एनालिसिस / कोरोनावायरस से भारत को कारोबार में 2.5 हजार करोड़ रु. के नुकसान की आशंका, यूरोपियन यूनियन इससे 44 गुना ज्यादा घाटे में रहेगा

कोरोनावायरस के असर से यूरोपीय यूनियन को 1.1 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका इस साल फरवरी में दुनिया भर में मैन्युफैक्चरिंग निर्यात 50 अरब डॉलर कम होने का अनुमान

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नई दिल्ली. कोरोनावायरस तेजी से चीन के बाहर फैल रहा है और इसे लेकर दुनियाभर के वित्तीय बाजार चिंतित हैं। वर्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (आईएमएफ) समेत सभी बड़े आर्थिक संस्थान ग्रोथ रेट में गिरावट की चेतावनी जारी कर चुके हैं। दुनिया के सभी देश वायरस का संक्रमण रोकने के प्रयासों में लगे हैं। दैनिक भास्कर ने कोरोनावायरस के दुनियाभर में असर का एनालिसिस की तो पता चला कि इस वायरस के असर के चलते भारत को व्यापार में 2.5 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है। यूरोपियन यूनियन को इससे 1.1 लाख करोड़ रुपए घाटे की आशंका है यानी भारत के अनुमानित घाटे से करीब 44 गुना ज्यादा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत उन 15 देशों की सूची में शामिल है, जिनकी अर्थव्यवस्थाओं को इस संक्रमण से सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका है।

इन अर्थव्यवस्थाओं को संक्रमण से सबसे ज्यादा नुकसान

देश  अनुमानित नुकसान
यूरोपीय यूनियन 1.1 लाख करोड़ रुपए
अमेरिका 42 हजार करोड़ रुपए
जापान  38 हजार करोड़ रुपए
दक्षिण कोरिया 27.8 हजार करोड़ रुपए
चीन 19 हजार करोड़ रुपए
वियतनाम 16.8 हजार करोड़ रुपए
भारत 2.5 हजार करोड़ रुपए

किस सेक्टर में कितना नुकसान होने की आशंका

सेक्टर    अनुमानित  नुकसान
केमिकल 944 करोड़ रुपए
टेक्सटाइल एंड अपैरल 468 करोड़ रुपए
ऑटोमोटिव  249 करोड़ रुपए
मेटल और प्रोडक्ट 197 करोड़ रुपए
लकड़ी के उत्पाद 109 करोड़ रुपए
लेदर प्रोडक्ट 95 करोड़ रुपए
इलेक्ट्रिकल मशीनरी 87 करोड़ रुपए

दुनियाभर में कोरोना का क्या असर?

  • मैन्युफैक्चरिंग निर्यात: संयुक्त राष्ट्र के इकॉनमिस्ट के अनुमान के मुताबिक, फरवरी में दुनिया भर में मैन्युफैक्चरिंग निर्यात में 50 अरब डॉलर गिरावट आने को अनुमान है।
  • तेल की मांग: प्लैट्स एनालिटिक्स ने तेल की मांग को 13.3 लाख बैरल प्रतिदिन से गिराकर 8.6 लाख बैरल प्रतिदिन कर दिया है। 2020 में चीन में तेल की मांग में 1.7 बैरल प्रतिदिन बढ़ोतरी का अनुमान है। यह वास्तविक अनुमान का महज 20% है। तेल की मांग 30% तक गिर सकती है। एयरलाइंस के फ्लाइट कैंसिल करने से सिंगापुर जेट फ्यूल इंडेक्स 40% से अधिक गिर चुका है। पिछले 11 साल में पहली बार हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में गिरावट आई है।
  • एनर्जी: दुनिया भर में क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट जारी है। 20 जनवरी को पहली बार कोरोनावायरस ने बाजार पर असर डाला था। उसके बाद से अभी तक कीमतों में 20% की गिरावट आ चुकी है। एनर्जी सेक्टर में मार्च डिलीवरी का औसत 3.52 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है। साल-दर-साल के आधार पर यह 52% नीचे है।
  • समुद्री व्यापार: 20 जनवरी के बाद अब तक पर्शियन गल्फ चीन वीएलसीसी में फ्रेट रेट 50% तक गिर चुका है। अभी यह 10-11 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है। साल-दर-साल के आधार पर चीन का एलएनजी आयात 6% तक कम हो गया है। ओपेक तेल उत्पादन में प्रति दिन 10 लाख बैरल की कटौती कर रहा है।
  • शेयर मार्केट: पिछले सप्ताह दुनियाभर के शेयर बाजारों में 2008 की मंदी के बाद सबसे तेज गिरावट देखने को मिली। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों को लोन चुकाने में मुश्किल होगी, इस कारण 1.1 ट्रिलियन डॉलर के लोन एनपीए हो सकते हैं।
  • एयर ट्रांसपोर्टेशन: इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्टेशन एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस से एयरलाइन इंडस्ट्री को 29 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

चीन की अर्थव्यवस्था पर असर

  • फरवरी में चीन की मैन्युफैक्चरिंग पीएमआइ गिरकर 40.3 पर आई। सर्विस सेक्टर की पीएमआई 26.5 पर आई। यह अभी तक का सबसे निचला स्तर है।
  • चीन में रोड, एयर, रेल और जल मार्गों से होने वाले ट्रैफिक में 50% से अधिक की गिरावट आई है। चीन के बाइडू माइग्रेशन इंडेक्स के मुताबिक, 29 फरवरी तक केवल 38% कर्मचारी काम पर लौटे हैं। 1 मार्च के डेटा के अनुसार चीन में पावर प्लांट में कोयले की खपत में 33% की कमी आई है।
  • चीन में कारों की रिटेल बिक्री फरवरी में 80% गिर गई। यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।
  • चीन की एयरलाइंस कंपनियों की फ्लाइट रुकने के कारण उनको 12.8 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। एनालिटिक्स फर्म फारवर्डकीज के अनुसार चीन से बुक होने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट में 55.9% की गिरावट आई है।

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