बठिंडा. सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को एचआईवी पोजटिव खून चढ़ाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसमें जहां बाल सुरक्षा आयोग की तरफ से राज्य सेहत विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र जारी कर सिविल अस्पताल प्रबंधन को ताड़ना की थी वही अब ड्रग कमिशनर पंजाब ने अब सोकाज नोटिस जारी कर सात दिसंबर तक रिपोर्ट तलब की है। इसमें ब्लड बैंक में 14 कमियों के बारे में बताया गया है व इस बाबत स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। वही संतोषजनक उत्तर नहीं देने पर सख्त कारर्वाई की चेतावनी भी दी गई है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरा ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले में निष्पक्ष जांच करने व आरोपी अधिकारियों व कर्मियों पर सख्त कानूनी कारर्वाई करने की मांग की है।
अस्पताल में उपचार करवा रहे करीब 40 थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों में से चार को संक्रमित रक्त चढ़ाने का सामने आया
गौरतलब है कि बठिंडा सिविल अस्पताल में पिछले दो माह से ब्लड बैंक प्रबंधन की लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें सबसे गंभीर मामला अस्पताल में उपचार करवा रहे करीब 40 थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों में से चार को संक्रमित रक्त चढ़ाने का सामने आया था जिसके बाद पूरे सेहत विभाग में हड़कंप मच गया व जांच पड़ताल का दौर शुरू हो गया। इसमें अब तक दो मामलों में चार कमेटियां जिसमें दो सेहत विभाग बठिंडा व दो कमेटिय़ां राज्य सेहत विभाग व एड्स कंट्रोल सोसायटी की गठित कर जांच की जा चुकी है। जांच में सात कर्मियों को आरोपी मान कारर्वाई की सिफारिश की गई। सात लोगों को विभाग से निलंबित किया जा चुका है व दो लोगों पर आपराधिक केस दर्ज किया जा चुका है। अब सेहत विभाग में आए दिन हो रही लापरवाही के खिलाफ सामाजिक संस्थाओं के साथ राजनीतिक दलों ने मोर्चा खोल रखा है। मामले में थेलेसीमिया पीड़ित परिवारों की एसोसिएशन खुले तौर पर विरोध में उतरी तो उनके पदाधिकारियों पर सिविल अस्पताल प्रबंधन ने मारपीट व गाली गलोच करने के आरोप में केस दर्ज करवा दिया। इसके बाद अब तक पीछे रहकर विरोध कर रही सामाजिक संस्थाओं का आक्रोश भड़क गया व उन्होंने खुले तौर पर शहर भर में विरोध जताते सभी तरह के सामाजिक काम बंद कर दिए।
डाक्टरों और थेलेसीमिया पीड़ित एसोसिएशन के बीत भी हो चुका है विवाद
इसमें डाक्टरों, सामाजिक संस्थाओं व अस्पताल प्रबंधन के बीच बातचीत में थेलेसीमिया पीड़ितों पर दर्ज करवाए केस को वापिस लेने के आश्वासन के बाद मसला कुछ हल हुआ था। वही अब इस गंभीर मामले में वीरवार को दो मोड़ आए जिसमें पहले मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरा ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कारर्वाई करने की मांग की है वही पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने के लिए भी कहा है।
14 तरह की कमियों पर ब्लड बैंक प्रबंधन व अस्पताल प्रबंधन से तलब की है रिपोर्ट
- वही दूसरी तरफ वीरवार को पंजाब राज्य ड्रग कमिशन के चेयरमैन ने सिविल अस्पताल बठिंडा के सिविल सर्जन, सिविल अस्पताल ब्लड बैंक के बीटीओं व एसएमओ को सोकाज नोटिस जारी कर 14 कमियों के बारे में जबावतलबी की है। इसमें ब्लड बैंक में रक्तदानियों व रक्त हासिल करने वाले लोगों का रजिस्टर सही ढंग से नहीं लिखने, ब्लड टैस्ट करने के तरीके पर सवाल उठाते कहा कि नियमानुसार सही मापडंद नहीं अपनाया गया जिससे एचआईवी पोजटिव व नेगटिव होने के साथ दूसरी गंभीर बीमारियों के बारे में सही जानकारी नहीं मिल सकी।
- बैंक में ब्लड स्टोरेज की सही ढंग से व्यवस्था नहीं होने, वही जांच व कुलेशन के लिए काबिल स्टाफ की तैनाती नहीं करने, बाहर से कीट मंगवाने व अंदर की कीटों का गलत इस्तेमाल करने, समय-समय पर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से जारी हिदायतों की सही ढंग से पालना नहीं करवाने, जिम्मेवारी से भांगने की मासिकता के चलते आपसी तकरारबाजी में नियमों की धज्जियां उडाने जैसी खामियों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इस मामले में स्थानीय ड्रग कंट्रोल अथार्टी की कारगुजारी पर भी सवाल खड़े किए गए है।
- पहला सवाल बैंक में ब्लड टेस्ट करने के लिए एलाइजा टेस्ट मशीन 6 माह तक खराब होने के बावजूद इसे ठीक करवाने को प्राथमिकता नहीं दी गई। वही इसमें लोकल अथार्टी ने तय समय में ब्लड बैंक की जांच नहीं की व इसमें अनट्रेड स्टाफ के बारे में अधिकारियों से रिपोर्ट तलब नहीं की जिससे अधिकारी ब्लड बैंक में मनमाने ढंग से अपनी सुविधा अनुसार कर्मियों की नियुक्ति करते रहे जिसका नतीजा यह रहा कि अनट्रेड कर्मचारी सामन्य जांच कर ब्लड बैंक के बैग में अप्रूव व एचआईवी नेगटिव की मोहर लगाकर खून का आबंटन करते रहे।
बाल सुरक्षा आयोग को 17 दिसंबर तक देनी है कारर्वाई की रिपोर्ट
फिलहाल बाल सुरक्षा आयोग ने सिविल अस्पताल प्रबंधन की कारगुजारी पर सवाल खड़े कर खामियों को दूर कर 17 दिसंबर को अब तक की गई कारर्वाई की रिपोर्ट तलब की है। इसमें सिविल सर्जन बठिंडा चार बार ब्लड बैंक का दौरा कर रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं जबकि पुलिस ने भी अक्तूबर माह में आए पहले केस में एक ब्लड बैंक अधिकारी पर मामला दर्ज किया है।