चंडीगढ़. पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर के खिलाफ सीनेटर व महिला प्रोफेसर की ओर से की गई शिकायत के मामले में चांसलर और उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडु द्वारा बनाई गई कमेटी ने इंक्वायरी बंद कर दी है। हरियाणा की प्रिंसिपल सेक्रेटरी धीरा खंडेलवाल की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि छह बार हुई मीटिंग के दौरान बार-बार मौके दिए जाने के बावजूद महिला प्रोफेसर पेश नहीं हुईं, इसलिए उनके इस कदम को शिकायत से पीछे हटना मानते हुए, इंक्वायरी को बंद किया जाता है।
चांसलर द्वारा स्वीकार होने के बाद रिपोर्ट की कॉपी विवि प्रशासन और पूर्व वाइस चांसलर के पास भी पहुंच चुकी है। उन्होंने इसको सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है। इसके साथ ही पूर्व वीसी ने मौजूदा वाइस चांसलर प्रो. राज कुमार को लेटर लिख कर महिला प्रोफेसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की डिमांड की है। उन्होंने लिखा है कि इंडिपेंडेंट इंक्वायरी कमेटी जिसे चांसलर ने एमएचआरडी और नेशनल कमीशन फॉर वुमन की सिफारिश पर बनाया था, उसकी रिपोर्ट आ गई है। महिला प्रोफेसर ने सहयोग नहीं किया। उनके खिलाफ अनएथिकल कंडक्ट और अनुशासनात्मक जांच व एक्शन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2015 से अब तक वह मानसिक परेशानी झेल रहे थे। ये उनके लिए एक बड़ी राहत है।
महिला प्रोफेसर ने मिसबिहेवियर, हैरेसमेंट और सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे
एडिशनल चीफ सेक्रेटरी हरियाणा धीरा खंडेलवाल, पीयू सीनेटर पैम राजपूत, नेशनल वुमन कमीशन से डॉ. राजू वी एन एल देसाई, पीयू के फैलो गुरजोत सिंह मल्ही, डायरेक्टर सोशल वेलफेयर नवजोत कौर, पीयू से प्रो. समिता भूटानी और डिप्टी रजिस्ट्रार पीयू पूनम चोपड़ा ने यह रिपोर्ट सबमिट की है। पीयू कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरासमेंट की चेयरपर्सन प्रो. मनविंदर कौर, प्रिंसिपल अनीता कौशल और फेलो अमिता ऋषि इस मीटिंग में शामिल नहीं हुई। 15 अप्रैल 2015, 18 अप्रैल 2015, 14 सितंबर 2015 और 20 सितंबर 2015 को शिकायतकर्ता ने पीयू के पूर्व वाइस चांसलर के खिलाफ शिकायत की थी। इसमें उन्होंने मिसबिहेवियर, हैरेसमेंट और सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे। चांसलर के आदेश पर एक इंडिपेंडेंट कमेटी का गठन किया गया था जिसको दिसंबर 2017 में अप्रूव किया गया। आईएएस नवराज संधू की अध्यक्षता में कमेटी की मीटिंग 20 अप्रैल 2018, 25 जून 2018,16 अगस्त 2018 और 27 अगस्त 2018 को हुई। इसमें शिकायतकर्ता अपीयर नहीं हुई बल्कि उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया और कमेटी को असंवैधानिक करार दिया।
महिला प्रोफेसर को कमेटी ने 16 जून को पेश होने का दिया था आखिरी मौका
कोर्ट के आदेश पर 17 अक्टूबर 2019 को वाइस प्रेसिडेंट के ज्वाइंट सेक्रेट्री अशोक दीवान ने इंडिपेंडेंट इंटरनल कमेटी को इसकी जांच के लिए लिखा। इसके लिए 90 दिन का समय दिया गया था। इस बीच आईएएस नवराज संधू रिटायर हो गई और इसके बाद धीरा खंडेलवाल को नियुक्त किया गया। खंडेलवाल की अध्यक्षता में 5 फरवरी को 3 मार्च को,18 मार्च को और चार अप्रैल को कमेटी की मीटिंग हुई। इसके बाद लॉकडाउन के कारण लंबे समय तक मीटिंग नहीं हो सकी और 16 जून को कमेटी ने महिला प्रोफेसर को पेश होने का आखिरी मौका दिया लेकिन वह नहीं पहुंची। मेंबर का कहना है कि 6 मौके देने के बाद भी क्योंकि वह नहीं पहुंचीं, उनको सुनवाई का पूरा मौका दिया गया और नोटिस भेजने के बावजूद वह पेश नहीं हुई। इसलिए कमेटी मेंबर्स मानते हैं कि वह अपनी शिकायत या आरोपों के साथ स्टैंड नहीं करती आप इंक्वायरी को यहीं पर बंद किया जाता है।