नई दिल्ली. भाजपा ने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय से बजट-पूर्व चर्चा में शेयर बाजार से जुड़े टैक्स के नियमों में रियायत का सुझाव दिया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पार्टी नेताओं ने सरकार से इंडस्ट्री की मांगों और निवेश बढ़ाने के उपाय करने की मांग की है। इनमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) टैक्स को खत्म करने या होल्डिंग का समय बढ़ाने की मांग शामिल है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) के नियमों में बदलाव की सिफारिश भी की गई है।
शेयरों या इनमें निवेश वाले म्युचूअल फंड की यूनिट्स को निवेश की तारीख से एक साल बाद बेचने पर होने वाले मुनाफे पर 10% एलटीसीजी टैक्स लगता है। भाजपा ने इस टैक्स को खत्म करने या होल्डिंग का समय बढ़ाकर 2 साल करने की मांग की है। सरकार ने 2018 में इसे 14 साल बाद फिर से लागू किया था।
क्या है डीडीटी टैक्स?
डीडीटी वह टैक्स है जो कंपनियों द्वारा निवेशकों को दिए जाने वाले लाभांश (डिविडेंड) पर लगता है। कंपनियां तो 15% डीडीटी चुकाती ही हैं, वहीं निवेशकों को अगर एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपए से ज्यादा का डिविडेंड मिलता है तो उन्हें भी 10% टैक्स चुकाना पड़ता है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इन नियमों की वजह से विदेशी निवेशक अपने देश में टैक्स क्रेडिट का क्लेम नहीं कर पाते और छोटे निवेशकों को भी ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है।
‘एलटीसीजी और डीडीटी को लेकर चिंताएं हैं’
गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि एलटीसीजी और डीडीटी को लेकर चिंताएं हैं। इन टैक्सों की वजह से निवेशक भारत की बजाय सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और लंदन का रुख कर रहे हैं। ऐसे टैक्सों में कमी करना मुमकिन है, सरकार पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ेगा।