चंडीगढ़। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त तोहफा देते हुए पंजाब सरकार ने 31 दिसंबर, 2015 की बेसिक-पे में न्यूनतम 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। इसके साथ ही कुछ भत्तों को भी बहाल करने का फैसला लिया गया है। इस फैसले से 2.85 लाख कर्मचारियों और 3.07 लाख पेंशनरों को लाभ होगा। वहीं सरकारी खजाने पर अब वेतन/पेंशन का कुल बोझ 42673 करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पंजाब में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू किए जाने के बाद कर्मचारियों ने इसका विरोध शुरु कर दिया था, क्योंकि सिफारिशों को जिस तरह लागू किया गया था उससे कर्मचारियों का वेतन बढ़ने के बजाय 2-10 हजार रुपये तक घटने वाला था। सरकार को आखिरकार कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए अपने फैसले में उपरोक्त परिवर्तन करना पड़ा है।
नए फैसले से कर्मचारियों के वेतन/पेंशन में सालाना औसतन कुल बढ़ोतरी 1.05 लाख रुपये तक होगी, जो पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत सरकार का दावा है कि 79,250 रुपये सालाना थी। गुरुवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिए फैसले के बाद मुलाजिमों की सभी वाजिब मांगें हल हो जाएंगी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर मुलाजिम अब भी अपना विरोध-प्रदर्षन जारी रखते हैं तो नियमों के अनुसार सख्त कार्यवाही की जाएगी।
सभी जारी भत्ते भी बहाल रहेंगे
मंत्रिमंडल ने डॉक्टरों को संशोधित बेसिक-पे के 20 प्रतिशत के हिसाब से मिलने योग्य गैर प्रैक्टिस भत्ता (एनपीए) को वेतन का हिस्सा मानने और कर्मचारियों के लिए सचिवालय वेतन (पंजाब सिविल सचिवालय में काम करते) को पहली जुलाई 2021 से दोगुना करने और वेतन का हिस्सा मानने की मंजूरी दे दी है।
पेंशनधारकों को भी राहत
नेशनल पेंशन स्कीम के अधीन आने वाले कर्मचारियों को अब मौत होने की सूरत में पारिवारिक पेंशन के अधीन कवर किया जाएगा, जिसमें 5 मई, 2009 के पारिवारिक पेंशन दिशा-निर्देशों को अपनाया गया है। इससे चार सितंबर 2019 के जारी दिशा-निर्देशों में वाजिब बदलाव करके पंजाब सिविल सेवाएं नियम भाग-2 के अंतर्गत नई पेंशन स्कीम के अधीन आते राज्य के कर्मचारियों पर भारत सरकार के मुलाजिमों की तर्ज पर लागू किया जाएगा।