कोविड-19 / सरकार ने एअर इंडिया की नीलामी के लिए बोली लगाने की समय सीमा 2 महीने और बढाई, अब 30 जून तक लगा सकेंगे बोली

यह फैसला कोविड-19 के चलते आर्थिक गतिविधियों पर लगी रोक के कारण लिया है। यह दूसरी बार है जब बोली लगाने के लिए तारीख आगे बढ़ाई गई है एअर इंडिया की शुरुआत 88 साल पहले यानी 1932 में टाटा ग्रुप ने की थी

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नई दिल्ली. सरकार ने एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की समय सीमा को दो महीने बढ़ाकर 30 जून तक कर दिया है। सरकार ने यह फैसला कोविड-19 के चलते वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों पर लगे ब्रेक के कारण लिया है। बता दें कि यह दूसरा मौका है जब बोली लगाने की समयसीमा में विस्तार किया गया है। सरकार ने घाटे में चल रही एअर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को इसकी शुरूआती सूचना का ज्ञापन जारी किया था और 17 मार्च तक बोलियां मांगी गई थी। हालांकि बाद में कोविड-19 के चलते इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया था।

इच्छुक बोलीदाताओं के अनुरोध पर लिया गया फैसला
एअर इंडिया की बिक्री के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के लिए एक ज्ञापन जारी करते हुए निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने कहा कि मौजूदा स्थिति (कोविड-19) के मद्देनजर आईबी (इच्छुक बोलीदाताओं) के अनुरोध पर समय सीमा बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा योग्य इच्छुक बोलीदाताओं (QIB) को सूचित करने की तारीख को 2 महीने के लिए बढ़ाकर 14 जुलाई कर दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि अन्य महत्वपूर्ण तिथियों को लेकर अगर कुछ बदलाव किया जाता है तो इच्छुक बिडर्स को सूचित किया जाएगा।

एअर इंडिया पर है 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज
बता दें कि शर्तों के मुताबिक, खरीदार को एअर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। एयरलाइन पर कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है। यानी करीब 37,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी। सरकार ने सोमवार को बिडिंग के दस्तावेज जारी किए। डील के मुताबिक सफल खरीदार को एअर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा।

88 साल पहले टाटा ने शुरू की थी यह एयरलाइन
एअर इंडिया की शुरुआत साल 1932 में टाटा ग्रुप ने की थी। 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी। वे देश के पहले लाइसेंसी पायलट थे। 1946 में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया हुआ था। आजादी के बाद 1953 में इसका नेशनलाइजेशन हुआ। डोमेस्टिक मूवमेंट के लिए इंडियन एयरलाइन्स और इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए एअर इंडिया बनाई गई। दोनों कंपनियों के ज्वाइंट एंटरप्राइज के तौर पर वायुदूत कंपनी शुरू हुई जो रीजनल फीडर कनेक्टिविटी देती थी। कई सालों बाद 1993 में वायुदूत का इंडियन एयरलाइन्स में मर्जर हो गया जिससे पूरे ग्रुप पर कर्ज बढ़ गया।

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