बठिंडा. चीटफंड कंपनी बनाकर दर्जनों लोगों का पैसा डबल करने की झांसा देकर एक व्यक्ति ने 49 लाख रुपए की ठगी मार ली। इसमें प्रभावित लोगों ने पुलिस के पास लिखित शिकायत देकर आरोपी पर कानूनी कारर्वाई करने की मांग की थी। इसमें पुलिस के ईओ विंग ने मामले की जांच कर आरोपी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। कनाल कालोनी पुलिस के पास मनदीप सिंह वासी बाबा सिंह नगर बठिंडा ने शिकायतदी कि रणवीर सिंह वासी बसंत बिहार बठिंडा ने सुजास कैपीटल व बाला जी अकाशा लिमिटेंड नाम की एक चीटफंड कंपनी बनाई थी। इसमें साल 2015 में उसने लोगों को झांसा दिय़ा कि उनकी कंपनी विभिन्न खेती व विदेशी मुद्रा में इन्वेस्टमेंट का काम करती है।
शेयर मार्किट की तर्ज पर होने वाले इस काम में शुरूआती समय में पैसा कुछ ही समय में डबल हो रहा है। इसके लिए बकायदा उन्होंने कुछ लोगों के बारे में जानकारी दी जो रातों रात करोड़पति बनने का दावा किया गया। इन लोगों के झांसे में आकर उन्होंने अपने रिश्तेदारों व दोस्तों से संपर्क कर करीब 49 लाख रुपए उक्त लोगों को विभिन्न किश्तों में दिए। इसमें शुरूआती समय में उक्त लोगों ने कुछ पैसे उन्हें वापिस किए लेकिन वह राशि फिर से इन्वेस्ट करवा दी गई। चार साल तक दी गई राशि में उन्हें किसी तरह का प्रोफिट नहीं दिया गया तो उन्होंने जमा राशि वापिस करने के लिए कहा लेकिन उक्त व्यक्ति ने कहा कि कंपनी किसी अन्य व्यक्ति ने बनाई थी जो काम बंद कर फरार हो चुका है। इस स्थिति में वह उन्हें पैसे देने में असमर्थ है। इस मामले में शिकायतकर्ता मंदीप सिंह ने 7.50 लाख, दिलबाग सिंह वासी कनकवाल ने 6 लाख, बंत सिंह ने दो लाख, रणजीत सिंह ने डेढ़ लाख, भोला सिंह ने डेढञ लाख, भोला सिंह की मौसी ने एक लाख, बीना रानी ने तीन लाख, संत राम ने 10 लाख, परमिंदर रानी ने विभिन्न किश्तों में 6 लाख रुपए आरोपी रणवीर सिंह को चैक व आनलाइन ट्रांजेक्शन के मार्फत दिए थे। आरोपी व्यक्ति रणवीर सिंह ने उक्त लोगों को कुछ समय पहले ढ़ाई लाख रुपए का एक चैक इंडियन ओवरसिज बैंक किक्कर बाजार का दिया था जो खाते में लगाने के बाद बाउंस हो गया। इस केस में ईओ विंग की तरफ से की गई जांच के बाद डीए लीगल से कानूनी सलाह ली गई व एसएसपी बठिंडा ने मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ जालसाजी व विभिन्न आपराधिक मामलों के तहत केस दर्ज करने की हिदायत दी थी।
बताते चले कि 10 सालों में पंजाब व मालवा में 60 चिटफंड कंपनियां खोली गई, 15 लाख लोगों को शिकार बनाया गया तो 4 लाख लोग केवल मालवा से संबंधित हैं। पांच हजार लोग ऐसे हैं जिनका 5 लाख से 5 करोड़ रुपए इन कंपनियों में लगा हुआ है। ईडी व सेबी (सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की माने तो पंजाब में पर्ल ग्रुप, शारदा चिटफंड, मैक्स गोल्ड, ए-वन फार्मिंग इंडिया लिमिटेड, क्राउन कंपनी, एचबीएन जैसी कंपनियां पंजाब के निवेशकों से 10 हजार करोड़ रुपए इकट्ठा कर फरार हो चुकी हैं। बठिंडा जिले में ही दो सौ करोड़ रुपए निवेशकों का डूबा पड़ा है। फिलहाल सभी मामले पुलिस के बाद सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में चले तो मामले में रिकवरी के लिए सेबी को अधिकृत किया गया। सेबी ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से कंपनियों की चल व अचल संपत्तियों का रिकार्ड बनाकर उन्हें नीलाम कर निवेशकों को पैसा लौटाने का फैसला लिया लेकिन उक्त मामला अभी भी लंबित पड़ा है। इंसाफ दी लहर खातेदार यूनियन पंजाब के नेतृत्व में निवेशक लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उन्हें कही से भी इंसाफ की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। संगठन के प्रदेश चेयरमैन गुरभेज सिंह संधू ने कहा कि अलग-अलग चिटफंड कंपनियों से लूटे गए जिला बठिंडा के लोग अपने पैसे वापस लेने के लिए सरकारों और कोर्ट के आगे लगातार दुहाइयां करते आ रहे हैं। लेकिन इन कंपनियों में आला अफसरों से लेकर पुलिस व राजनेताओं के लोग जुड़े रहे हैं व उन्होंने भी करोड़ों रुपए कमाए अब जब आम लोगों को पैसे वापिस करने की बात आती है तो मामला प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज करने तक ही सिमित रह जाता है।
कोर्ट कंपनी मालिकों को जेल भेज कर देती है सुरिक्षत
महिला विंग की प्रधान दर्शना जोशी ने कहा कि अदालत कंपनी मालिकों को जेल भेजकर उनको सुरक्षा देती है पर कंपनी की प्रापर्टी बेचकर लोगों को पैसा देने का कोई प्रबंध नहीं किया जाता। राज्य प्रधान गुरबख्श सिंह ने पर्ल्स, नाइसर, एमजीके, ए-वन, टरूथ-वे, रोजबैली और करैडनिस से पीड़ित लोग एक प्लेटफार्म पर एकत्रित होकर इन कंपनियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
15 लाख लोगों को बनाया शिकार, 4लाख मालवा के 5 हजार ऐसे जिनका 5 लाख से 5 करोड़ रुपए फंसा
पर्ल कंपनी को लोगों का देने हैं Rs.49,100 करोड़
पर्ल्स कंपनी ने देश भर में लोगों का 49,100 करोड़ रुपए देना है और सीबीआई की जांच के अनुसार कंपनी के पास कुल प्रापर्टी का मूल्य 1,85,000 करोड़ है। सुप्रीम कोर्ट ने लोढा कंपनी बनाकर 2 फरवरी 2016 को आदेश दे दिया था कि प्रापर्टी बेचकर खातेदारों को पैसा वापस कर दिया जाए परंतु लोढा कमेटी ने एक भी प्रापर्टी नहीं बेची। सुप्रीम कोर्ट के पास करीब 8 कंपनियां ऐसी हैं जो प्रस्ताव पेश किया है कि वह अपनी प्रापर्टी बेचकर लोगों का पैसा वापस कर देंगे पर सुप्रीम कोर्ट पता नहीं क्यों उन्हें मंजूरी नहीं दे रहा है।
10 हजार करोड़ का काला धन विदेश में
प्रवर्तन निदेशालय (डायरेक्टर ऑफ इंफोर्समेंट) यानी ईडी ने पंजाब में क्राउन कंपनी के खिलाफ काला धन जमा करने और उसे विदेश भेजने (फेमा) के मामले में जांच शुरू की थी । ईडी ने क्राउन कंपनी की तरफ से 10 हजार करोड़ रुपए का काला धन हवाला के जरिए इंग्लैंड भेजने की जानकारी मिली थी। पंजाब के सतर्कता विभाग को केंद्रीय सतर्कता सहायक निदेशक स्नेहलता की तरफ से पत्र जारी कर जांच तेज करने के लिए कहा था लेकिन मामला राजनीतिक होने चे चलते दिसंबर 2016 में पेडिंग कर दिया गया।
22 साल में Rs.175 करोड़ लेकर फरार
चिटफंड कंपनी रोज वैली करीब 22 साल से कार्य कर रही थी। इस कंपनी ने पूरे भारत में अपने दफ्तर खोले थे। इनमें होटल स्कीम के जरिए आम जनता का पैसा लगवाया गया था जिसकी कुल कीमत 175 करोड़ बताई जा रही है। पीड़ित अमरीक सिंह ने बताया कि उक्त कंपनी अपने दफ्तर वहां के प्रशासनिक अधिकारियों की मंजूरी लेकर ही खोलते थे। पीड़ितों ने बताया कि कुछ दिन से उक्त कंपनी ने पूरे देश में निवेशकों के पैसे वापस करने बंद कर दिए हैं। कंपनी के सारे 23 होटल 4 रिजोर्ट और 2 गोल्ड शोरूम चल रहे हैं जिससे वह प्रतिदिन करोड़ों की आमदनी कर रही है।
केस दर्ज के बावजूद आरोपी नहीं हुए अरेस्ट
संगठन के मुख्य प्रवक्ता डा. रंजीत सिंह ने बताया कि एक चिटफंड कंपनी ए-वन फार्मिंग इंडिया लिमिटेड ने सिर्फ भेड़-बकरियां और गायें पालने के नाम पर करोड़ों की ठगी मारी है। 19 मार्च 2014 को आरोपी राजविंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया है लेकिन छह महीने बीतने के बावजूद पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है।