तकनीकी मंदी से बाहर निकला देश:GDP में रही 0.4% की ग्रोथ तो GST कलेक्शन ने बनाया रिकॉर्ड, ये हैं तीसरी तिमाही में तेजी के 5 कारण
लगातार दो तिमाही में गिरावट के बाद तीसरी तिमाही में पॉजिटिव ग्रोथ रही फरवरी महीने में घरेलू बाजार में करीब तीन लाख कारों की बिक्री हुई
नई दिल्ली। कोविड-19 का भारतीय इकोनॉमी पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ा है। इसी का कारण है कि चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाही में इकोनॉमी में गिरावट रही है। इससे देश में मंदी छाने का खतरा पैदा हो गया था। लेकिन अनलॉक के बाद आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार हो रहा है। इसका संकेत हाल में आए विभिन्न सेक्टर्स के पॉजिटिव नतीजों से मिला है। इन संकेतों से स्पष्ट हो गया है कि इकोनॉमी प्री-कोविड स्तर की ओर तेजी से बढ़ रही है और मंदी का खतरा टल गया है।
तीसरी तिमाही में GDP में 0.4% की ग्रोथ
चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश की GDP में 0.4% की ग्रोथ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस तिमाही में देश की अनुमानित GDP 36.22 लाख करोड़ रुपए रही है। बयान में कहा गया है कि निर्यात और फैक्टरी गतिविधियों में तेजी की बदौलत GDP में पॉजिटिव ग्रोथ रही है।
आंकड़ों में जनवरी में बिजनेस गतिविधियों में रिकवरी की बात कही गई है। हालांकि, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में देश की GDP में 8% की गिरावट का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP में 23.9% और दूसरी तिमाही में 7.5% की गिरावट रही थी।
फरवरी में पैसेंजर कार की बिक्री में 23% की ग्रोथ
आर्थिक गतिविधियों के साथ फरवरी में पैसेंजर कारों की बिक्री में भी 23% की ग्रोथ रही है। देश की टॉप-10 कार निर्माता कंपनियों ने फरवरी 2021 में 2,98,694 यूनिट्स की बिक्री की है। फरवरी 2020 में इन कंपनियों ने 2,41,533 यूनिट्स की बिक्री की थी। इन टॉप-10 कार निर्माता कंपनियों की कुल घरेलू कार बाजार में 97% हिस्सेदारी है।
लगातार पांचवें महीने GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए के पार
फरवरी 2021 में GST कलेक्शन 1.13 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रहा है। GST प्रणाली लागू होने के बाद यह पहला मौका है जब लगातार पांच महीने तक GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए के पार रहा है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी और फर्जी बिलों पर सख्ती बढ़ने के कारण GST कलेक्शन में तेजी आ रही है। इसके अलावा सरकार GST प्रणाली के तहत लीकेज को रोकने के लिए काफी सख्त कदम उठा रही है।
विदेशी निवेशकों ने 1.87 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया
भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार निवेश कर रहे हैं। पिछले पांच महीनों से लगातार FII शुद्ध निवेशक बने हुए हैं। इन महीनों में FII ने भारत के इक्विटी बाजार में 1.87 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें से 25,787 करोड़ रुपए का निवेश फरवरी महीने में हुआ है।
प्री-कोविड स्तर पर पहुंची पेट्रोल-डीजल की खपत
आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार का संकेत इस बात से भी मिलता है कि देश में पेट्रोल-डीजल की खपत प्री-कोविड स्तर के करीब पहुंच गई है। फरवरी महीने में सरकारी तेल कंपनियों ने 2219 TMT पेट्रोल की बिक्री की है। फरवरी 2020 में 2264 TMT पेट्रोल की बिक्री की थी। इसी प्रकार डीजल की खपत फरवरी 2020 की 6356 TMT के मुकाबले 5811 TMT रही है।
अगले साल तेल की खपत में 9.8% की ग्रोथ की उम्मीद
अगले साल देश में मार्च 2022 तक तेल की खपत में 9.87% की ग्रोथ रह सकती है। यदि ऐसा होता है तो बीते 6 सालों में यह सबसे ज्यादा ग्रोथ रहेगी। सरकार ने प्रारंभिक अनुमान में यह बात कही है। सरकार ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में देश में 215.24 मिलियन टन रिफाइंड फ्यूल की खपत रह सकती है। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों यानी अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के दौरान तेल की खपत में 13.5% की गिरावट आई है। कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते खपत में कमी आई है।
मैरीटाइम सेक्टर में 2030 तक 20 लाख नौकरियां पैदा होंगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 का ब्लूप्रिंट जारी कर दिया है। इसमें अगले 10 साल पोर्ट प्रोजेक्ट में 3 लाख करोड़ रुपए के निवेश की बात कही गई है। इस निवेश से मैरीटाइम सेक्टर में 2030 तक 20 लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान जताया गया है।
वांछित परिणाम देने लगे हैं सरकार के कदम: पनगढ़िया
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है क्योंकि खर्च बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम वांछित परिणाम देने लगे हैं। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कोरोनावायरस महामारी के कारण भारत के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में अभी और भी अधिक समय लगने की उम्मीद जताई गई है।
प्रख्यात अर्थशास्त्री ने अगले वित्त वर्ष में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के सरकार के फैसले को 50 साल पहले किए गए एक गलत को सही करने के लिए एक अभूतपूर्व प्रयास बताया। वह जाहिर तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय हुए बैंकों के राष्ट्रीयकरण का का जिक्र कर रहे थे।