नई दिल्ली। कोविड के बीच खाद्य तेलों के दाम में महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों को अब राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार ने देश में खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 11,040 करोड़ रुपए के पाम ऑयल मिशन को मंजूरी दी है।
पाम ऑयल मिशन से पाम ऑयल के आयात पर निर्भरता घटेगी, किसानों की आमदनी बढ़ेगी और ऑयल इंडस्ट्री को भी फायदा होगा। दरअसल, सरकार ने पाम ऑयल से जुड़ी इंडस्ट्री लगाने पर 5 करोड़ रुपए की सहायता देने का एलान भी किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट मीटिंग में लिए गए इन फैसलों की जानकारी यूनियन मिनिस्टर अनुराग ठाकुर ने दी है।
क्या है पाम ऑयल मिशन?
नेशनल एडिबल ऑयल मिशन के तहत सरकार पाम ऑयल उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रही है। देश में तिलहन की उपज काफी कम है, जिसको बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत किसानों की आमदनी बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है।
क्या है पाम ऑयल?
पाम ऑयल एक तरह का खाने का तेल है जो ताड़ के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है। होटल, रेस्तरां में पाम ऑयल का इस्तेमाल खाद्य तेल की तरह होता है। नहाने वाले साबुन बनाने में भी पाम ऑयल का काफी इस्तेमाल होता है। इससे मुंह में पिघल जाने वाली क्रीम और टॉफी-चॉकलेट भी बनाए जाते हैं।
फिलहाल दुनियाभर में लगभग 8 करोड़ टन पाम ऑयल का उत्पादन हो रहा है। खाने के तेलों के टोटल इंपोर्ट में पाम ऑयल का हिस्सा 40% है। घरेलू खपत के लिए अधिकांश पाम ऑयल इंडोनेशिया और मलेशिया से आता है। जुलाई में पाम तेल का इंपोर्ट 43% घटकर 4,65,606 टन रह गया, जो पांच महीने का निचला स्तर था।