Bathinda Blood Bank-एक अपराध, तीनों आरोपियों की गलती उजागर पर पुलिस ने दो के खिलाफ आज तक नहीं की कानूनी कारर्वाई

-सिविल सर्जन की तरफ से एसएसपी को दी शिकायत में तीनों ब्लड बैंक कर्मचारियों की लापरवाही को किया था उजागर, पुलिस का दावा मामले में शामिल दो अन्य कर्मियों की सहभागिता की हो रही जांच, बाद में होगा केस दर्ज  

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बठिंडा. सेहत विभाग बठिंडा की टीम ने सिविल अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक में गलत तरीके से खून चढ़ाने की घटना को लेकर तीन सदस्यों की टीम से मामले की जांच करवाई। वही फरीदकोट मेडिकल कालेज की टीम ने भी मामले में जांच कर रिपोर्ट राज्य सरकार व सेहत विभाग को सौंप दी। इन दोनों जांच रिपोर्ट में गलत खून चढ़ाने के मामले में तीन कर्मचारियों को आरोपी ठहराकर विभागीय व कानूनी कारर्वाई की अनुशंसा कर दी।

मामले को 10 दिन से ऊपर होने वाला है। विभाग ने पुलिस के पास तीनों कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई करने के लिए पत्र लिखा था। इसमें पिछले दिनों सिनियर टेक्निशियन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया व गत दिवस पहले दर्ज धाराओं में आरोपी पर हत्या की कोशिश का बी केस दर्ज कर लिया गया लेकिन इस मामले में पुलिस पिछले एक सप्ताह में जांच के नाम पर दो अन्य आरोपियों को बचाने की कोशिश में जुटी है। एक अपराध में तीन लोगों की बराबर की सहभागिता के बावजूद एक पर केस व दो लोगों के खिलाफ जांच के नाम पर खानापूर्ति करना व उन पर किसी तरह का केस दर्ज नहीं करना कई सवालों को जन्म देती है।

मामले में कारर्वाई की मांग करने वाली सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाया है। राज्य सरकार ने जांच समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए निदेशक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने कर्मचारियों को घोर लापरवाही बरतने पर नौकरी से निलंबित करने के आदेश जारी किए। इसमें  बलदेव सिंह रोमाना, जो मेडिकल लैब टेक्नीशियन ग्रेड -1, एनएचएम पंजाब के तहत ब्लड बैंक में डॉ कृष्ण गोयल बीटीओ और बठिंडा में कार्यरत पीएचएससी  के तहत एमएलटी तैनात रही ऋचा गोयल को तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया। इस बीच, सिविल सर्जन बठिंडा ने बठिंडा के एसएसपी को पत्र लिखकर तीनों कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और अन्य आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने को कहा था।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने इस घटना का संज्ञान लेते तत्काल एक जाँच समिति के गठन का आदेश दिया था। उनके निर्देश पर  स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट में तीनों कर्मचारी को अपनी ड्यूटी के प्रति घोर लापरवाही का दोषी पाया। इसमें बलदेव सिंह रोमाणा के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया लेकिन अन्य दो कर्मी जिन्होंने गलत खून चढ़ाने के मामले में समय रहते जहां आला अधिकारियों को जानकारी नहीं दी वही सब कुछ आंखों के सामने होता देखते रहे व सिविल अस्पताल में एक 7 वर्षीय थैलेसीमिया रोगी को एचआईवी पॉजिटिव मरीज का खून चढ़ा दिया गया था। अस्पताल में ब्लड बैंक के तीनों जिम्मेवार लोगों ने डोनर से लेने के बाद यूनिट जारी कर दी थी और अनिवार्य जांच नहीं की थी।

मेडिकल लैब टेक्नीशियन बलदेव सिंह रोमाना, एनएचएम बीटीओ डा. कृष्ण गोयल, सिवल अस्पताल में काम कर रहीं एमएलटी ऋचा गोयल के खिलाफ एसएसपी बठिंडा को इस मामले में मुकदमा दर्ज करने को कहा गया। तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने पाया कि बिना जांच किए रक्तदाता द्वारा दिए गए खून को जरूरतमंद को दिया गया। दिया गया खून एक एचआईवी पॉजिटिव रक्तदाता के द्वारा दिया गया था। जांच कर रही कमेटी ने पूरे मामले में कर्मचारियों की घोर लापरवाही उजागर हुई। इस मामले में अब पुलिस का कहना है कि मामले में रहते दो लोगों के खिलाफ जांच चल रही है व उनकी सहभागिता का पता लगाया जा रहा है। हालांकि जांच रिपोर्ट में जब सब कुछ क्लीयर हो गया व राज्य सरकार ने तीनों को आरोपी मान कानूनी कारर्वाई की हिदायत दी तो अब अन्य दो लोगों के खिलाफ किस तरह की कानूनी कारर्वाई की जा रही है यह स्पष्ट नहीं है।

 

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