Bathinda-कितने लोगों ने रक्तदान किया व उनकी जांच रिपोर्ट क्या मिली को लेकर सेहत विभाग ने साधी चुप्पी
-बाल सुरक्षा आयोग ने पांच साल के रिकार्ड की जांच करने की दे रखी है हिदायत -थेलेसीमिया पीड़ित परिवारों में भय का माहौल, कर्जा लेकर बाहर से करवा रहे बच्चों का उपचार
बठिंडा. सिविल अस्पताल बठिंडा के ब्लड बैंक में पिछले दिनों थेलेसीमिया पीड़ित चार बच्चों व एक महिला को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने के मामले की जांच में अभी भी औपचारिकता हो रही है। इसका खुलासा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सेहत विभाग के साथ बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने ब्लड बैंक में पिछले पांच साल में रक्तदान करने आए लोगों के सैंपल लेने व उनकी जांच करने की हिदायत दी थी।
इसमें पिछले दिनों जांच शुरू करने का दावा स्थानीय सेहत विभाग के अधिकार कर रहे हैं लेकिन उक्त जांच कहां तक पहुंची इसकी जानकारी कोई भी देने से इंकार कर रहा है। यहां तक कि पिछले रिकार्ड में कितने रक्त डुनेट करने वालों की जांच हुई व इसमें कितने लोगों की रिपोर्ट पोजटिव व नेगटिव मिली है इसकी जानकारी देने में सिविल अस्पताल के जिम्मेवार अधिकारी भाग रहे हैं। इसमें जानकारी नहीं देने व मामले को दबाने की नीति इस मायने में भी खतरनाक व नुकसानदेह मानी जा रही है कि अगर कोई डोनर एचआईवी पोजटिव मिलता है व उसकी जानकारी विभाग की तरफ से संबंधित विभाग व प्रभावित व्यक्ति तक नहीं दी जाती है तो संक्रमण आगे फैलने का खतरा बना रहता है। ब्लड बैंक में अधिकतर डोनर ऐसे आते है जो साल में तीन से चार बार रक्तदान करते हैं।
उक्त रक्त आगे कई जरुरतमंदों को चढ़ाया जाता है। इस स्थिति में रक्त लेने वाले व्यक्ति के भी संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है। सेहत विभाग की इसी तरह की लापरवाही का नतीजा है कि सिविल अस्पताल ब्लड बैंक में पिछले दो माह में ही 20 थेलेसीमिया बच्चों की जांच करने पर चार को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने की लापरवाही सामने आ चुकी है। इसमें अभी 20 अन्य बच्चों की जांच नहीं हो सकी है। इसी बीच राज्य बाल सुरक्षा आयोग ने हिदायत दी थी कि सिविल अस्पताल ब्लड बैंक में लगातार लापरवाही के मामले आने के मद्देनजर पूर्व में रक्तदान करने वाले व रक्त हासिल करने वाले लोगों के एलाइजा टेस्ट करवाए जाए। वही अगर कोई डोनर पोजटिव मिलता है तो उसकी तरफ से जिन लोगों को अब तक रक्तदान किया है उसकी भी जांच की जाए ताकि मामले की कड़ी को जोड़कर संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इसमें आयोग ने 17 दिसंबर तक रिपोर्ट तैयार कर देने की हिदायत दी है इसी के चलते सेहत विभाग की टीम रक्तदानियों को बुलाकर सैंपल ले रही है पर इसमें कितने लोगों की रिपोर्ट पोजटिव व नेगटिव मिली है इसके बारे में किसी तरह का खुलासा नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि सेहत विभाग में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में सभी प्रभावित व्यक्तियों ने लिखित में शिकायत सेहत विभाग के अधिकारियों के पास कर रखी है लेकिन इसमें दो मामलों की जांच चल रही है लेकिन अन्य दो मामलों में शिकायत मिलने के बावजूद भी जांच शुरू नहीं की जा रही है। इससे पहले सेहत विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि जब तक प्रभावित लोगों की तरफ से उन्हें लिखित शिकायत नहीं दी जाती वह जांच शुरू नहीं कर सकते हैं। दूसरी तरफ थेलेसीमिया से पीड़ित परिवार सिविल अस्पताल में हो रही लगातार लापरवाही के चलते अब सिविल अस्पताल में अपने बच्चों का उपचार करवाने से गुरेज कर रहे हैं। थेलेसीमिया से पीड़ित 11 साल के एक बच्चे के पिता ने बताया कि सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में आए दिन लापरवाही हो रही है व इसमें किसी भी प्रभावित व्यक्ति व उसके परिजनों की सुनवाई नहीं हो रही है। इस स्थिति में वह कर्ज लेकर अपने बच्चे का इलाज अब प्राइवेट अस्पताल में करवा रहे हैं।