डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स पर हमला अब गैर-जमानती अपराध होगा, 7 साल तक की सजा और 5 लाख तक जुर्माना देना होगा
कैबिनेट की बैठक में 123 साल पुराने महामारी कानून में संशोधन का फैसला लिया गया हेल्थ वर्कर्स पर हमला हुआ तो जांच अधिकारी को 30 दिन में जांच पूरी करनी होगी
नई दिल्ली. सरकार ने कोरोनावायरस के मरीजों की मदद में लगे डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स पर बढ़ते हमलों को देखते हुए 123 साल पुराने में कानून में ऑर्डिनेंस के जरिए बदलाव किया है। सरकार ने कहा है कि इस बारे में सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है। डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स पर किसी ने हमला किया और गुनहगार पाया गया तो अधिकतम 7 साल की सजा होगी। 5 लाख जुर्माना भी लगेगा। इस अपराध को अब गैर-जमानती भी बना दिया गया है। चूंकि अभी संसद नहीं चल रही, इसलिए इस कानून में बदलाव के लिए कैबिनेट ने ऑर्डिनेंस को मंजूरी दी है। ऑर्डिनेंस 6 महीने के लिए होता है।
The Epidemic Diseases (Amendment) Ordinance, 2020 manifests our commitment to protect each and every healthcare worker who is bravely battling COVID-19 on the frontline.
It will ensure safety of our professionals. There can be no compromise on their safety!
— Narendra Modi (@narendramodi) April 22, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अगुआई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कानून में बदलाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा- महामारी कानून 1897 में बदलाव किए गए हैं। अभी आईपीसी, सीआरपीसी, एनएसए, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट है। लेकिन यह मांग थी कि पूरे देश के लिए भी कानून बने ताकि कोरोना से लड़ाई में शामिल डॉक्टर्स-हेल्थ वर्कर्स के लिए नियम कड़े किए जाएं।