पंजाब में किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं और आंदोलन कर रहे हैं। किसान कृषि विधेयकों के खिलाफ हाइवे, रेल ट्रैक सहित अन्य प्रमुख सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद वे कृषि विधेयकों से अनजान हैं। किसान विधेयकों के बारे में बिना जाने कई शंकाओं से घिरे हैं। वे नहीं जानते कि आने वाले समय में उनकी फसलों की बिक्री के लिए विधेयकों में क्या राहत दी गई है। ऐसे में पूरे आंदोलन को लेकर सवाल भी पैदा हाे रहे हैं।
चाहते हैं कि कानून बनने व लागू से पहले उन्हें पूरी जानकारी दी जाए
शुक्रवार को विभिन्न जिलों में केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया और आज भी किसानों का रेल रोकाे आंदाेलन जारी है। किसान रेल ट्रैकों पर वीरवार से जमे हैं। ऐसे में किसानों से जब उनके विरोध और विधेयकों को लेकर सवाल किए गए तो वह इसे लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता पाए। सब ने यही कहा कि अब किसानों को फसल का सही मूल्य नहीं मिलेगा और निजी कंपनियां मनमर्जी से मोलभाव करेंगी।
केंद्र सरकार जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व मंडी की व्यवस्था बरकरार रखने का दावा कर रही है। वहीं किसानों में रोष इस बात को लेकर है कि सरकार एमएसपी व मंडियों को खत्म किया जा रहा है। शंकाओं से घिरे किसानों ने सरकार से कहा कि अगर विधेयक लाना ही था तो पहले किसानों को इसके बारे में समझाया जाना चाहिए था।
कृषि बिल के सवाल का जबाव: क्या किसानों का हक़ मार लेंगे बड़े उद्योगपति?
केंद्र सरकार की ओर से कृषि सुधार बिल कहे जा रहे तीन में से दो विधेयक रविवार को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गए. अब इस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अंतिम मुहर लगनी बाकी है जिसके बाद यह क़ानून बन जाएगा.
दो बिल जो संसद से पास हो चुके हैं उनमें से एक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, और दूसरा कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020 है.
इन विधेयकों के ख़िलाफ़ हरियाणा-पंजाब के किसान कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं और इसको लेकर किसानों की अलग-अलग आशंकाएं हैं.
किसानों का मानना है कि यह विधेयक धीरे-धीरे एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) यानी आम भाषा में कहें तो मंडियों को ख़त्म कर देगा और फिर निजी कंपनियों को बढ़ावा देगा जिससे किसानों को उनकी फ़सल का उचित मूल्य नहीं मिलेगा.
मैं पहले भी कहा चुका हूं और एक बार फिर कहता हूं:
MSP की व्यवस्था जारी रहेगी।
सरकारी खरीद जारी रहेगी।
हम यहां अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2020