Bathinda Blood Bank में चल रहा था कमाई के साथ रंजिश निकालने का गौरखधंधा,एचआईवी खून 2 मरीजों को चढ़ाने के मामले में बाल सुरक्षा आयोग ने मांगी रिपोर्ट,

पंजाब राज्य बाल अधिकार रक्षा कमिशन ने मांगी 10 दिनों में डीसी से रिपोर्ट -सिविल अस्पताल ब्लड बैंक में 8 साल के बच्चे को एचआईवी पोजटिव ब्लड चढ़ाने का लिया संज्ञान ब्लड बैंक में एचआईवी खून मरीज को चढ़ाने के मामले में जांच टीम के सामने आए लापरवाही के नए तथ्य, मामला अधिकारी की तरफ से जांच कीट में घपला करने, आपसी रंजिश निकालने के साथ जुड़ा, टीम ने अलग से शुरू की जांच

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बठिंडा. बठिंडा के सिविल अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक में दो लोगों को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने के मामले की जांच में तेजी लाते आरोपियों की पहचान करना शुरू कर दी है। ब्लड बैंक की एक अधिकारी की तरफ से नीजि फायदा हासिल करने व घपले को अंजाम देने के साथ आपसी रंजिश निकालने के लिए मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था। इसमें अस्पताल की कीटों को खुर्दबुर्द करने की आशंका भी जताई गई है व जांच टीम के सामने स्टाक पूरा करने के लिए बाहर से अलमारी में सामान लाकर रखने से इस आरोप के पुख्ता होने का पता चलता है। फिलहाल सिविल अस्पताल प्रबंधन व जांच टीम को इस बात की चिंता है कि उक्त अधिकारी ने इसके अलावा भी कई अन्य लोगों के रक्त की जांच किए बिना ही ओके की मोहर लगा दूसरों को रक्त चढ़ाया होगा।

वही पंजाब राज्य बाल अधिकार रक्षा कमिशन ने बठिंडा में सिविल अस्पताल ब्लड बैंक की तरफ से 8 साल के बच्चे को एचआईवी पोजटिव ब्लड चढ़ाने का कड़ा संज्ञान लिया है। अखबार में प्रकाशित खबर के बाद आयोग ने इस बाबत बठिंडा के डिप्टी कमिश्नर बी श्रीनिवासन को पत्र लिखकर मामले की जांच करवाकर 10 दिनों में आरोपी लोगों के खिलाफ की गई कारर्वाई की रिपोर्ट उन्हें भेजी जाए। आयोग की तरफ से मंगलवार को जारी पत्र संख्या एसएम-70-बीटीएच-2020-914 के तहत कहा गया है कि पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा कमिशन ने इस संबंध में अखबारों में प्रकाशित खबर के बाद स्वयं संज्ञान लेते इसकी उच्चस्तरीय जांच करवाने के लिए कहा है। वही इस बाबत बच्चे को एचआईवी ब्लड बिना जांच के जारी करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कानूनी व विभागीय कारर्वाई करने के लिए कहा गया है। मामले में 15 अक्तूबर 2020 तक पूरी रिपोर्ट आयोग के पास भेजने के लिए हिदायत दी है।

जांच कमेटी ने ब्लड़ बैंक के सीनियन एलटी की भूमिका पर संदेह जताया हैं। जांच कमेटी का माना है कि सीनियर एलटी को इस बारे में पूरी जानकारी थी कि उक्त डोनर एचआईवी पॉजिटिव है और मई 2020 में अपना रक्तदान कर चुका है और उसका ब्लड़ एक मरीज को लग चुका हैं। जांच कमेटी के मुताबिक सीनियन एलटी ने अपनी निजी रंजिश निकालने के लिए एक अक्टूबर 2020 की सुबह ब्लड़ डोनर को ब्लड़ देने के लिए सिविल अस्पताल बुलाया था और सब कुछ जानते हुए भी उसने सहयोगी कर्मी सहित मरीज के परिजनों को कुछ भी नहीं बताया और उसका ब्लड़ सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को जारी होने दिया, जबकि उसे एचआईवी पॉजिटिव की जानकारी थी। इस तरह के गंभीर व अमानवीय हरकत के लिए जांच टीम आरोपी लोगों पर विभागीय व कानूनी दोनों कारर्वाई करने की सिफारिश कर सकती है।

जांच कमेटी के मुताबिक ब्लड़ डोनर ने दो बार अपना ब्लड़ सिविल अस्पताल के ब्लड़ बैंक में आकर दान किया। दोनों बार उसका ब्लड़ दो अलग-अलग मरीजों को जारी किया गया। सबसे पहले छह मई 2020 में ब्लड़ बैग नंबर 2765 के जरिए एमएलटी रिचू गोयल ने एक महिला मरीज को एचआईवी पाजिटिव मरीज का ब्लड़ जारी किया, जोकि खून की कमी के कारण पांच मई 2020 को अस्पताल में दाखिल महिला मरीज को चढ़ाया गया, जबकि दूसरी बार उसी एचआईवी ब्लड़ डोनर का ब्लड़ सात साल की थैलेसीमिया पीड़ित बच्ची को तीन अक्तूबर 2020 को जारी किया गया, जोकि चिल्ड्रन अस्पताल में दाखिल थी। इस बार भी एमएलटी रिचू गोयल ने यह ब्लड़ जारी किया।

जांच में सामने आया कि ब्लड़ बैंक की इंचार्ज बीटीओ डा.करिश्मा गोयल ने भी अपनी ड्यूटी में घोर लापरवाही दिखाई है। बतौर इंचार्ज होने के नाते उन्होंने अपनी बनती जिम्मेवारी नहीं निभाई और अपने उच्च अधिकारियों को भी मामले में अंधेरे में रखकर मामले को छिपाया। जांच कमेटी के मुताबिक बीटीओ डॉ. करिश्मा को मई 2020 में ब्लड़ डोनर के एचआईवी पॉजिटिव के बारे में पता चल गया था और उसे यह भी पता चल गया था कि उसका ब्लड़ एक महिला मरीज को चढ़ा दिया गया हैं, लेकिन उसने मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को देने की बजाएं मामले की छिपाने की कोशिश की, जबकि उसने ब्लड़ डोनर को भी एचआईवी होने के बारे में जानकारी नहीं दी। ऐसा कर बीटीओ ने डोनर व मरीज की जिंदगी के बारे में कुछ नहीं सोचा। इतना ही नहीं बीटीओ ने दोनों की कोई पड़ताल नहीं करवाई और न हीं उन्हें एआरटी सेंटर भेजा गया। इसके अलावा एमएलटी रिचू गोयल के काम की भी कोई जरूरी पड़ताल नहीं की गई।

एचआईवी किट के प्रयोग नहीं करने पर उठे सवाल

पड़ताल में यह भी सामने आया है कि सिविल अस्पताल बठिंडा के ब्लड़ बैंक में एचआईवी किट का प्रयोग में गड़बड़ी हो रही है, जोकि अगल से जांच का एक विषय हैं। सोमवार व मंगलवार की जांच के दौरान एक अलग से गठित कमेटी द्वारा किट रखने वाली अलमारी खुलवाने के लिए एसएमओ ने ताला तोड़ने के आदेश दिए तो सभी अधिकारी हैरान रह गए। इसमें सीनियर एसएलटी ने 600 एचआईवी टेस्ट करने के लिए किट बाहर से लाकर रखी थी,  ताकि जांच टीम के सामने स्टॉक पूरा किया जा सके। इसमें एक और बात सामने आ रही है कि उक्त अधिकारी ने कीट का इस्तेमाल नहीं कर उन्हें खुर्दबुर्द करने का काम भी किया। बाजार में एक हजार रुपए तक मिलने वाली इस कीट को आखिर किसे बेचा जा रहा था इसकी भी टीम ने जांच शुरू कर दी है। इस दौरान बीटीओ ने बताया कि इस कर्मचारी की तरफ से कभी भी किट का स्टाक चेक करने के लिए परमिशन नहीं दी गई जबकि नियमानुसार स्टोर इंचार्ज व आला अधिकारी समय-समय पर स्टाक जांच की मांग करते रहे हैं और वैरीफाई करवाने के लिए कहते रहे। फिलहाल जांच टीम के अधिकारी इस मामले में गंभीरता से पड़ताल करने में जुट गए है। उनका कहना है कि ब्लड बैंक में लापरवाही का मामला नहीं बल्कि गंभीर अपराध किया जा रहा है। नीजि फायदे व घपले को अंजाम देने के साथ आपसी रंजिश निकालने के लिए मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था।

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