बिना लाइसेंस वाले ट्रैवल एजेंटों को बड़ी राहत, पंजाब सरकार वापस लेगी दर्ज केस

ट्रैवल एजेंटों के एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि लाइसेंस लेने के लिए कई कारोबारियों ने पिछले चार साल से अप्लाई किया हुआ है, लेकिन उनको यह जारी नहीं दिया जा रहा है। एक्ट में ट्रैवल एजेंट की परिभाषा को लेकर ही समझ में नहीं आ रहा था कि एजेंट किस चीज के लिए लाइसेंस अप्लाई करें। एक्ट में पांच श्रेणियां बनाई गई हैं और सभी की फीस अलग-अलग है। एक्ट में ट्रैवल एजेंसी, कोचिंग इंस्टीट्यूट फॉर आइलेट्स, कंसल्टेंसी, टिकटिंग एजेंट अैर जनरल सेल्स एजेंट की श्रेणियां हैं। कंसल्टेंसी में मुख्य रूप से स्टडी वीजा का काम करने वाले लोग ही आते हैं।

चंडीगढ़. पंजाब में बिना लाइसेंस वाले ट्रैवल एजेंटों को बड़ी राहत मिलने वाली है। पंजाब सरकार लाइसेंस के बगैर चल रहीं 30 ट्रैवल एजेंसियां के खिलाफ दर्ज किए केस वापस लेगी। इन सभी ने लंबे समय से लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन तकनीकी अड़चनों के चलते उन्हें यह नहीं दिए जा सके। मार्च 2018 में देश भर में जब ट्रैवल एजेंटों पर छापामारी की गई तो जालंधर में ही 30 ऐसे एजेंटों के खिलाफ केस दर्ज किए गए, जिनके पास लाइसेंस नहीं थे। इस बाबत दैनिक जागरण ने प्रकाशित सामाचार में खुलासा किया गया है।

एजेंटों का दावा- उन्होंने लंबे समय से कर रखा था लाइसेंस का आवेदन, प्रशासन ने की देरी

ट्रैवल एजेंटों के एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि लाइसेंस लेने के लिए कई कारोबारियों ने पिछले चार साल से अप्लाई किया हुआ है, लेकिन उनको यह जारी नहीं दिया जा रहा है। एक्ट में ट्रैवल एजेंट की परिभाषा को लेकर ही समझ में नहीं आ रहा था कि एजेंट किस चीज के लिए लाइसेंस अप्लाई करें। एक्ट में पांच श्रेणियां बनाई गई हैं और सभी की फीस अलग-अलग है। एक्ट में ट्रैवल एजेंसी, कोचिंग इंस्टीट्यूट फॉर आइलेट्स, कंसल्टेंसी, टिकटिंग एजेंट अैर जनरल सेल्स एजेंट की श्रेणियां हैं। कंसल्टेंसी में मुख्य रूप से स्टडी वीजा का काम करने वाले लोग ही आते हैं।

पिछले साल दर्ज हुआ था केस, अतिरिक्त गृह सचिव के सामने पेश हुए, अब डीसी को भेजे जाएंगे केस

ट्रैवल एजेंटों की इन समस्‍याओं को लेकर एसोसिएशन ने तब के अतिरिक्त गृह सचिव एएन कलसी के पास अपील की थी, लेकिन उनके रिटायर होने के बाद अब यह केस उनके स्थान पर अतिरिक्त गृह सचिव सतीश चंद्रा के पास आ गया। ट्रैवल एजेंटों ने चंद्रा से मुलाकत कर उन्हें बताया कि जिस दिन उन पर केस दर्ज किए गए, उसके दो-तीन दिन बाद ही उन्हें लाइसेंस जारी कर दिए गए। लेकिन, जब जालंधर के डीसी के समक्ष एफआइआर दर्ज होने की बात आई, तो लाइसेंस रद कर दिए।

एसोसिएशन ने कहा कि हमने तो पांच साल पहले ही अप्लाई किया हुआ था। प्रशासनिक देरी व तकनीकी खामियों में उलझने के कारण उन्हें लाइसेंस नहीं मिले, इसमें उनका कोई दोष नहीं है। सरकार उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआइआर को रद कर दिए। सतीश चंद्रा ने बताया कि प्रशासनिक खामियों के कारण ही लाइसेंस मिलने में देरी मिलती हुई नजर आ रही है। हम यह केस डिप्टी कमिश्नर को वापस भेज रहे हैं और साथ ही इनके खिलाफ दर्ज किए गए केस को भी वापस लिया जाएगा।

जालंधर में ही 1500 से ज्यादा एजेंट

गौरतलब है कि सिर्फ जालंधर में ही 1500 से ज्यादा एजेंट काम कर रहे हैं। पूरे पंजाब भर में इनकी गिनती हजारों में है। आज-कल विदेश में पढ़ाई करवाने के नाम पर ज्यादा एजेंसियां खुलती जा रही हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल सवा लाख से ज्यादा स्टूडेंट विदेश में पढ़ाई करने के लिए गए।

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