बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक है HMPV वायरस? जानें कैसे करें इससे अपना बचाव, डॉक्टरों ने दी ये सलाह

HMPV वायरस के भारत में मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब तक आठ मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। एचएमपीवी वायरस को लेकर लोगों में चिंता और खौफ बढ़ गया है। आइए जानते हैं इस वायरस को लेकर किसे सबसे ज्यादा खतरा है और इससे अपना बचाव कैसे किया जा सकता है

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 HMPV (ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस) कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों के लिए ही ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है, उनमें यह वायरस गले में ही समाप्त हो जाता है। वहीं बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें यह वायरस फेफड़े तक पहुंच कर गंभीर लक्षण का कारण बन सकता है।चीन में तबाही मचा रहे कोरोना जैसे HMPV वायरस के भारत में 8 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 6 मामले एक साल से कम उम्र के बच्चों में यानी शिशुओं में देखने को मिले हैं। जबकि अन्य दो मामलों में बच्चों की उम्र 7 साल और 13 साल है।

इस रेस्पिरेटरी डिजीज के लक्षण सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे ही हैं। हालांकि, कुछ मामलों में इसके लक्षण ब्रोंकाइटिस और निमोनिया में भी बदल सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को है।

चीन में बढ़ते मामलों को देखकर भारत सरकार इसे लेकर सतर्क हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने HMPV वायरस की समीक्षा करने के बाद राज्यों को दिशा–निर्देश जारी किए हैं। उन्हें इंफ्लुएंजा और रेस्पिरेटरी डिजीज पर निगरानी बढ़ाने को कहा है।

HMPV किन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक ?

आइजीआइएमएस के चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, किडनी-हृदय, बीपी-शुगर, लिवर, कैंसर आदि रोगों के मरीज को HMPV से ज्यादा खतरा है। 

पल्मोनरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष शंकर ने कहा कि यदि वायरस केवल ऊपरी श्वसन तंत्र यानी गले तक रहता है तो इसके लक्षण सामान्य फ्लू की तरह होंगे व मरीज तीन से पांच दिन में स्वस्थ हो जाएगा। 

HMPV के लक्षण

सर्दी-बुखार, शुरुआत में बलगम व बाद में लंबे समय तक सूखी खांसी इसके लक्षण हैं। प्रारंभिक अवस्था में सही उपचार से इसे फेफड़े तक पहुंचने से रोक सकते हैं। यदि लंबे समय तक सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई हो तो यह निमोनिया व ब्रोंकियोलाइटिस का कारण बन सकता है।

नवजात शिशुओं को ज्यादा जोखिम

नियोनेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिशियन डॉ. आर. डी. श्रीवास्तव कहते हैं कि पूरी दुनिया के आंकड़े देखें तो HMPV वायरस के सबसे ज्यादा मामले 4 से 6 महीने के बच्चों में मिल रहे हैं। भारत में भी ज्यादातर मामले 1 साल कम उम्र के बच्चों में देखने को मिले हैं।

चीन में वयस्कों में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन इनमें कमजोर इम्यूनिटी सबसे बड़ा फैक्टर है।

बच्चों में फ्लू जैसे लक्षणों को न करें इग्नोर

HMPV वायरस का इन्फेक्शन होने पर सामान्य वायरल जैसे लक्षण ही दिखते हैं। इसलिए छोटे बच्चों को जुकाम और बुखार होता है तो इसे इग्नोर न करें। डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें। अगर बच्चों के सांस लेने में घरघराहट सुनाई दे रही है तो यह HMPV इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है।

पैनिक न करें

इंटरनल मेडिसिन एंड इन्फेक्शियस डिजीज कंसल्टेंट डॉ. अंकित बंसल कहते हैं कि जब तक ये साफ नहीं होता है कि HMPV वायरस म्यूटेट हुआ है और इसका नया म्यूटेशन खतरनाक है, तब तक इस वायरस को लेकर पैनिक करने की कोई जरूरत नहीं है। भारत सरकार ने अपनी समीक्षा बैठक में भी साफ किया है कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है। यह कई सालों से भारत और दूसरे देशों में बना हुआ है। अभी तक इसके कारण बहुत घातक स्थितियां देखने को नहीं मिली हैं।

हालांकि चीन से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स के बाद कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि वहां HMPV का नया म्यूटेंट लोगों को संक्रमित कर रहा है। यह पहले की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है। इसके बावजूद भारत में अभी तक इसे लेकर डरने की कोई बात नहीं है।

ठंड बढ़ने पर बढ़ती हैं श्वसन संबंधी बीमारियां

‘जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, ठंड के मौसम में दूसरे मौसम की तुलना में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसलिए HMPV के सामान्य फ्लू जैसे लक्षणों पर पैनिक न करें। हालांकि, इसे इग्नोर करना भी ठीक नहीं है। इसलिए डॉक्टर से एक बार कंसल्ट जरूर करें। बेहतर यह होगा कि इससे बचाव का प्रयास करें।

बीमारी की दवा नहीं, बचाव ही मूल मंत्र

HMPV वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवा तैयार नहीं की गई है। इसके लिए कोई वैक्सीन भी नहीं विकसित की गई है। ऐसे में बचाव ही इस वायरस से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है। अगर घर में छोटा बच्चा है तो हमें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

HMPV वायरस भी कोरोना वायरस की तरह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने, वायरस से संक्रमित किसी वस्तु को छूने से भी यह फैल सकता है। इसलिए कोरोना की तरह HMPV से बचाव के लिए भी साफ-सफाई और बार-बार हाथ धुलना मुख्य उपाय हैं।

सवाल: क्या HMPV वायरस बच्चों के लिए घातक हो सकता है?

जवाब: हां, HMPV वायरस घातक हो सकता है। हालांकि, सच यह है कि ऐसा बहुत रेयर मामलों में होता है। पूरी दुनिया में HMPV वायरस के कारण 1% से भी कम मामलों में मौत हुई है। इसलिए डरने की जरूरत नहीं है।

सवाल: क्या HMPV वायरस से सभी बच्चों को गंभीर समस्याएं हो रही हैं?

जवाब: नहीं, ऐसा नहीं है। छोटे बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह विकसित नहीं होती है। इसलिए उनमें इन्फेक्शन के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। जबकि कॉम्प्लिकेशन सिर्फ उन बच्चों को हो रहे हैं, जिनके लंग्स पहले से कमजोर हैं। इसके अलावा अन्य संक्रमित बच्चों में कॉमन कोल्ड जैसे लक्षण ही दिख रहे हैं।

सवाल: क्या संक्रमित बच्चों को ऑक्सीजन थेरेपी देना जरूरी है?

जवाब: नहीं, जिन बच्चों में HMPV के संक्रमण के कारण निमोनिया विकसित हो गया है, सिर्फ उन्हें ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत होती है। हालांकि भारत में फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर है, उनका अधिक ख्याल रखने की जरूरत है।

सवाल: छोटे बच्चों के अलावा और किसे अधिक सावधानी बरतनी चाहिए?

जवाब: HMPV वायरस से सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत एक साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों को है। असल में छोटे बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह विकसित नहीं हुई होती है और बुजुर्गों की इम्यूनिटी कमजोर हो रही होती है। इसलिए इन्हें HMPV वायरस से इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होता है।

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