पंजाब के पूर्व डीजीपी के खिलाफ अप्रूवर बने इंस्पेक्टर जगीर और कुलदीप, कहा- सैनी के कहने पर मुल्तानी को डंडे से किया टॉर्चर, सेक्टर-17 थाने में हुई थी उसकी मौत

अब सैनी पर कत्ल की धारा 302 के तहत दर्ज हो सकता है केस

चंडीगढ़। 29 साल पुराने चंडीगढ़ के सिटको के जेई बलवंत सिंह मुल्तानी के केस में अब जल्द पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ कत्ल की धारा का केस दर्ज हाे सकता है। क्योंकि उनकी ही टीम के यूटी पुलिस के 2 इंस्पेक्टर जगीर सिंह और कुलदीप सिंह को सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ पंजाब पुलिस की एसआईटी ने अप्रूवर बना लिया है। उनके अप्रूवर बनने के लिए मोहाली कोर्ट ने भी मंगलवार को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने खुलासा कर दिया है कि बलवंत मुल्तानी कस्टडी से फरार नहीं हुआ,बल्कि सेक्टर-17 पुलिस स्टेशन में सैनी के इशारे पर यूटी पुलिस के दिवंगत पूर्व डीएसपी प्रेम सिंह मलिक ने उन्हें डंडे से बुरी तरह से टॉर्चर किया था। इससेे बलवंत सिंह मुल्तानी के इतनी ब्लीडिंग हुई कि उसकी जान थाने में ही चली गई।

उसके शव को पूर्व डीएसपी प्रेम मलिक, डीएसपी सतबीर सिंह और तबके थाना 17 के एसएचओ केआईपी सिंह ने ठिकाने लगा दिया। प्राइवेट आदमी को इंस्पेक्टर जगीर के साथ बटाला के कादियां में भेजकर मुल्तानी को कस्टडी से फरार डिक्लेयर कर दिया है। यह बयान न सिर्फ दोनों इंस्पेक्टरों ने केस की जांच कर रही पंजाब पुलिस की एसआईटी के समक्ष दिए,बल्कि इसे बयान जज के समक्ष बंद कमरे में भी दर्ज करवाए।

दोनों इंस्पेक्टरों के बयानों में अंतर

इंस्पेक्टर जगीर ने कहा- मुल्तानी को 13 दिसंबर 1991 को पकड़ा

29 अगस्त 1991 में जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ में एसएसपी थे। तब उन पर ब्लास्ट हुआ था। तब मैं सेक्टर-17 थाने की नीलम चौकी में इंचार्ज था। मामले में 13 दिसंबर 1991 में बलवंत सिंह मुल्तानी को दबोचा गया और सेक्टर 17 थाने लाया गया। रात में मैं थाने पहुंचा तो देखा कि सैनी ने एक मुलाजिम से मुल्तानी को टॉचर्र करने को कहा। सैनी के कहने पर उसे टॉर्चर किया गया। मुल्तानी कराहते हुए गिर गया। दो दिन बाद जब मैं पुलिस स्टेशन दोबारा आया। सैनी ने बताया कि मुल्तानी मर गया है और प्रेम मलिक,सतबीर सिंह और डीएसपी बलदेव सिंह उसके शव को ठिकाने लगा रहे हैं। तुम टीम लेकर कादियां पुलिस स्टेशन जाओ और वहां मुल्तानी को कागजों में फरार हुआ दिखाओ।

इंस्पेक्टर कुलदीप ने कहा- मुल्तानी को 11 दिसंबर 1991 को पकड़ा

11 दिसंबर 1991 को इंस्पेक्टर सतबीर सिंह की अगुआई में मुल्तानी को पुलिस की टीम ने उठाया। 13 दिसंबर 1991 को जब मैं सेक्टर 17 थाने में गया तो वहां एसएचओ केआईपी सिंह, सतबीर सिंह, डीएसपी बलदेव सिंह, प्रेम सिंह मलिक बैठे थे। सैनी ने मुझे और सतबीर सिंह को कहा कि मुल्तानी को लेकर नीलम पुलिस चौकी के हवाले करो। हमने ऐसा ही किया। हरसहाय के हवाले मुल्तानी को कर दिया। अगले दिन हरसहाय ने मुल्तानी को सेक्टर-17 थाने में केआईपी सिंह के हवाले किया। 2 दिन बाद जब मैं थाना-17 गया तो देखा कि मुल्तानी दर्द से कराह रहा था। उसके गुप्तांगों से खून निकल रहा था। रात तक पता चला कि वह मर गया। सैनी ने बलदेव सिंह,सतबीर सिंह और मलिक की अगुआई में मुल्तानी के शव को ठिकाने लगाने को टीम बनाई। मुझे,जगीर सिंह, अनोख सिंह को डमी टीम बनाकर कादियां थाना भेजा। जहां हमने उसकी फरारी की रपट लिखवाई।

ये है पूरा मामला

पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, यूटी पुलिस के एक रिटायर्ड एसपी बलदेव सिंह, दिवंगत डीएसपी सतबीर सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर हरसहाय, अनोख सिंह, जगीर सिंह और अन्यों के खिलाफ मटौर पुलिस थाने में अपहरण और अन्य धाराओं के तहत 6 मई को मामला दर्ज किया गया था। यह मामला तब का है जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे। मुल्तानी को सुमेध सिंह सैनी पर चंडीगढ़ में हुए आतंकी हमले के बाद पकड़ा गया था। हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिकर्मी मारे गए थे। आरोप है कि 1991 में सैनी की हत्या के विफल प्रयास के बाद पुलिस ने मुल्तानी काे गिरफ्तार किया गया।

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