अरुण जेटली को अंतिम बिदाई न दे पाने का दुख मोदी को ताउम्र रहेगा

पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का अंतिम संस्कार (Funeral of Arun Jaitley) संपन्न हो गया. दिल्ली के निगमबोध घाट पर हिंदू-रीति रिवाज से अरुण जेटली का अंतिम संस्कार किया गया. बेटे रोहन (Rohan) ने उन्हें मुखाग्नि दी. इसके साथ ही बीजेपी में एक और युग का अंत हो गया.

 

नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का अंतिम संस्कार (Funeral of Arun Jaitley) संपन्न हो गया. दिल्ली के निगमबोध घाट पर हिंदू-रीति रिवाज से अरुण जेटली का अंतिम संस्कार किया गया. बेटे रोहन (Rohan) ने उन्हें मुखाग्नि दी. इसके साथ ही बीजेपी में एक और युग का अंत हो गया. देश के तमाम बड़े नेता और हजारों लोगों ने नम आंखों से अपने प्रिय नेता को आखिरी विदाई दी. पीएम मोदी विदेश दौरे पर होने के कारण अपने खास मित्र और सहयोगी अरुण जेटली के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके, जिसका गम उन्हें सालों सताता रहेगा.

बता दें कि जेटली के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर बीजेपी दफ्तर से निगमबोध घाट लाया गया. इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, मौजूदा दौर के बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, देश के गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित पक्ष और विपक्ष के तमाम छोटे-बड़े नेता उपस्थित थे. बिहार के सीएम नीतीश कुमार, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित कई राज्यों के सीएम भी जेटली की अंतिम यात्रा में शरीक हुए.

जेटली से जुड़ी यादें ही सिर्फ शेष रह गई


अरुण जेटली को चाहने वालों के लिए अब उनसे जुड़ी यादें ही सिर्फ शेष रह गई है. अरुण जेटली के अंतिम यात्रा में उनके राजनीतिक दोस्तों के साथ उनके बचपन, स्कूल-कॉलेज समय के दोस्त भी शामिल हुए. इतना ही नहीं जेटली की अंतिम यात्रा में शरीक होने उनके पुराने अभिभावक और शिक्षक भी आए. वे लोग अपनी लंबी उम्र और बीमारी के बीच जेटली को श्रद्धांजलि दी.

बता दें कि बीते शनिवार को 66 वर्ष की आयु में अरुण जेटली का लंबी बीमारी के कारण दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में निधन हो गया था. बीते 9 अगस्त को ही सांस में तकलीफ की शिकायत पर जेटली को एम्स में भर्ती कराया गया था. एम्स में भर्ती होने के बावजूद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई. आखिर में शनिवार को 12 बज कर 7 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली. जेटली के निधन से राजनीतिक हलकों में शोक की लहर है.

राजकीय सम्मान के साथ अंतेष्ठि

दिल्ली के निगमबोध घाट पर दोपहर तीन बजे जेटली का अंतिम संस्कार भव्य और राजकीय सम्मान के साथ किया गया. सेना का गन कैरिज से जेटली के शव को पार्टी दफ्तर लाया गया. बता दें कि सिर्फ प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रपति को ही प्रिविलेज होता है कि उन्हें गन कैरिज से ले जाया जाए. शव रखे जाने के बाद गन कैरिज जीरो स्पीड से चलती है. यह भी महज संयोग ही था कि जैसे ही जेटली का पार्थिव शरीर दीनदयाल उपाध्याय स्मारक पर लाई गई ठीक उसी समय तेज बारिश शुरू हो गई. मुसलाधार बारिश के बीच जेटली का अंतिम संस्कार की सारी रस्में पूरी की गईं.

अरुण जेटली का पार्थिव शरीर को रविवार सुबह उनके कैलाश कॉलोनी स्थित आवास से आम जनता के लिए दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित पार्टी मुख्यालय में लाया गया. उनके काफिले के साथ बीजेपी के तमाम बड़े नताओं की गाड़ी चल रही थी. बीजीपी मुख्यालय में लगभग 1.30 बजे तक उनका पार्थिव शरीर आम जनता के लिए रखा गया था. उसके बाद फिर से सेना के वाहन में उनका पार्थिव शरीर निगमबोध घाट लाया गया. काफिले के साथ-साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह चल रहे थे.

विरोधी भी उनके कायल थे

जेटली के अंतिम संस्कार में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ पहुंचे. पक्ष-विपक्ष के तमाम नेताओं का साफ कहना था कि जेटली उन बहुत कम नेताओं में से थे, जिनकी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर बराबर पकड़ थी. वह बीजेपी के लिए एक अमूल्य संपत्ति थे, जिसकी भरपाई करना अब मुश्किल है.

कुलमिलाकर अरुण जेटली के निधन पर राजनीतिक गलियारों में शोक छाया हुआ है. पिछले एक साल में बीजेपी ने अपने चार बड़े नेताओं को खो दिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू खुद पीएम मोदी ने अरुण जेटली के निधन को अपना व्यक्तिगत नुकसान बताया है. विदेशों के भी कई राजनयिकों ने जेटली को एक सुलझा हुआ नेता और अच्छा इंसान बताया. पीएम मोदी तो विदेश दौरे पर होने के बावजूद जेटली के निधन का गम छुपा नहीं सके और सार्वजनिक मंच से कह डाला कि ‘मेरा दोस्त अरुण चला गया’. हर दुख-सुख और राजनीतिक उठा पटक में साथ रहने दोस्त, अरुण जेटली को अंतिम बिदाई न दे पाने का दुख  पीएम मोदी को ताउम्न रहेगा.

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