नई दिल्ली। नीति आयोग ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह पब्लिक सेक्टर के तीन बैंकों का निजीकरण कर दे. ये बैंक हैं पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र. इन सुझावों में सभी ग्रामीण बैंकों के मर्जर का भी सुझाव दिया गया है. इसके साथ ही एनबीएफसी को अधिक छूट देने की बात कही जा रही है. भारत सरकार अपने आधे से भी अधिक पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की योजना बना रही है. योजना ये है कि इनकी संख्या घटाकर 5 पर ले आया जाए.
इसकी शुरुआत बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक के अपने शेयर्स बेचने से हो सकती है. इसको लेकर पीएम मोदी ने बैंकों और एनबीएफसी के प्रमुखों के साथ बैठक भी की थी और बैंकिंग सेक्टर को फिर से पटरी पर लाने के उपायों पर चर्चा भी की गई थी.
आपको बता दें कि पिछले साल आईडीबीआई बैंक में भी हिस्सेदारी LIC को बेच दी थी. इसके बाद से ये बैंक प्राइवेट हो गया है. IDBI एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. LIC ने IDBI में 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी. इसके बाद LIC और सरकार ने मिलकर 9300 करोड़ रुपये IDBI बैंक को दिये थे. इसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 4,743 करोड़ रुपये थी.
अब सबसे बड़ा सवाल यहीं उठता है कि अगर ये बैंक प्राइवेट होते है तो ग्राहकों का क्या होगा? इस पर एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल बताते हैं कि इस फैसले से ग्राहकों पर कोई भी खास असर नहीं होगा. क्योंकि बैंक की सेवाएं पहले की तरह ही बरकरार रहती है.