अयोध्या केस तीसरा दिन : SC ने पूछा- क्या गंगा की तरह रामजन्मभूमि भी व्यक्ति?
पहले और दूसरे दिन सर्वोच्च अदालत में निर्मोही अखाड़ा ने अपनी बात रखी और बुधवार शाम को रामलला के वकीलों ने दलील रखना शुरू की थी. मामले की सुनवाई के दौरान जजों ने वकीलों ने तीखे सवाल पूछे जो चर्चा का विषय रहे.
नई दिल्ली। अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. 6 अगस्त से शुरू हुई रोजाना सुनवाई का आज तीसरा दिन है. पहले और दूसरे दिन सर्वोच्च अदालत में निर्मोही अखाड़ा ने अपनी बात रखी और बुधवार शाम को रामलला के वकीलों ने दलील रखना शुरू की थी. मामले की सुनवाई के दौरान जजों ने वकीलों ने तीखे सवाल पूछे जो चर्चा का विषय रहे. अदालत में आज की सुनवाई शुरू हो गई है और रामलला के वकील अपनी दलील रख रहे हैं.
गुरुवार की सुनवाई …
- जस्टिस भूषण ने इस दौरान रामलला के वकील से पूछा कि क्या जन्मस्थान को व्यक्ति माना जा सकता है, जिस तरह उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने गंगा को व्यक्ति माना था. इस पर परासरण ने कहा कि हां, रामजन्मभूमि व्यक्ति हो सकता है और रामलला भी. क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं, बल्कि एक देवता हैं. हम उन्हें सजीव मानते हैं.
- सुनवाई के दौरान रामलला के वकील के. परासरण ने कहा कि जन्मस्थान को लेकर सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में भी इसका मतलब हो सकता है. उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं. इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि ये भगवान राम का जन्मस्थान है.
- उन्होंने कहा कि रामलला को इस मुकदमे में पक्षकार तब बनाया गया जब मजिस्ट्रेट ने CRPC की धारा 145 के तहत इनकी सम्पत्ति अटैच कर दी थी. इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहां कुछ भी करने से रोक लगा दी.
- वकील ने अदालत को बताया कि कोर्ट ने रामजन्मभूमि को मुद्दई मानने से इनकार कर दिया था, इसलिए रामलला को पक्षकार बनना पड़ा. क्योंकि रामलला नाबालिग हैं, इसलिए उनके दोस्त मुकदमा लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने ये मुकदमा लड़ा, अब में त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं.
- अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई की शुरुआत में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा-वक्फ बोर्ड ने अलग-अलग सूट दाखिल किए गए हैं, अगर उनकी बात सुनी गई है तो हमारी भी सुनी जानी चाहिए. अब रामलला की ओर से के. परासरण अपनी बात रख रहे हैं.
रामलला के वकीलों ने बताया भावनाओं का मसला
निर्मोही अखाड़ा की दलीलें खत्म होने के बाद रामलला के वकीलों ने अपनी बात रखनी शुरू की. वकील परासरण ने इस दौरान राम मंदिर के निर्माण को हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ा मसला बताया और कहा कि अदालत को इस पर फैसला लेना चाहिए. वकील ने इस दौरान वाल्मीकि रामायण, महाभारत, पुराण समेत पौराणिक तथ्यों का जिक्र किया.
अदालत ने पूछे कई सवाल
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और अन्य जजों की बेंच ने वकीलों से सीधे सवाल पूछे. जब रामलला के वकीलों की तरफ से भावनाओं का जिक्र किया गया तो जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या कभी ऐसा दूसरे देशों में हुआ है कि दो समुदाय धार्मिक स्थल को लेकर आमने-सामने हो.
इसके अलावा उनका एक सवाल था कि क्या जीसस क्राइस्ट बेथलहम में पैदा हुए थे? इतना ही नहीं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा से रामजन्मभूमि से जुड़े सबूतों को पेश करने को कहा था.
मध्यस्थता से नहीं निकल पाया था रास्ता
आपको बता दें कि इस मसले पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता अपनाने का आदेश दिया था. लेकिन इस रास्ते के तहत बात नहीं बनी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से इस मसले पर रोजाना सुनवाई करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई के तहत सप्ताह में तीन वर्किंग डे सुनवाई होती है. राम मंदिर मसले की सुनवाई हफ्ते में मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को हो रही है.
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है. इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं.