बठिंडा ग्रीन सिटी कालोनी में ट्रैडर दविदंर गर्ग ने पत्नी सहित दो बच्चों की हत्या कर किया सुसाइड, मरने से पहले लिखे खत में 9 लोगों को बताया मौत का जिम्मेवार

वर्तमान में ट्रैडिंग के दौरान आईडी में लाखों का लेनदेन होने के साथ कुछ लोगों की देनदारी देने के मामले में मानसिक तौर पर बताया जा रहा था परिवार परेशान। खत में कई लोगों के नाम लिखे जिनके बारे में पुलिस कर रही है गहनता से जांच। आत्महत्या के लिए जिम्मेवार लोगों पर होगा मामला दर्ज।

बठिंडा. बठिंडा की सबसे पाश कालोनी ग्रीन सिटी में आर्थिक तंदी व कर्ज से परेशान एक ट्रेडर ने अपनी पत्नी व दो बच्चों सहित गोली मारकर आत्महत्या कर ली। ग्रीन सिटी में 284 नंबर कोठी में किराये पर रहने वाले दविंदर गर्ग उम्र 41 साल ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है इसमें अपनी आर्थिक मदहाली के साथ लोगों से लिए उधार पैसे वापिस करने की स्थिति में मानसिक तौर पर परेशान रहने का जिक्र किया है। वही इसमें पैसे लेने के लिए उसे मानसिक तौर पर परेशान कर रहे कुछ लोगों का भी जिक्र किया है। इसमें करीब 9 लोगों के नाम लिखे हैं । फिलहाल सूचना मिलने के बाद एसएसपी बठिंडा भुपिंदरजीत सिंह विर्क व पुलिस के डीएसपी व आला अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है।

मृतकों में ट्रैडर दविंदर गर्ग उम्र 41 साल, उनकी पत्नी मीना गर्ग उम्र 38 साल, बेटी अरुष गोयल उम्र 14 साल व बेटी मुस्कान गर्ग उम्र 10 साल शामिल है। दविंदर गर्ग लंबे समय से विभिन्न कंपनियों में चैन मार्किटिंग का काम करते थे व कई कंपनियां जो बाद में चीटफंड कंपनी बनी में लाखों का लेनदेन दविंदर गर्ग ने किया था इसके चलते एक समय ऐसा भी आया जब उनकी आर्थिक हालत खस्ता हो गई व उन्हें अपनी प्रापर्टी व दूसरे एसिस्ट बेचने भी पड़े थे लेकिन पुछले कुछ समय से वह स्वंंय को स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन इसी दौरान फिर से उनकी देनदारी बढ़ने लगी थी। वही कई चीटफंड कंपनियों ने उनके माध्यम से पैसे लगाए व कंपनियां भाग गई इसके चलते भी उनकी स्थिति खराब हो गई। बताया जा रहा है उन्होंने फोरन करंसी बीटकान में भी इन्वेट किया था व आगे लोगों को इसमें पैसे लगवाने का काम भी कर रहे थे। वीरवार की दोपहर बाद उन्होंने पत्नी व बच्चों की हत्या करने के बाद खुद को गोली से उड़ाया व सभी के सिर में गोली मारी। दोपहर बाद मकान मालिकों ने जब कमरा बंद देखा तो उन्होंने पहले खटखटाया लेकिन जब दरवाजा नहीं खुला तो उन्होंने आसपास के लोगों को जानकारी दे दरवाजा तोड़ा। इसके बाद चारों के शव खून से सने जमीन पर पड़े थे। फिलहाल पुलिस आरंभिक जांच में मामला परिजनों की हत्य़ा व सुसाइड का मानकर जांच कर रही है। वही उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने वाले नौ लोगों की तलाश में जुट गई है।

गौरतलब है कि मृतक दविंदर गर्ग विभिन्न आईडी पर ट्रैडिंग का काम करता था। इस दौरान लोगों से पैसों का लेनदेन चलता था। कोरोना के समय में भी ट्रैडिग का काम किया गया लेकिन इस दौरान लोंगों की देनदारी लाखों में हो गई थी जिसके लिए लोग उसे पैसे देने के लिए लगातार फोन करते थे। यही नहीं उक्त ट्रैडिंग सट्टा अधारित थी या फिर लीगल इसके बारे में अभी जांच चल रही है। शहर में रातों रात अमीर बनने का सपना लेकर शहर के कई व्यापारी गैरकानूनी डब्बा व्यापार का धंधा भी करने लगते हैं इसमें बनी आईडी में सट्टेबाजी का धंधा भी चल रहा है। पुलिस को आशंका है कि उक्त व्यापारी भी सट्टे के कारोबार में पैसा लगा लोगों को अमीर बनाने के सपने दिखाने वाले कुछ लोगों के झांसे में आकर काम कर रहा होगा जिसमें पूरा लेनदेन दो नंबर में होने के कारण मामले की शिकायत पुलिस के पास भी नहीं की गई होगी व आखिरकार देनदारों की तरफ से मानसिक तौर पर लगातार परेशान करने के चलते उसने आत्महत्या व परिवार की हत्या करने जैसा दुसाहसी कदम उठा लिया। फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले में जमी पर्त को हटाने में जुटी है।

गौरतलब है कि 8 अक्तूबर 2020 को भी इसी तरह का मामला थाना दयालपुरा पुलिस ने दर्ज किया था । बठिंडा गांव हमीरगढ़ में एक दिल दलहाने वाली घटना हुई थी। गांव के रहने वाले 32 वर्षीय एक व्यक्ति ने अपने तीन छोटे व मासूम बच्चों की पहली हत्या की और उनके शवों को फंदे से लटका दिया। इसके बाद खुद भी फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली है।

घटना का पता चलने पर गांव वालों ने घर का दरवाजा तोड़ा और मामले की जानकारी पुलिस को दी गई थी। घटनास्थल का जायजा लेने के बाद चारों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल रामपुरा फूल पहुंचाया गया। इस घटना के बाद जहां पर पूरे गांव में सनसनी फैल गई , वहीं मासूम बच्चियों की मौत को लेकर शोक की लहर हैं। बच्चों की पहचान पांच वर्षीय बेटा प्रभजोत सिंह, तीन साल की बेटी खुशप्रीत कौर व सवा साल की बेटी सुखप्रीत कौर के तौर पर हुई। बताया जा रहा हैं मृतक की पत्नी लवप्रीत कौर की करीब डेढ़ माह पहले कैंसर के कारण मौत हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद तीनों बच्चों के पालन पोषण करने की जिम्मेदारी आने के कारण वह काम नहीं कर पा रहा था, जिसके चलते वह मानसिक परेशान भी रहने लगा था। शायद इसी मानसिक परेशानी के चलते उसने यह कदम उठाया हैं। गांव वालों का कहना है कि मृतक बेअंत सिंह मेहनती व अनखी टाइप का व्यक्ति था। उसने कभी भी गांव के किसी भी व्यक्ति से एक रुपये उधार तक नहीं लिए।

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