बिहार आना चाहते हैं तो स्वागत है, लेकिन COVID-19 जैसी बीमारी ना लाएं: श्रम मंत्री विजय सिन्हा

जो लोग बिहार (Bihar) के बाहर रहते हैं, अगर वे बिहार आना चाहते हैं तो आए उनका स्वागत है, लेकिन जब बिहार आएं तो अपने साथ कोविड-19 (COVID-19) जैसी बीमारी ना लाएं. बिहार के श्रम मंत्री विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने ये बातें कहीं.

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पटना. जो लोग बिहार (Bihar) के बाहर रहते हैं, अगर वे बिहार आना चाहते हैं तो आए उनका स्वागत है. बिहार उनका अपना घर है, लेकिन जब बिहार आएं तो अपने साथ कोविड-19 (COVID-19) जैसी बीमारी ना लाएं. बिहार के श्रम मंत्री विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने ये बातें कहीं. NEWS18 ने  जब उनसे सवाल किया कि क्या बिहार से बाहर जो मजदूर, छात्र और पर्यटक फंस गए हैं,  उनकी संख्या लाखों में है. क्या सुविधा है उन लोगों को लाने की? इस सवाल के जवाब में मंत्री लाने की बात भी बोल रहे हैं और आशंका भी ज़ाहिर कर रहे हैं.

बिहार में मात्र 600 बसें हैं
दरअसल केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ अप्रवासी मज़दूरों और छात्रों को लाने की इजाज़त बिहार सरकार को दे दी है, लेकिन बिहार सरकार के सामने जो मजबूरी आ रही है वो ये है कि बिहार में सरकारी बसों की संख्या बहुत कम है. बिहार में सरकारी बस की संख्या 350 है  और PPE मोड के बसों की संख्या 250  है. दोनों मिलाकर कुल 600 बसें हैं. इसमें भी 120  सिटी बस है. वही बिहार में प्राइवेट बस की अनुमानित संख्या 20 हजार से कुछ ज्यादा है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इतनी बड़ी संख्या में बिहार के बाहर फंसे लोगों को सरकार कैसे ला पाएगी. भले ही अब सुशील मोदी स्पेशल ट्रेन चलाने की बात कह रहे हैं.

एक आंकड़े के मुताबिक, बिहार के बाहर रहने वाले लोगों के अनुमानित आंकड़े इस प्रकार हैं –
  1. गुजरात – 206516
  2. महाराष्ट्र – 268507
  3. हरियाणा – 296111
  4. उत्तर प्रदेश – 187754
  5. मध्य प्रदेश – 32846
  6. पंजाब – 152281
  7. पश्चिम बंगाल – 99221
  8. कर्नाटक – 104884
  9. तमिलनाडु – 87898
  10. राजस्थान – 87569
  11. तेलंगना – 57930
  12. असम – 26329
  13. दिल्ली – 4,75073

इस संकट से भी हम बाहर निकलेंगे: विजय सिन्हा
श्रम मंत्री कहते हैं, इतनी बड़ी आबादी को बिहार में लाने में समस्या तो है लेकिन बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो अब हालात ठीक होने के बाद बिहार आना ही नहीं चाहते हैं. समस्या तो यह है लेकिन फिर भी इसके लिए हमारी सरकार वैसे राज्यों से बात कर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेगी. यह प्रक्रिया कब तक चलेगी. इस बारे में फ़िलहाल कुछ नहीं कह सकते हैं. वहीं सूचना और जनसम्पर्क  मंत्री नीरज कुमार कहते हैं कि बिहार सरकार संवेदनशील है और जब बिहार में कोयला नहीं था तब बिजली के मामले में राज्य आत्म निर्भर हो गया था. सड़क ठीक नहीं थे तो आज बिहार में सड़क की गुणवत्ता की देश भर में चर्चा होती है. इस संकट से भी हम बाहर निकलेंगे. नीतीश कुमार हर बात पर नज़र बनाए हुए हैं.

17 लाख 28 हजार लोगों के खाते में पहुंच चुके हैं 1-1 हजार रुपए
सरकारी आंकड़े के मुताबिक, बिहार से बाहर फंस हुए अभी तक 27  लाख के आसपास के लोगों ने आपदा विभाग के साइट पर ऑनलाइन आवेदन किया है, जिसमें लगभग 17 लाख 28 हजार लोगों के खाते में एक-एक हजार रुपए की राशि पहुंचा दी गई है. बाक़ी लोगों की प्रकिया चल रही है. बहरहाल राजद और कांग्रेस के नेता अब सीधे नीतीश सरकार पर निशाना साध रहे हैं. वे सवाल पूछ रहे हैं कि अब कोई बहाना नहीं चलेगा.

फंस गई है नीतीश की गर्दन: विजय प्रकाश
कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं, बिहार सरकार दलील देती थी कि केंद्र कोई दिशा-निर्देश जारी करे. अब तो मिल गया दिशा-निर्देश. बिहार सरकार अब देर नहीं करे. वहीं राजद विधायक विजय प्रकाश कहते हैं कि नीतीश कुमार हर मोर्चे पर फेल है, लेकिन इस बार उनकी गर्दन फंस गई है. नीतीश केंद्र का हवाला देकर बचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब क्या करेंगे? बिहार की जनता सब देख रही है.

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