CDS बिपिन रावत बोले- कश्‍मीर में डि-रेडिकलाइजेशन कैंप का मतलब गुडविल स्‍कूल है

News18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में CDS बिपित रावत ने कहा कि रायसीना डायलॉग के दौरान भी उन्होंने इसी बात पर जोर दिया था कि कश्मीर में बच्चे रेडिकल हो रहे हैं.

नई दिल्‍ली. भारत के चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने News18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ‘डि-रेडिकलाइजेशन कैंप’ से संबंधित अपने विवादित बयान पर सफाई देते हुआ कहा कि उनका मतलब सिर्फ गुडविल स्कूल से ही था. रावत ने कहा कि भारतीय सेना कश्मीर में कई इलाकों में गुडविल स्कूल संचालित करती हैं और उन्हें ध्यान में रखकर उन्होंने ‘डि-रेडिकलाइजेशन कैंप’ की चर्चा की थी.

बिपित रावत ने आगे कहा कि रायसीना डायलॉग के दौरान भी उन्होंने इसी बात पर जोर दिया था कि कश्मीर में बच्चे रेडिकल हो रहे हैं और इस पर ध्यान देने की ज़रुरत है. इंटरव्यू के दौरान भी रावत ने सवाल उठाया- आप किसी भी शख्स को कट्टरपंथी बनने की इजाज़त कैसे दे सकते हैं, और बाद में उसका डि-रेडिकलाइजेशन किया जाए. हालांकि इससे साफ़ करते हुए रावत ने आगे कहा- कैंप का मतलब सिर्फ मिलिट्री कैंप से नहीं लगाया जाना चाहिए. कैंप को कई दूसरे संदर्भों में भी इस्तेमाल किया जाता है. आप एक डिक्शनरी के जरिए इस शब्द का सही से मतलब समझ सकते हैं.

सीडीएस रावत ने कश्मीर में सेना द्वारा चलाए जा रहे 46 गुडविल स्कूलों का उदाहरण देते हुए दावा किया कि इन स्कूलों से पढ़ा हुआ एक भी छात्र कभी पत्थरबाजी या आतंकवाद में शामिल नहीं पाया गया है. रावत ने आगे कहा- हमारे पास घाटी में आर्मी गुडविल स्कूल हैं. ये क्या हैं? हम ऐसे स्कूल आखिर क्यों चला रहे हैं? क्या हमारा काम स्कूल चलाना है? सोचिये मैं स्कूल क्यों चलाता हूं? मैं बच्चों को कट्टरपंथ से बचाना चाहता हूं. तो आप इसे डि-रेडिकलाइजेशन कह सकते हैं लेकिन हम इसे कट्टरपंथ से बच्चों को दूर रखने का एक जरिया (प्रिवेंटिव रेडिकलाइजेशन ) ही मानते हैं. और ये कैंप नहीं हैं.

सीडीएस रावत के बयान पर हुआ था विवाद
बता दें कि जनवरी में हुए एक कार्यक्रम रायसीना डायलॉग में एक पैनल डिस्कशन के दौरान डि-रेडिकलाइजेशन कैंप का ज़िक्र किया था और ये दावा किया था कि भारत में ऐसे कैंप चल रहे हैं, उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान भी ऐसा ही कर रहा है. रावत ने कहा था कि कश्मीर में 10-12 साल के बच्चे कट्टरपंथ के प्रभाव में हैं और उनकी पहचान करके, दूसरो से अलग करके डि-रेडिकलाइजेशन कैंप में रखना चाहिए.

रावत ने कहा था- इन लोगों को अभी भी एक नियत तरीके से कट्टरपंथ से दूर रखा जा सकता है. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पूरी तरह से कट्टरपंथ की जकड़ में हैं. इन लोगों को बाकियों से अलग रखना ज़रूरी है, हो सके तो डि-रेडिकलाइजेशन कैंप में. हमारे देश में ऐसे डि-रेडिकलाइजेशन कैंप पहले से ही चलाए भी जा रहे हैं. रावत के इस बयान के बाद कश्मीर और देश भर में विवाद खड़ा हो गया था. बात इतनी बढ़ गयी कि सरकार को संसद में स्पष्टीकरण देना पड़ा कि देश में ऐसे डि-रेडिकलाइजेशन कहीं नहीं हैं और न ही इन्हें बनाए जाने के किसी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.

कश्मीर में सेना चला रही है सद्भावना मिशन
सीडीएस रावत ने News18 को बताया कि कश्मीर में भारतीय सेना सद्भावना मिशन चला रही है जिसके तहत स्कूल, टीचर्स, परिवार के लोग और इलाके के मौलवी भी बच्चों को कट्टरपंथ से दूर रखने के लिए सेना की मदद कर रहे हैं. रावत ने कहा- मैंने खुद सद्भावना मिशन के लिए मौलवियों का एक ग्रुप बनाया और 15 दिन के लिए उन्हें सद्भावना यात्रा पर भेजा. अब मैंने मौलवियों को क्यों चुना? आप क्या सोचते हैं कि मौलवियों का क्या काम था? लेकिन, आपको महसूस होता है कि यही वो लोग हैं जो परेशानी खड़ी कर रहे थे, और आप ये चाहते हैं कि ऐसे लोग दुनिया के दूसरे हिस्सों को देखें और उन्हें तस्वीर का दूसरा पहलू भी नज़र आए. आप चाहते हैं वो थोड़ा घूमें-फिरें, शायद अजमेर शरीफ या ताजमहल, हम चाहते हैं कि ये लोग दिल्ली और लखनऊ की दूसरी मस्जिदें भी देखें. हम उन्हें ये सब दिखाते हैं और कहते हैं- यहां भी आपके जैसे मौलवी हैं. आप उन्हें सुनिए, आप क्या कर रहे थे? वो क्या था? इस इंटरव्यू में भी जनरल रावत ने दावा किया कि पाकिस्तान अपने युवाओं के लिए डि-रेडिकलाइजेशन कैंप चला रहा है.

सौजन्य-NEWS18

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