चंद्रयान का चमत्कार, 18 सेकेंड के फ्यूल में कर गया 6000 KM ज्यादा पार
दरअसल चंद्रयान मिशन-2 को लेकर इसरो के वैज्ञानिकों ने ईंधन और रॉकेट की दूरी तय करने का जो गणित तैयार किया था उससे बेहतर प्रदर्शन करते हुए ईंधन 18 सेकेंड ज्यादा चला जिससे रॉकेट ने 6000 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय कर ली. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और सलाहकार विनोद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि रॉकेट के आगे चले जाने के बाद भी वैज्ञानिकों ने इसे रोका नहीं क्योंकि रॉकेट के आगे जाने से चंद्रयान-2 के ईंधन की बचत हुई है. जो आगे फायदेमंद होगी.
नई दिल्ली। 22 जुलाई को लॉन्च हुए चंद्रयान-2 मिशन की सफलता के बाद पूरी दुनिया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की मुरीद हो गई है. लेकिन क्या आपको पता है कि चंद्रयान मिशन 2 को अंजाम देने वाला जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट ने वैज्ञानिकों के अनुमान से भी कई गुणा ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया और 6000 किलोमीटर तक आगे चला गया.
दरअसल चंद्रयान मिशन-2 को लेकर इसरो के वैज्ञानिकों ने ईंधन और रॉकेट की दूरी तय करने का जो गणित तैयार किया था उससे बेहतर प्रदर्शन करते हुए ईंधन 18 सेकेंड ज्यादा चला जिससे रॉकेट ने 6000 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय कर ली. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और सलाहकार विनोद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि रॉकेट के आगे चले जाने के बाद भी वैज्ञानिकों ने इसे रोका नहीं क्योंकि रॉकेट के आगे जाने से चंद्रयान-2 के ईंधन की बचत हुई है. जो आगे फायदेमंद होगी.
चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 14 अगस्त से 20 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा. 20 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा.
Congratulations #ISRO on today’s giant leap! Next stop – the moon🌒! #Chandrayaan2 🚀 #CantWaitToSeeWhatYouDoNext #GSLVMkIII pic.twitter.com/pdOHk3fs0d
— U.S. Embassy India (@USAndIndia) July 22, 2019
इसके बाद 11 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा. 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा.
6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रयान-2 के ऑर्बिट को बदला जाएगा. 22 जुलाई को लॉन्च के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है. लॉन्चिंग के 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 170 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा था.
15 जुलाई को अगर चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो वो 6 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करता. लेकिन एक सप्ताह बाद 22 जुलाई को लॉन्चिंग होने के कारण चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में 48 दिन ही लगेंगे. यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही पहुंचेगा. इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान-2 को पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाले चक्कर में कटौती होगी. संभवतः अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाएगा.
चंद्रयान-2 से मिली सूचनाओं से यह पता चलेगा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर वातावरण कैसा है, रेडिएशन कितना है और किस तरह वहां रोशनी और अंधेरे का आना-जाना होता है. इन सभी जानकारियों की बदौलत दूसरे देश चांद पर भेजे जाने वाले अपने मानव मून मिशन में जरूरी बदलाव कर सकेंगे ताकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर समय बिताने वाले उसके अंतरिक्ष यात्रियों को दिक्कत न हो.
चांद की सतह पर अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही सॉफ्ट लैंडिंग करा पाए हैं. 6 सितंबर को भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. दुनियाभर के वैज्ञानिक अब इंतजार कर रहे हैं चंद्रयान-2 के चांद पर पहुंचने की. क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी भी देश ने अपना कोई यान नहीं उतारा है. वहां से मिलने वाली जानकारी भारत के साथ-साथ कई देशों के लिए फायदेमंद होगी.