ढीले होंगे RBI के बंधन:आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महंगाई का दायरा उदार बना सकती है सरकार
सरकार को महंगाई का नया दायरा तैयार करने के लिए RBI से सलाह मशविरा करना होगा RBI के लिए 2016 में तय महंगाई का टारगेट प्लस और माइनस 2 पर्सेंट के साथ 4 पर्सेंट था
नई दिल्ली. सरकार का ध्यान पूरी तरह आर्थिक तरक्की की रफ्तार बढ़ाने पर है, इसलिए वह महंगाई के मोर्चे पर RBI के बांधे हाथ थोड़ा खोल सकती है। वह रिजर्व बैंक के लिए खुदरा महंगाई को 2 से 6 पर्सेंट के दायरे में रखने के जनादेश को उदार बनाने की सिफारिश करने पर विचार कर रही है। इससे बैंकिंग रेगुलेटर अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव बने रहने के बावजूद आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ावा देने के उपाय करने पर ध्यान दे सकेगा।
रिजर्व बैंक से सलाह मशविरा करना होगा
मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि सरकार को महंगाई का नया दायरा तैयार करने के लिए रिजर्व बैंक से सलाह मशविरा करना होगा। रिजर्व बैंक के लिए महंगाई का मौजूदा दायरा 2016 में तय किया गया था जिसके मुताबिक उसको टारगेट रेंज के बीच में यानी 4 पर्सेंट पर रखना होगा।
2 से 6 पर्सेंट की रेंज एशिया में सबसे ज्यादा
महंगाई के लिए तय 2 से 6 पर्सेंट की रेंज एशियाई देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से अपनाए गए दायरों में सबसे ज्यादा है। आरबीआई के अपनाए दायरे जितनी सीमा यूरोप में तुर्की ने तय की है जबकि साउथ अमेरिका में आर्जेंटीना ने इससे बड़ी रेंज अपनाई हुई है।
आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने की बड़ी जरूरत
जानकारों के मुताबिक फाइनेंस मिनिस्ट्री का मानना है कि रिजर्व बैंक को महंगाई से निपटने के लिए किसी सख्त दायरे में नहीं बांधा जाना चाहिए और भी खासतौर पर तब, जब आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने की बड़ी जरूरत है।
कोर इनफ्लेशन इंडेक्स पर फोकस सही
ब्लूमबर्ग के इकनॉमिस्ट अभिषेक गुप्ता जैसे अर्थशास्त्री पहले भी कह चुके हैं कि महंगाई के आंकड़े देने वाले इंडेक्स में काफी उतार-चढ़ाव आ रहा है, इसलिए अब से महंगाई का आंकड़ा निकालने के लिए रिजर्व बैंक को कोर इनफ्लेशन इंडेक्स पर फोकस करना चाहिए। इस इंडेक्स में क्रूड ऑयल और खाने-पीने के सामान को शामिल नहीं किया जाता। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में खाने-पीने के सामान का वज़न लगभग 50 पर्सेंट होता है।
अंतिम फैसला सरकार और संसद का
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा था कि महंगाई का लक्ष्य हासिल करने के लिए किस तरह के उपाय किए जाएंगे, इसका अंतिम फैसला सरकार और संसद को करना है। उन्होंने यह भी कहा कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के हिसाब से महंगाई के आंकड़े निकालना बंद नहीं किया जाएगा।
होती रही है रिजर्व बैंक की आलोचना
महंगाई के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर बताने के लिए रिजर्व बैंक की आलोचना होती रही है। 2018 में अहम ब्याज दरों को लेकर रिजर्व बैंक के सख्त रुख को सपोर्ट देने के लिए MPC की तरफ से महंगाई के अनुमान को आधार बनाया गया था।
अर्थव्यवस्था को चाहिए ज्यादा राहत
जानकारों के मुताबिक महंगाई में आई उछाल ने ब्याज दरों में कटौती पर रिजर्व बैंक के हाथ बाँध दिए हैं, जबकि मंदी के अप्रत्याशित दौर में प्रवेश करने के चलते अर्थव्यवस्था को ज्यादा राहत दिए जाने की जरूरत है।