नई दिल्ली: कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान भारत को हर दिन युद्ध की धमकी दे रहा है. इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार पाकिस्तान की तारीफ में कसीदे गढ़ रहे हैं. शरद पवार ने कहा है कि जो प्यार उन्हें पाकिस्तान में मिला है, वैसा कहीं नहीं मिला. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को मुद्दा बनाकर लोगों के दिलों में डर पैदा किया जा रहा है.
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को लेकर शरद पवार ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. पवार ने कहा, ‘’फैसला स्थानीय कश्मीर के लोगों को विश्वास में लेकर करना चाहिए था, अंधेरे में रख कर नहीं.’’ उन्होंने कहा, ‘’देश में बीजेपी ने इस मुद्दे को ऐसे उठाया जैसे कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा था भारत का नहीं.’’ पवार ने सवाल किया कि सरकार ने जो कश्मीर में किया, वह पूर्वी भारत के राज्यों में क्यों नहीं किया?’’
पाकिस्तान की जनता के मन में प्यार है- पवार
शरद पवार ने आगे कहा, ‘’देश में सांप्रदायिकता का माहौल बनाया जा रहा. पाकिस्तान का मुद्दा उठाया जा रहा है और लोगों के मन में डर पैदा किया जा रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘’मैं पाकिस्तान गया हूं. क्रिकेट के सिलसिले में जाना होता रहा है. मैंने देखा कि पाकिस्तान में जो प्यार मिला वो कहीं नहीं मिला. वहां के राजनेता और आर्मी के लोगों को छोड़कर बाकी जनता के मन में प्यार है, नफरत नहीं.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आम लोग भारत के साथ युद्ध नहीं चाहते हैं.
पवार ने आगे कहा, ‘’पकिस्तान के लोगों की स्थिति खराब है. ये चित्र पेश किया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है. ये राजनीतिक फायदे के लिए कुछ भी कर रहे हैं. पाकिस्तान के लोगों में मेहमान नवाजी कूट-कूट कर भरी है. मैं ये अनुभव कर चुका हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘’मुस्लिमों के मन में डर पैदा करने का काम हो रहा है. इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी.’’
मॉब लिंचिंग की घटना पहले कभी सुनाई नहीं देती थी– पवार
इस दौरान शरद पवार ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या (मॉब लिंचिंग) के मुद्दे पर कहा कि पहले इस तरह की घटना सुनाई नहीं देती थी लेकिन अब ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं. अगर देश को विकास के पथ पर आगे ले जाना है, तो भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना जरूरी है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ समाज के कुछ वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है. लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.’’ उन्होंने लोगों से पूछा क्या पहले कभी ‘‘मॉब लिंचिंग’’ शब्द को सुना गया था. ‘‘लेकिन अब इस शब्द को हम अक्सर सुन सकते हैं.’’