RBI ने Yes Bank के खाताधारकों के लिए विड्रॉल लिमिट 50 हजार रु. की, एसबीआई के पूर्व सीएफओ को प्रशासक बनाया

16 साल पुराने यस बैंक का एनपीए ज्यादा होने की वजह से बैंक के पास नकदी की कमी यस बैंक को बचाने के लिए सरकार ने एसबीआई को आगे किया; इस रिपोर्ट से एसबीआई के शेयर में 27% तेजी एसबीआई और एलआईसी मिलकर यस बैंक की 49% हिस्सेदारी 490 करोड़ रुपए में खरीद सकते हैं

नई दिल्ली. आरबीआई ने नकदी की कमी से जूझ रहे यस बैंक से पैसा निकालने की ऊपरी सीमा निर्धारित कर दी है। अब बैंक के खाताधारक अधिकतम 50 हजार रुपए ही निकाल सकेंगे। बैंक की आर्थिक स्थिति में गंभीर गिरावट आने के बाद 30 दिन के लिए रिजर्व बैंक ने उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का अधिग्रहण कर लिया है। एसबीआई के पूर्व डीएमडी और सीएफओ प्रशांत कुमार को बैंक का प्रशासक बनाया गया है। इससे पहले बैंक को बचाने के लिए सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को आगे किया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यस बैंक में शेयर खरीदने की एसबीआई की योजना को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसका आधिकारिक ऐलान जल्द किया जा सकता है। यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने वाले कंसोर्शियम को एसबीआई लीड करेगा।

अंग्रेजी की बिजनेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई और एलआईसी मिलकर यस बैंक की 49% हिस्सेदारी 490 करोड़ रुपए में खरीद सकते हैं। इन खबरों से एनएसई पर यस बैंक के शेयर में 27% उछाल आया। दूसरी ओर एसबीआई के शेयर में 5% गिरावट आ गई। हालांकि, निचले स्तरों से खरीदारी होने की वजह से रिकवरी हो गई और करीब 1% बढ़त के साथ बंद हुआ।

एसबीआई के चेयरमैन ने यस बैंक के मामले में समाधान की उम्मीद जताई थी
यस बैंक का एनपीए ज्यादा होने की वजह से बैंक के पास नकदी की कमी हो गई है। इसलिए, बैंक पूंजी जुटाने की कोशिशों में जुटा है। 2004 में शुरू हुए यस बैंक के पास पिछले साल जून तक 3,71,160 करोड़ रुपए की संपत्तियां थीं। उधर, एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने जनवरी में एक इंटरव्यू में कहा था कि यस बैंक विफल नहीं होगा। करीब 40 अरब डॉलर (2.85 लाख करोड़ रुपए) की बैलेंस शीट के साथ यह एक अहम बैंक है। इसका विफल होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा। मुझे भरोसा है कि कुछ समाधान जरूर निकलेगा।

यस बैंक में प्रमोटर शेयरहोल्डिंग 8.33 फीसदी
नकदी की किल्लत से जूझ रहे यस बैंक को जुलाई-सितंबर तिमाही में 629 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। बैंक ने दिसंबर तिमाही के नतीजे टालते हुए पिछले महीने कहा था कि 14 मार्च तक नतीजे जारी किए जाएंगे। बैंक एक साल से भी ज्यादा समय से मुश्किलों से जूझ रहा है। आरबीआई ने 2018 में यस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर का बतौर सीईओ कार्यकाल घटा दिया था। पिछले साल मार्च में कपूर की जगह सीईओ बने रवनीत गिल के लिए पूंजी जुटाना प्राथमिकता है। नियमों के मुताबिक न्यूनतम पूंजी रेश्यो को बढ़ाने के लिए यस बैंक रकम जुटाना चाहता है। बैंक प्रबंधन ने सितंबर 2019 में 14,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना के बारे में बताया था। बैंक के शेयर का प्राइस अगस्त 2018 में 400 रुपए था, अभी 37.20 रुपए है। बैंक का मार्केट कैप 9,398.49 करोड़ रुपए है। प्रमोटर शेयरहोल्डिंग दिसंबर 2019 में घटकर 8.33% रह गई। ये शेयर मधु कपूर, यस कैपिटल और मैग्स फिनवेस्ट के पास हैं। को-फाउंडर राणा कपूर अपने पूरे शेयर बेच चुके हैं। अगस्त 2019 में यस बैंक में प्रमोटर शेयरहोल्डिंग 17.97% थी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.