आर्थिक नीति पर स्वामी ने उठाए सवाल- नहीं आई नई नीति तो 5 ट्रिलियन को गुड बाय!
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने नई आर्थिक नीति पर सवाल उठाए हैं. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि नई आर्थिक नीति के बिना 5 ट्रिलियन इकोनॉमी संभव नहीं है. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केवल साहस या केवल ज्ञान से ही अर्थव्यवस्था को नहीं बचा सकते हैं. इसके लिए दोनों की जरूरत है. आज हमारे पास दोनों में से कोई भी नहीं है.
- स्वामी ने कहा कि नई आर्थिक नीति के बिना 5 ट्रिलियन इकोनॉमी मुमकिन नहीं
- केवल साहस या ज्ञान से अर्थव्यवस्था को नहीं बचा सकते, इसके लिए दोनों जरूरी
नई दिल्ली। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने नई आर्थिक नीति पर सवाल उठाए हैं. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि नई आर्थिक नीति के बिना 5 ट्रिलियन इकोनॉमी संभव नहीं है. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केवल साहस या केवल ज्ञान से ही अर्थव्यवस्था को नहीं बचा सकते हैं. इसके लिए दोनों की जरूरत है. आज हमारे पास दोनों में से कोई भी नहीं है.
असल में, आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका लगा है. देश की विकास दर में गिरावट दर्ज हुई है. पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है.
अगर सालाना आधार पर तुलना करें तो करीब 3 फीसदी की गिरावट है. एक साल पहले इसी तिमाही में जीडीपी की दर 8 फीसदी थी. पिछली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में गिरावट और कृषि उत्पादन में कमी का जीडीपी ग्रोथ पर ज्यादा असर हुआ.
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की किसी एक तिमाही में सबसे सुस्त रफ्तार है. करीब 7 साल पहले यूपीए सरकार में किसी एक तिमाही में जीडीपी के आंकड़े इस स्तर पर पहुंचे थे. वित्त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में जीडीपी के आंकड़े 4.9 फीसदी के निचले स्तर पर थे.
बता दें कि RBI ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी किया है. पहले चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया था.
अगर सेक्टर की बात करें तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष (2018-19) के 12.1 फीसदी की तुलना में महज 0.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सका है. वहीं एग्रीकल्चर और फिशिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 5.1 फीसदी की तुलना में 2 फीसदी की दर से आगे बढ़ा है.
आर्थिक सुस्ती दूर करने के लिए बड़ा फैसला
बहरहाल, सरकार ने आर्थिक सुस्ती दूर करने और देश में विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की शुक्रवार को घोषणा की. सरकार को उम्मीद है कि उसकी इस पहल से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी और देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी.
पिछले सप्ताह कर प्रोत्साहन उपायों की घोषणा करने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों के विलय का ऐलान किया. उन्होंने यह घोषणा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पहली तिमाही के वृद्धि दर का आंकड़ा आने से ठीक पहले की. इसके मुताबिक 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत रही जो छह साल से भी अधिक समय का न्यूनतम स्तर है.
बैंकों में प्रस्तावित इस विलय के बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी. वर्ष 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी।