किसानों ने Jio टावर तोड़कर अंबानी नहीं, कनाडा की कंपनी को लगाया चूना,जिन टावरों को जियो का समझकर तोड़ रहे आंदोलनकारी, इसी साल बेच चुकी है रिलायंस

पंजाब में ही में जियो के करीब 1,500 टावर को नुकसान पहुंचाया गया है. इसकी वजह राज्य में कई जगह जियो की सेवाएं बाधित हो गयी हैं. उसके पूरे टावर कारोबार को रिलायंस इसी साल पूरी तरह से कनाडा की एक कंपनी को बेच चुकी है.

नई दिल्ली। नए कृषि बिलों के खिलाफ किसान आंदोलन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, इसमें उपद्रव, तोड़फोड़ जैसी दुखद बातें भी सामने आने लगी हैं. खासकर पंजाब में बड़े पैमाने पर रिलायंस जियो के टावर को नुकसान पहुंचाने की खबरें हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है ​जिन टावर को जियो का समझकर आंदोलनकारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसके पूरे कारोबार को रिलायंस इसी साल पूरी तरह से कनाडा की एक कंपनी को बेच चुकी है.

खबरों के अनुसार पंजाब में ही में जियो के करीब 1,500 टावर को नुकसान पहुंचाया गया है. इसकी वजह राज्य में कई जगह जियो की सेवाएं बाधित हो गयी हैं. सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने राज्य सरकार से इन टावर को सुरक्षा मुहैया करने की मांग की है.

पंजाब के विभिन्न हिस्सों में रिलायंस जियो के लगभग 1300 टावरों को निशाना बनाकर नुकसान पहुँचाया गया। किसी का जेनेरेटर चुरा लिया तो किसी की बिजली सप्लाई बंद कर दी। चौंकाने वाली बात यह है कि यह कुछ महीने पहले तक तो रिलायंस के स्वामित्व वाला टावर था, लेकिन रिलायंस समूह के मालिक मुकेश अंबानी ने कुछ ही समय पहले एक कनाडाई कंपनी ‘ब्रुकफील्ड’ (Brookfield) को बेच दिए थे।

रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने सितंबर में बताया था कि जियो (Reliance JIo) की दूरसंचार टावर एसेट्स को कनाडा की ब्रुकफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स एलपी को 25,215 करोड़ रुपए में बेच दिया। ब्रुकफील्ड टावर कंपनी ने 100 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी खरीदी थी। इस रकम का इस्तेमाल रिलायंस जियो इंफ्राटेल का कर्ज चुकाने में किया जाने वाला है।

ब्रुकफील्ड के निवेश और लंबी अवधि के कर्ज से प्राप्त राशि का उपयोग रिलायंस जियो इंफ्राटेल प्राइवेट लिमिटेड (RJIPL) की मौजूदा वित्तीय देनदारियों को चुकाने में किया जाएगा। रिलायंस जियो इंफ्राटेल पर 12,000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।

इसका मतलब यह है कि किसान जिन टावरों को मुकेश अंबानी का समझ कर तोड़ रहे हैं, वह उनका नहीं, बल्कि कनाडा की एक कंपनी के हैं। हालाँकि, इन टॉवर्स को क्षतिग्रस्त करने से रिलायंस जियो के उपभोक्ताओं को जरुर कुछ नुकसान होगा और इसके साथ ही यह जियो को भी कुछ हद तक जरुर प्रभावित कर सकता है।

क्यों कर रहे आंदोलनकारी हमला 

गौरतलब है कि किसानों के बीच यह बात प्रचारित की जा रही है कि नए किसान बिल से बड़े उद्योगपतियों खासकर मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को फायदा होगा. इसीलिए किसानों के उग्र होने की स्थिति में रिलायंस जियो के एसेट आसान निशाना हैं जो देश भर में गांव-कस्बों तक फैले हुए हैं.

किसने खरीदा है जियो का टावर कारोबार 

असल में कनाडा की कंपनी ब्रूकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स एलपी ने रिलायंस जियो के टावर कारोबार की 100 फीसदी हिस्सेदारी करीब 25,215 करोड़ रुपये में खरीद ली है.​ जियो के पास देशभर में करीब 1,35,000 टावर थे, जो जियो इन्फ्राटेल नामक कंपनी के द्वारा संचालित किये जा रहे थे.बिजनेस टुडे की एक खबर के अनुसार, यह सौदा अक्टूबर 2020 में ही पूरा हुआ है. हालांकि इसके लिए डील 2019 में हुई थी और इसके लिए नियामक मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था.

अब इसमें क्या बचा Jio का 

अब इन टावर कारोबार में जियो का कोई हिस्सा नहीं है, लेकिन टावर यूज के मास्टर सर्विसेज एग्रीमेंट के मुताबिक जियो इनकी मुख्य टेनेन्ट होगी. 30 साल तक जियो इनका इस्तेमाल करेगी और इसके बदले टावर कंपनी को किराया देगी.

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