अगर वाहन चालक बीमा कंपनी की शर्तों को पूरा नहीं करता, फिर भी कंपनी को देना होगा क्लेमः हाई कोर्ट

सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट से यह याचिका खारिज करने की मांग की। बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट को बताया कि कार चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था और न ही गाड़ी का उचित रजिस्ट्रेशन। ऐसे में गाड़ी चालक बीमा की शर्त पूरी नहीं करता। इसलिए बीमा कंपनी क्लेम देने के लिए बाध्य नहीं है।

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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने वाहन दुर्घटना मामले में अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि अगर वाहन चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं है और वाहन का रजिस्ट्रेशन उचित नहीं है तो भी बीमा कंपनी क्लेम की राशि देने से नहीं बच सकती। हाई कोर्ट ने यह आदेश पंचकूला निवासी चमन लाल की एक क्लेम याचिका का निपटारा करते हुए दिया। याची ने हाई कोर्ट में मोटर एक्सिडेंट्स क्लेम टिब्यूनल पंचकूला द्वारा तय क्लेम राशि को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। टिब्यूनल ने याची को सात लाख 74 हजार 700 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था।

पूरा मामला

याची ने इस मुआवजे को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में बताया कि 20 अप्रैल 2015 को जब वह पंचकूला में अपनी मोटरसाइकिल से जा रहा था तभी एक कार जो गलत दिशा से आ रही थी ने उसे टक्कर मारी। कार टक्कर मार कर 20 यार्ड दूर जाकर रुकी। कार कुलदीप सिंह चला रहा था। वो गलत दिशा व लापरवाही से कार चला रहा था। कार की टक्कर से उसको काफी चोट लगी। उसको पहले स्थानीय अस्पताल और बाद में चंडीगढ़ के सेक्टर-32 अस्पताल फिर पीजीआइ रेफर कर दिया। जहां वह कई दिन दाखिल रहा और उसके कई ऑपरेशन हुए व उसका लाखों रुपया खर्च हुआ। एक्सिडेंट्स के बाद वह 70 प्रतिशत अपंग हो गया। इसलिए उसका क्लेम बढ़ाया जाए, क्योंकि एक्सिडेंट्स क्लेम टिब्यूनल पंचकूला ने उसको उचित क्लेम जारी नहीं किया।

सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट से यह याचिका खारिज करने की मांग की। बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट को बताया कि कार चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था और न ही गाड़ी का उचित रजिस्ट्रेशन। ऐसे में गाड़ी चालक बीमा की शर्त पूरी नहीं करता। इसलिए बीमा कंपनी क्लेम देने के लिए बाध्य नहीं है।

हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि 28 साल के युवक को इस एक्सिडेंट्स ने अपंग कर दिया। ऐसे में बीमा कंपनी इस तरह की दलील देकर क्लेम देने के अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकती। हाई कोर्ट ने क्लेम की राशि बढ़ाकर नौ लाख 92 हजार 600 रुपये करने का आदेश देते हुए सभी प्रतिवादी पक्ष को समान रूप ये यह क्लेम देने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि याची अपील फाइल करने की तिथि से इस राशि पर साढ़े सात फीसद सालाना ब्याज का भी हकदार है।

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