चंद्रयान-2 ने चौथी बार सफलतापूर्वक बदली कक्षा, अगला परिवर्तन छह अगस्त को होगा
इसरो का मकसद ‘चंद्रयान-2’ को सात सितंबर को चांद के अनछुए हिस्से दक्षिणी ध्रुव पर उतारना है जो देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी छलांग साबित होगा.
बेंगलुरूः भारत के ‘चंद्रयान-2’ का चांद तक का सफर जारी है और उसे शुक्रवार को चौथी बार पृथ्वी की कक्षा में और ऊंचाई पर सफलतापूर्वक पहुंचाया गया. भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ की सभी गतिविधियां सामान्य हैं. अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया कि पिछले महीने प्रक्षेपण के बाद से ‘चंद्रयान-2’ की चौथी बार कक्षा बदली गई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुख्यालय ने यहां एक बयान में कहा कि चंद्रयान-2 की कक्षा को 646 सेकेंड में चौथी बार सफलतापूर्वक परिवर्तित किया गया. उसकी कक्षा में अगला परिवर्तन छह अगस्त को किया जाएगा.
3,850 किलोग्राम के तीन मॉड्यूल के साथ ‘चंद्रयान-2’ का 22 जुलाई को प्रक्षेपण किया गया था. इसरो का मकसद ‘चंद्रयान-2’ को सात सितंबर को चांद के अनछुए हिस्से दक्षिणी ध्रुव पर उतारना है जो देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी छलांग साबित होगा. अगर यह मिशन सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा देश होगा जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई है. शुक्रवार को चंद्रयान को और ऊंचाई तक पहुंचाने के साथ ही इसरो ने इस यान को चांद तक पहुंचाने के 15 अहम चरणों में से चार को पूरा कर लिया है. इससे पहले 24, 26 और 29 जुलाई को ‘चंद्रयान-2’ की कक्षा सफलतापूर्वक बदली गई थी.
‘चंद्रयान-2’ अभी पृथ्वी से 277 किलोमीटर दूर है जबकि इसका शिरोबिंदु 89,472 किलोमीटर दूर है. अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करने पर ‘चंद्रयान-2’ की प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल अंतरिक्ष यान की गति धीमी करने में किया जाएगा, जिससे कि यह चंद्रमा की प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश कर सके.
इसके बाद चंद्रमा की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान-2 को पहुंचाया जाएगा. फिर लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के चारों ओर 100 किमीX 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा. फिर यह सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरने की प्रक्रिया में जुट जाएगा. चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर लैंडर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा की सतह पर एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) की अवधि तक, प्रयोग करेगा.
लैंडर का जीवन काल एक चंद्र दिवस है. ऑर्बिटर अपने मिशन पर एक वर्ष की अवधि तक रहेगा. इससे 11 साल पहले ‘चंद्रयान 1’ ने 29 अगस्त 2009 तक 312 दिन तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाकर एक नया इतिहास लिखा था.