अब हर 6 महीने में बढ़ेगी सैलरी, 3 करोड़ लोगों को होगा फायदा!

2001 के बाद सीपीआई-आईडब्ल्यू में संशोधन नहीं हुआ है, जबकि इसमें हर 5 साल में बदलाव की जरूरत है. 7वें वेतन आयोग के दौरान केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र में कर्मचारी संघ भी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू के आंकड़ों का सहारा लेते हैं.

  • सरकार के इस फैसले से देश में संगठित इंडस्ट्रियल सेक्टर के 3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा

नई दिल्ली। हर नौकरी-पेशा साल भर इस इंतजार में काम करता है कि उनकी तनख्वाह साल में एक बार जरूर बढ़ेगी. लेकिन अगर साल में दो बार वेतन में बढ़ोतरी हो तो फिर आप क्या कहेंगे? यानी हर 6 महीने में तनख्वाह बढ़ेगी. इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के ल‍िए यह किसी सौगात से कम नहीं है.

दरअसल केंद्र सरकार ने महंगाई से निपटने के लिए एक प्लान तैयार किया है. जिसके तहत कर्मचारियों पर बढ़ती महंगाई के बोझ को कम करने के लिए नए महंगाई सूचकांक के हिसाब से वेतन बढ़ोतरी तय की जाएगी.

नियम के मुताबिक इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले करीब 3 करोड़ कर्मचारियों की सैलरी महंगाई बढ़ने के हिसाब से हर 6 महीने में बढ़ेगी. जिससे कर्मचारियों पर बढ़ती महंगाई का असर कम हो.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़ा एक नया आधार तय किया है, जिनका महंगाई भत्ता इस महंगाई सूचकांक से जुड़ा होगा.

  • बता दें, पिछले महीने की 27 तारीख को मुख्य श्रम एवं रोजगार सलाहकार बी एन नंदा की अगुवाई में एक अहम बैठक हुई थी.
  • जिसमें इंडस्ट्रियल सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक नई सीरीज के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) को मंजूरी दी गई थी. इसके लिए 2016 को आधार वर्ष बनाया गया था.

एक अनुमान के मुताबिक मोदी सरकार के इस फैसले से देश में संगठित इंडस्ट्रियल सेक्टर के 3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का आकलन हर 6 महीने पर होता है. इस काम को अंजाम देने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू का सहारा लिया जाता है.

लेकिन 2001 के बाद सीपीआई-आईडब्ल्यू में संशोधन नहीं हुआ है, जबकि इसमें हर 5 साल में बदलाव की जरूरत है. 7वें वेतन आयोग के दौरान केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र में कर्मचारी संघ भी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू के आंकड़ों का सहारा लेते हैं.

  • गौरतलब है कि CPI का पुराना आधार मौजूदा गणना के अनुरूप नहीं है, क्योंकि पिछले दो दशकों में उपभोक्ता प्रारूप में खासा बदलाव आया है. महंगाई की गणना के लिए कुछ खास वस्तु और सेवाओं पर नजर रखी जाती है.

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