बठिंडा. बठिंडा में सिविल अस्पताल बठिंडा स्थित ब्लड बैंक की लापरवाही से एक महिला के साथ उसके पति व बच्चा एचआईवी पोजटिव हो गए। उक्त महिला की तरफ से इंसाफ के लिए दायर याचिका पर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार, एसएसपी बठिंडा और एसएचओ कोतवाली बठिंडा को नोटिस जारी किया है।
इसमे प्रभावित महिला ने एक याचिका दायर कर एसएमओ सिविल अस्पताल बठिंडा और दो पूर्व ब्लड बैंक अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह पुरी की एचसी बेंच ने संबंधित लोगों को 30 नवंबर 2021 को पेश होने की हिदायत दी है। महिला की तरफ से दायर याचिका में डा. मनिंदर सिंह के खिलाफ मामले में लापरवाही बरतने व सिविल अस्पताल के प्रमुख होने के नाते समय पर पुख्ता कारर्वाई नहीं करने का आरोप लगा प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है। वही कोतवाली थाना प्रभारी ने इस मामले में शिकायत मिलने के बावजूद लंबे समय तक मामले को लटकाकर रखा वही ब्लड बैंक सीएच बठिंडा के दो पूर्व अधिकारियों ने भी इस मामले में जानबूझकर लापरवाही बरती। इसी के चलते आरोपी लोगों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई करने के लिए अदालत में याचिका दायर की गई है।
याचिका में महिला ने कहा है कि जब वह 6 मई, 2020 को एनीमिया के इलाज के लिए सिविल अस्पताल, बठिंडा में भर्ती थी तो उसे पूर्व लैब तकनीशियन रिचा गोयल की तरफ से एचआईवी पोजटिव खून चढ़ाया था। उन्होंने आगे आरोप लगाया है कि ब्लड बैंक की प्रभारी डॉ. कृष्णा गोयल को मई, 2020 में ही इस प्रकरण के बारे में पता चला, लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी। 5 अक्टूबर, 2020 को डॉक्टरों की एक कमेटी ने उपरोक्त आरोपों की पुष्टि करते हुए डा. मनिंदर सिंह, एसएमओ, बठिंडा को एक जांच रिपोर्ट सौंपी।
डॉ. मनिंदर सिंह, एसएमओ ने याचिकाकर्ता का पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया और अगस्त 2021 में बहुत देर से संपर्क साधा गया। उन्होंने सिविल अस्पताल, बठिंडा का दौरा किया और एचआईवी पोजटिव के रूप परिवार के दूसरे मैंबरों के रक्त की जांच की तो उनके पति और 3 साल की बेटी भी संक्रमित मिली। इन तीनों को 28 अगस्त, 2021 को सिविल अस्पताल बठिंडा के एआरटी सेंटर में नियमित इलाज के लिए भर्ती कराया गया। याचिका दायर करने वाली महिला का कहना है कि अगर सिविल अस्पताल प्रबंधन समय पर उनके परिवार की जांच करता तो शायद वह पोजटिव होने से बच सकते थे। इस तरह घोर लापरवाही के शिकार हुए तीनों की जान से खिलवाड़ करने के लिए डा. मनिंदर सिंह एसएमओ, रिचू गोयल और डॉ कृष्णा गोयल जिम्मेवार है। वही बठिंडा पुलिस ने 10 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की व इसमें केवल एक वरिष्ठ मेडिकल टैक्निसियन बलदेव सिंह रोमाना के खिलाफ केस दर्ज किया जबकि दो अन्य आरोपियों को पूरे मामले में बचाने की कोशिश की गई। याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि एसएमओ की ओर से एचआईवी रक्त चढ़ने की जानकारी मिलने के बाद 10 महीने तक उससे संपर्क नहीं किया जिससे उपचार में देरी हुई और इस अवधि के दौरान उसके पति और बेटी भी संक्रमित हो गई। इस प्रकार भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के तहत उक्त सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। इस मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने कहा कि मानवीय अधिकारों के हनन के साथ यह घोर मेडिकल लापरवाही का मामला है व इसमें किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
फोटो -ब्लड बैंक सिविल अस्पताल बठिंडा।