ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर में झड़प, खालिस्तान समर्थन में नारेबाजी
अकाल तख्त और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से स्वर्ण मंदिर में बुलाए गए अरदास के कार्यक्रम के दौरान खालिस्तान समर्थक रेडिकल ग्रुपों से जुड़े लोगों ने खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की.
अमृतसर। पंजाब के अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर झड़प की खबर है. स्वर्ण मंदिर में कुछ सिख युवा, जरनैल सिंह भिंडरावाला की टी-शर्ट पहन कर पहुंचे. इसके बाद इन सिख युवाओं और एसजीपीसी टास्क फोर्स के बीच झड़प हो गई. बता दें, आज एसजीपीसी द्वारा अरदास के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में ही भिंडरावाला की टी-शर्ट पहन सिख युवा पहुंचे हैं.
Amritsar: Security heightened at the Golden Temple on the anniversary of Operation Blue Star. #Punjab pic.twitter.com/MciWYLb8iB
— ANI (@ANI) June 6, 2019
दरअसल, अकाल तख्त और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से स्वर्ण मंदिर में बुलाए गए अरदास के कार्यक्रम के दौरान खालिस्तान समर्थक रेडिकल ग्रुपों से जुड़े लोगों ने खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की और हाथों में तलवार भी लहराई. इस दौरान स्वर्ण मंदिर में मौजूद एसजीपीसी की टास्क फोर्स ने इन लोगों को समझाने की कोशिश भी की तो झड़प हुई.
बरसी के मौके पर स्वर्ण मंदिर और उसके आस-पास के इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पंजाब पुलिस के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं. इसके अलावा केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों की भी तैनाती की गई है.
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 35वीं बरसी
6 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार किया गया. भारतीय सेना का ये मिशन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों के चंगुल से छुड़ाना था. इस ऑपरेशन को स्वतंत्र भारत में असैनिक संघर्ष के इतिहास की सबसे खूनी लड़ाई माना जाता है. इस ऑपरेशन में सैकड़ों की संख्या में लोग मारे गए थे.
दुखती रग है ऑपरेशन ब्लूस्टार
ऑपरेशन ब्लूस्टार में 83 सेनाकर्मी और 492 नागरिक मारे गए. स्वतंत्र भारत में असैनिक संघर्ष के इतिहास में यह सबसे खूनी लड़ाई थी. भिंडरावाले और उसकी छोटी-सी टुकड़ी को काबू करने के लिए मशीन गन, हल्की तोपें, रॉकेट और आखिरकार लड़ाकू टैंक तक आजमाने पड़े. सिखों का सर्वोच्च स्थल अकाल तख्त तबाह हो गया. ब्लूस्टार के तूफान से सनडाउन और उसकी महंगी तैयारियां रॉ की गुप्त फाइलों में दबकर रह गईं. ऑपरेशन ब्लू स्टार आज भी भारत और विदेश में एक दुखती रग है. कुछ संगठन इसकी बरसी मनाते हैं.