बठिंडा. कृर्षि बिलों को लेकर उटे विवाद के बाद अकाली दल से नाता टूटने के बाद पंजाब में बीजेपी अपने पैरों पर खड़े होने की कवायद में है। यही नहीं बीजेपी ने 2022 के विधाननसभा चुनाव में अपने दम पर सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया है, लेकिन बीजेपी का राज्य में लिटमस टेस्ट अगले साल जनवरी-फरवरी में होने वाले निकाय चुनाव में ही हो जाएगा। यही कारण है कि भाजपा नगर निगम व काउंसिल चुनावों में पूरी ताकत के साथ उतरने की तैयारी कर रही है।
मनोरंजन कालिया को बनाया निगम चुनावों का प्रभारी
इसके लिए बठिंडा जिले में सर्वाधिक 50 सीटों वाली नगर निगम चुनावों के लिए राज्य के पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री मनोरंजन कालियां को बकायदा भाजपा ने इचार्ज नियुक्त कर दिया है। मनोरंजन कालिया भाजपा का नामी व अनुभवी चेहरा है जो बठिंडा में भाजपा को मजबूत बनाने के लिए योजना बनाने के काम में जुट गए है। भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश सचिव आशुतोष तिवारी का कहना है कि शहर में चार मंडल है इन मंडलों के प्रधान, जिला टीम, प्रदेश प्रभारी, सभी मोर्चों के पदाधिकारियों की एक संयुक्त टीम बनाई गई है जिसमें हर वार्ड में उम्मीदवार तय करने से लेकर चुनाव प्रचार व विभिन्न योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए बकायदा अलग-अलग टीमों का चयन किया गया है। वही मनोरंजन कालिया का कहना है कि बठिंडा नगर निगम चुनावों में भाजपा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी इसमें साफ छवी के साथ भाजपा समर्पित वर्करों व नेताओं को टिकट देने में तरजीह देंगे।
फरवरी तक होने हैं निगम के चुनाव
भाजपा जिला प्रधान विनोद कुमार बिंटा का कहना है कि चुनाव फरवरी तक होने हैं व इससे पहले भाजपा ने पूरी ताकत के साथ सभी वार्डों में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। यही नहीं भाजपा की पैठ व योजना का ही असर है कि जिले में विभिन्न राजनीतिक दलों में रहे पार्षद व बड़े पदाधिकारी भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं व इसी सप्ताह इस बाबत पार्टी में शामिल होने की संभावना है। इससे भाजपा जहां मजबूत होगी वही कांग्रेस-आप व अकाली दल को कड़ी टक्कर देकर सीटों पर जीत हासिल करेगी।
महिला मोर्चा निभाएंगी अहम भूमिका
नगर निगम चुनावों में महिलाओं की सीटों में आरंक्षण लागू होने से आधी सीटों पर महिला उम्मीदवार उतरेंगी। इस स्थिति में भाजपा महिला मोर्चा की इन चुनावों में भूमिका अहम होने जा रही है। भाजपा महिला मोर्चा के पास जहां अनुभवी चेहरे हैं वही उनके पास युवा व जुझारु महिला नेत्रियों की भी कमी नहीं है। नए चेहरे लोगों में ज्यादा प्रभाव रखते हैं। यही कारण है कि भाजपा पुराने वर्करों के साथ नए चेहरों को भी चुनावों में तरजीह देकर उतारने की तैयारी कर रही है।
युवा मोर्चा भी काफी सक्रिय
भाजपा के लिए एक अच्छी बात यह है कि उसके पास युवा मोर्चा के प्रधान संदीप अग्रवाल की अगुवाई में एक लंबी चोड़ी टीम है। इसमें फिल्ड में लोगों के बीच हर समय काम करने वाले समाज सेवियों की भरमार है वही एक्टिविटी व लोगों की समस्याओं को उठाकर उन्हें हल करवाने में भी युवा मोर्चा आगे रहा है जिसका उन्हें नगर निगम चुनावों में लाभ मिलेगा।
भाजपा अकाली दल से साथ छूटने के बाद एकला चलों की राह पर
गौरतलब है कि बीजेपी के 1996 में अकाली दल के साथ हाथ मिलाने के बाद दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती आई हैं, लेकिन अब 24 साल पुराना गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी एकला चलो की राह पर है। राज्य में चाहे इस दौरान हालात अलग रहे लेकिन स्थानीय निकायों में भाजपा-अकाली दल पार्षदों के बीच किसी न किसी मुद्दे को लेकर खटास हमेशा से ही रही है। कई बार तो स्थिति ऐसी आई जब स्थानीय नेताओं की खीचतान में हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा। फिलहाल भाजपा इस बार अकाली दल की कथित धक्केशाही व मनमानी से मुक्त होगी व अपने दम पर चुनाव तैयारी से लेकर उम्मीदवार मैदान में उतारने का काम कर रही है। भाजपा के पास पिछले पांच साल के कार्यकाल में अकाली दल की मनमानियों की लिस्ट हैं वही उनकी तरफ से भाजपा को नजरअंदाज कर पारित किए प्रोजेक्टों का खाका है जिसे वह पब्लिक के बीच लेकर जाएंगे व इसमें अकाली दल के साथ कांग्रेस को घेरने का काम करेंगे।
- पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले नौ नगर निगम, 120 नगर काउंसिल और नगर पंचायतों के चुनाव के चुनाव होने हैं. पंजाब सरकार निकाय चुनाव कराने की तैयारियों में जुटी है। मार्च 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए राज्य के नगर निगम और नगर काउंसिल के चुनावों को 2022 का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है।
- ऐसे में निकाय चुनाव बीजेपी की परीक्षा की पहली कसौटी शहरी क्षेत्रों के निकाय चुनाव होंगे। पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस बार के स्थानीय चुनाव में पार्टी की ओर से हर वार्ड में चुनाव चिन्ह के साथ उम्मीदवार उतारे जाएंगे। दरअसल, पंजाब में बीजेपी का शहरी मतदाताओं के बीच राजनीतिक आधार रहा है.
- ऐसे में अकाली दल से बीजेपी के अलग होने का पहला लिटमस टेस्ट जनवरी में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में देखने को मिलेगा, जो कि पूरी तरह से शहरी और कस्बे के मतदाताओं के हाथ में होगा। ऐसे में बीजेपी को निकाय चुनाव में अकेले किस्मत आजमाना होगा और यह उसके लिए असली परीक्षा होगी। इसी चुनाव के नतीजे से बीजेपी के पंजाब में 2022 में अकेले चुनाव लड़ने की ताकत का अंदाजा पार्टी और विपक्ष दोनों को हो जाएगा।