17 दिन में 128 बच्चों की मौत के बाद आज मुजफ्फरपुर पहुंचे नीतीश, लगे मुर्दाबाद के नारे

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. बिहार में बच्चों की मौतों पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है.

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मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर में इन दिनों एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है।  बच्चे रोजाना इस बीमारी के कारण काल के गाल में समा रहे हैं। पिछले 17 दिनों में 128 बच्चों की मौत (समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार 108 बच्चों) होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नींद टूटी है। वह आज को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) का दौरा करने पहुंचे। यहां उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय लोग एसकेएमसीएच अस्पताल के बाहर उनके खिलाफ प्रदर्शन की और नीतीश गो बैक और मुर्दाबाद के नारे लगाए।

मुख्यमंत्री से मिलकर बात करना चाहते हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दे रहा

मुख्यमंत्री ने अस्पताल पहुंचकर आईसीयू में भर्ती बच्चों को देखा और उनके परिजनों से बात की। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि दिमागी बुखार के लिए जो वायरस जिम्मेदार है उसका पता लगाइये। वहीं एसकेएमसीएच अस्पताल के बाहर पीड़ित बच्चों के परिजनों ने हंगामा किया क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया। वह अस्पताल की खराब स्थिति से नाराज हैं। लोगों का कहना है कि वह मुख्यमंत्री से मिलकर बात करना चाहते हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दे रहा है। बिहार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा, ‘एईएस के प्रकोप के कारण एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। अभी तक 200 बच्चों का इलाज करके उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।’

बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है. वहीं चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) सुबह 10:30 बजे मुजफ्फरपुर अस्पताल का दौरा करेंगे.

मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफेलाइटिस वायरस की वजह से बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है. मानवधिकार आयोग ने कहा कि सोमवार को बिहार में एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई है और राज्य के अन्य जिले भी इससे प्रभावित हैं. इसके साथ ही आयोग ने इंसेफेलाइटिस वायरस और चमकी बुखार की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है. मानवधिकार आयोग ने चार हफ्तों में जवाब मांगा है.

मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक

बिहार में महामारी की तरह फैल रहे चमकी बुखार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की. जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया, सरकार ने फैसला किया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है, टीम बीमारी के बैक ग्राउंड को जानने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि आखिर इस बीमारी की वजह क्या है. कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, लेकिन कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई.

चमकी बुखार से राज्य के 12 जिले प्रभावित

नीतीश कुमार की बैठक में फैसला किया गया कि चमकी से प्रभावित बच्चों को निशुल्क एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी और पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. वहीं इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि चमकी बुखार से बिहार के कुल 12 जिले के 222 प्रखंड प्रभावित हैं. लेकिन इनमें से 75 प्रतिशत केस मुजफ्फरपुर में हैं.

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र सिंह कुशवाहा ने भी सोमवार को अस्पताल का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 साल पहले भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जांच का ऐलान और 100 बेड के सुपर स्पेशलिटी वाले यूनिट के निर्माण का ऐलान किया था. 2014 में 379 बच्चों की मौत हुई थी.

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