BATHINDA ब्लड बैंक में लपरवाही की हद पार-रक्त चढ़ाने आए एक और थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट एचआईवी पोजटिव

सेहत विभाग के अधिकारी, ब्लड बैंक के कर्मी थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों की जिंदगी से कर रहे खिलवाड़ -छह माह से गंभीर बीमारियों की जांच के लिए रखी इलाइजा टेस्ट मशीन खराब, किसी भी अधिकारी ने ठीक करवाने की जरुरत नहीं समझी, सामाजिक धार्मिक व राजनीतिक संगठनों ने रखी मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग, भाजपा ने कहा मामला काफी गंभीर सीबीआई करे जांच, जिम्मेवार अधिकारियों से लेकर कर्मियों पर दर्ज हो आपराधिक केस।

बठिंडा. थैलेसीमिया से पीड़त 11 साल के एक और बच्चे की रिपोर्ट मंगलवार को एचआईवी पोजटिव मिली है। सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से उक्त बच्चे को रुटीन में तय समय के अंदर रक्त चढ़ाने के लिए लाया गया था। इसमें करीब छह अन्य बच्चे भी शामिल थे। रक्त चढ़ाने से पहले तय मानक के अनुसार उनका एचआईवी टेस्ट करवाया जाता है। मंगलावर को सभी सात बच्चों को टेस्ट करवाने के बाद छह की रिपोर्ट नेगटिव मिली जबकि शेखपुरा बठिडा वासी 11 साल के बच्चे की रिपोर्ट पोजटिव मिली।

इसके बाद उक्त बच्चे को अस्पताल में दाखिल कर लिया गया है लेकिन उसे रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया में नहीं रखा गया है। जिले में बच्चों के अंदर एचआईवी पोजटिव एक माह के अंदर यह तीसरा मामला है इससे पहले अक्तूबर माह में एक सात साल के बच्चे व इसी माह 9 नवंबर को 11 साल के बच्चे में एचआईवी पोजटिव के लक्षण मिले थे। फिलहाल लगातार आ रहे केस ने सिविल अस्पताल प्रबंधन के साथ ब्लड बैंक की कारगुजारी पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। हालात इस कदर बदतर हो रहे हैं कि पहले से जिंदगी के लिए मौत से लड़ रहे इन बच्चों को जहां अस्पताल में आकर नई किरण की उम्मीद होती है वही अस्पताल इन बच्चों को अपने कर्मचारियों व प्रबंधन की लापरवाही से अधेरे की तरफ धकेलने का काम कर रही है।

इस मामले में राज्य सेहत विभाग भी आंख मूंदकर बैठा है व किसी तरह की सख्त कारर्वाई करने से गुरेज कर रहा है। फिलहाल इस संगीन मामले में अब सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग करनी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि यह मामला सामान्य नहीं है बल्कि साजिश व लापरवाही का एक बड़ा घोटाला है जिसका पर्दाफाश करने के साथ जिम्मेवार लोगों पर सख्त कारर्वाई आज की जरूरत है।

सिविल अस्पताल प्रबंधन की इस तरह के मामलों में बड़ी लापरवाही इस मायने में भी उजागर हो रही है कि अस्पताल में एचआईवी व अन्य गंभीर बीमारियों की जांच के लिए होने वाले इलाइजा टेस्ट की मशीन पिछले छह माह से खराब पड़ी है जबकि सिविल अस्पताल के कर्मी रैपिड टेस्ट के माध्यम से ही जांच कर रहे हैं जिसे लेकर सेहत विभाग स्वयं कह चुका है कि रैपिड टेस्ट किसी भी बीमारी की गहनता से जांच के लिए सही पैमाना व पुख्ता रिपोर्ट नहीं है। इस मशीन को खराब होने के बाद ठीक करवाने की जहमत किसी भी अधिकारी ने नहीं उठाई जबकि इसकी जिम्मेवारी सीधे तौर पर सीएमओ, एसएमओ की होती है।

दूसरी तरफ गत सात नवंबर को मिले थैलेसीमिया पीड़ित 11 साल के बच्चे को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने कगे केस की जांच गत दिवस शुरू हो गई। सोमवार को पीड़ित बच्चे के परिवार के सदस्यों के जांच कमेटी ने बयान दर्ज किए। वहीं अपने स्तर पर जांच करने के लिए सोमवार को चंडीगढ़ से एक विशेष टीम पहुंची थी जिसने पूरा दिन इस मामले से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों से बातचीत की। लोकल स्तर पर बनी जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट मंगलवार को एसएमओ को सौंपेनी थी लेकिन इसी बीच लापरवाही का एक और नया मामला सामने आ गया। जिसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह रिपोर्ट हेल्थ डायरेक्टर मंजीत सिंह को लिखेंगे। सेहतमंत्री बलवीर सिंह सिद्धू ने भी इस सारे मामले की जांच डायरेक्टर मंजीत सिंह को सौंपी है।

वहीं सोमवार को फिर से बच्चे के खून के सैंपल व संबंधित डोनर के सैंपल जांचे गए तो खून एचआईवी पाजिटिव मिला। अब तक की गई जांच में ये बात सामने आई है कि 11 साल के बच्चे को जिस एचआईवी पॉजिटिव डोनर का ब्लड लगा था, उस डोनर की पहचान भी सेहत विभाग की जांच कमेटी ने कर ली है। उक्त डोनर तीन बार खूनदान कर चुका है। ऐसे में सीधे तौर पर ब्लड बैंक के कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

 

सोसायटी का आरोप- मुलाजिमों को बचा रहे अधिकारी

सोमवार को पीड़ित बच्चे के परिवार के साथ सरकारी अस्पताल पहुंचे बठिंडा थैलेसीमिया वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों का आरोप है कि सेहत विभाग जिम्मेदार ब्लड बैंक मुलाजिमों को बचाने में लगा है। सोसायटी के प्रधान सुरेशपाल व महिंदर सिंह ने कहा कि हर 15 दिन में 35-40 के करीब थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को खून लगता है। उनकी मांग है कि सभी बच्चों के एचआईवी टेस्ट करने के अलावा सभी तरह के टेस्ट होने चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि ब्लड बैंक कर्मचारी बिना जांच किए ब्लड जारी कर रहे हैं। इससे पहले भी कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई थी।

जांच रिपोर्ट आने के बाद होगी आगे की कार्रवाई
एसएमओ डाक्टर मनिंदरपाल सिंह का कहना था कि मंगलवार को जिस बच्चे की रिपोर्ट एचआईवी पोजटिव मिली है उसकी जांच के लिए गठित कमेटी ही तथ्य जुटाएंगी व इसमें पता लगाने की कोशिश करेगी कि आखिर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी रक्त कैसे चढ़ा।

 

पहले मामले में तीन कर्मचारियों पर हो चुकी कार्रवाई

अक्तूबर के पहले सप्ताह में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया था। इस मामले में सेहत विभाग ने सीनियर लैब टेक्नीशियन रोमाना को सस्पेंड कर उसके खिलाफ हत्या के प्रयास के तहत थाना कोतवाली में केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था। इसके अलावा डाक्टर करिश्मा और जूनियर लैब टेक्नीशियन रुचि को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।

 

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