की योजना किसी अन्य देश की प्रतिस्पर्धा में नहीं बना रहा है.
#ISRO#GSLVMkIII-M1 lifts-off from Sriharikota carrying #Chandrayaan2
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— ISRO (@isro) July 22, 2019
‘बाहुबली’ नाम का भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 एम 1 ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ. 3850 किलोग्राम के चंद्रयान 2 को सोमवार को प्रक्षेपित किया गया और 16 मिनट बाद यह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया.
Total number of 7500 visitors witnessed the launch live from the Viewer's Gallery at Sriharikota
Here's another view of visitors…#Chandrayaan2 #GSLVMkIII #ISRO pic.twitter.com/EqvZAYyIVU— ISRO (@isro) July 22, 2019
वू वेइरेन ने भारत के चंद्रयान 2 की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी और कहा चीन अपने स्वयं के चंद्र मिशन पर सक्रिय रूप से आगे बढ़ रहा है और वह अपने अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की योजना किसी अन्य देश की प्रतिस्पर्धा में नहीं बना रहा है. चीन के सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने वू के हवाले से कहा कि भारत, इजराइल और अमेरिका सहित चंद्रमा के अन्वेषण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास जो कि अपने अंतरिक्ष यात्रियों को पांच वर्ष के भीतर चंद्रमा तक भेजने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इससे चीन अपने चंद्र मिशन को और विकास करने के लिए प्रेरित होगा.
#ISRO
Here's a view of the majestic lift-off of #GSLVMkIII-M1 carrying #Chandrayaan2 pic.twitter.com/z1ZTrSnAfH— ISRO (@isro) July 22, 2019
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) का सोमवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया गया. चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के बाद इसरो (ISRO) प्रमुख के. सिवन (K Sivan) ने मिशन के सफल होने की घोषणा की और 15 जुलाई को आई तकनीकी खामी को लेकर कहा कि हम फिर से अपने रास्ते पर आ गए. उन्होंने कहा था कि यह चंद्रमा की ओर भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है.
सिवन ने कहा था कि यान को चंद्रमा के पास पहुंचने से पहले, अगले डेढ़ महीने में 15 ‘बेहद महत्वपूर्ण अभियान चरणों’ से गुजरना होगा.’ उन्होंने कहा था कि उसके बाद वह दिन आएगा, जब चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव के नजदीक सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए 15 मिनट तक ‘हमारे दिलों की धड़कनें बढ़ जाएंगी.’ यह सबसे जटिल चरण होगा.
A spectacular success for the Indian scientists, particularly the whole @isro team. This is truly a massive step for Indian space mission. Every Indian should be proud and this is a moment to celebrate for India. Fantastic. -Sg #Chandrayaan2 #ISRO #GSLVMkIII #IndiaMoonMission pic.twitter.com/br4z5yUiRH
— Sadhguru (@SadhguruJV) July 22, 2019
बीते 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण टाल दिया गया था. उस दिन इसका प्रक्षेपण तड़के दो बजकर 51 मिनट पर होना था, लेकिन प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ की उड़ान टाल दी गई थी. उस दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द भी प्रक्षेपण स्थल पर मौजूद थे. समय रहते खामी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने इसरो की सराहना की थी. आज रवाना हुआ ‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. इससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में मदद मिलेगी. यह ऐसी नई खोज होगी जिसका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा.
भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है।
चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से आज पूरा देश गौरवान्वित है।
मैंने थोड़ी देर पहले ही इसके लॉन्च में निरंतर तन-मन से जुटे रहे वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें पूरे देश की ओर से बधाई दी। #Chandrayaan2 https://t.co/50UodlbH0y
— Narendra Modi (@narendramodi) July 22, 2019
पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-मार्क ।।। के जरिए 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण किया है. रविवार की शाम छह बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए 20 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हुई थी. इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
#Chandrayaan2 is the outcome of the brilliance and extraordinary commitment of our scientists of @ISRO and also the political will. This phenomenal achievement is the pride of our nation. Just couldn't help being there. A great privilege. Congratulations to all of you. -Sg #ISRO pic.twitter.com/4xr91q29BG
— Sadhguru (@SadhguruJV) July 22, 2019
स्वदेशी तकनीक से निर्मित ‘चंद्रयान-2’ में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं. लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है. ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के बीच संकेत प्रसारित करेगा. लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए ट्वीट किया, ‘चंद्रयान-2 अपने आप में विशिष्ट है क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में खोज और अध्ययन करेगा जो किसी विगत मिशन में नहीं हुआ है. मिशन, चंद्रमा के बारे में नई जानकारी उपलब्ध कराएगा.’