Chandrayaan-2: विक्रम लैंडर को लेकर आया नया अपडेट, अब NASA भी…

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के साथ भारत के चंद्रमा लैंडर तक सिग्नल भेजने व संचार स्थापित करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है.

0 999,137

चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के साथ भारत के चंद्रमा लैंडर तक सिग्नल भेजने व संपर्क स्थापित करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. विक्रम लैंडर (Vikram Lander) से संपर्क करने के लिए अब नासा (NASA) भी इसरो की मदद कर रही है. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है.

इसरो के एक अधिकारी ने बताया, ‘चंद्रमा के विक्रम के साथ संचार लिंक फिर से स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. यह प्रयास 20-21 सितंबर तक किए जाएंगे, जब सूरज की रोशनी उस क्षेत्र में होगी, जहां विक्रम उतरा है.’ इसरो बेंगलुरु के पास बयालालू में अपने भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के जरिए विक्रम के साथ संचार स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

खगोलविद स्कॉट टायली ने भी ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित होने की प्रबल संभावना जताई है. टायली ने 2018 में अमेरिका के मौसम उपग्रह (वैदर सैटेलाइट) को ढूंढ निकाला था. यह इमेज सैटेलाइट नासा द्वारा 2000 में लॉन्च की गई थी, जिसके पांच साल बाद इससे संपर्क टूट गया था.

चंद्रयान-1 के डायरेक्टर ने बताई वजह, क्यों नहीं हो पा रहा लैंडर से ऑर्बिटर का संपर्क

चंद्रयान -1 के निदेशक एम. अन्नादुराई ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर मौजूद बाधाएं लैंडर विक्रम ( Vikram Lander) को सिग्नल प्राप्त करने से रोक रही हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई से अन्नादुराई ने बताया, ‘हमने लैंडर का चांद की सतह पर पता लगा लिया है, अब हमें इसके साथ संपर्क स्थापित करना होगा. जिस जगह पर लैंडर उतरा है, वह सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अनुकूल नहीं है. वहां कुछ बाधाएं हो सकती हैं, जो कि हमें उससे संपर्क स्थापित करने में रोक सकती है.

साथ ही उन्होंने कहा, ‘पहले चंद्रयान के ऑर्बिटर ने संपर्क साधने के लिए लैंडर की तरफ सिग्लन भेजे, लेकिन मौजूदा हाल में यह देखना होगा कि वह सिग्नल पकड़ पाता है या नहीं. ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा दो-तरफा संचार होता है, लेकिन हम एक तरफा संवाद करने का प्रयास कर सकते हैं.’ हालांकि, उन्होंने कहा कि संचार 5-10 मिनट से अधिक के लिए नहीं होगा. इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘यह एक मुश्किल स्थिति है लेकिन हमारे वैज्ञानिक इसे संभालने में काफी सक्षम हैं.’

वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के ‘लैंडर’ विक्रम से संपर्क बहाल करने की कोशिश जारी रखे हुए है लेकिन विशेषज्ञों ने कहा है कि समय निकलता जा रहा है और संपर्क बहाल होने की संभावना कम होती जा रही है. इसरो प्रमुख के. सिवन ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क बहाल करने की कोशिश करेगी. चंद्रयान-2 में लगे कैमरों से चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम का रविवार को पता चलने के बाद उन्होंने दोहराया कि ये (संपर्क बहाल करने की) कोशिशें जारी रहेंगी.

अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा…यह मुश्किल होगा(संपर्क बहाल करना).’ एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, सही अनुकूलन के साथ यह अब भी ऊर्जा पैदा कर सकता है और सौर पैनल के जरिए बैटरियों को रिचार्ज कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा संभावना कम होती चली जाएगी.’

इसरो के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा चंद्रमा की सतह पर विक्रम की ‘हार्ड लैंडिंग’ ने दोबारा संपर्क कायम करने को मुश्किल बना दिया है क्योंकि यह सहजता से और अपने चार पैरों के सहारे नहीं उतरा होगा. उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा.

लैंडर को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए और एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर) काम करने के लिए डिजाइन किया गया था. सिवन ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है और लैंडर ने निश्चित ही ‘हार्ड लैंडिंग’ की है. इसी के साथ सिवन ने स्वीकार कर लिया कि नियोजित ‘सॉफ्ट लैंडिंग” सफल नहीं रही.

गौरलतब है कि इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था और चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर उसका संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया था. चंद्रमा पर खोज के लिए देश के दूसरे मिशन का सबसे जटिल चरण माने जाने के दौरान लैंडर चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बिलकुल करीब था, जब इससे संपर्क टूट गया. चंद्रयान-2 के लैंडर का वजन 1,471 किग्रा है.

99

Leave A Reply

Your email address will not be published.