निर्भया केस / दोषी मुकेश की समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अब उसके पास फांसी से बचने का विकल्प नहीं

राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक समीक्षा की याचिका दी थी वकील ने कहा था- मुकेश को एकांत कारावास में रखा, मारपीट हुई; दया याचिका खारिज करते वक्त प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई केंद्र की दलील- ऐसा जघन्य अपराध करने वाला जेल में बुरा बर्ताव होने के आधार पर दया का हकदार नहीं हो सकता

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नई दिल्ली.निर्भया केस के चारों गुनहगार फांसी से बचने के लिए आए दिन नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। अब दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की। उधर, बुधवार को शीर्ष अदालत ने दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी मुकेश की न्यायिक समीक्षा की याचिका खारिज कर दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को मुकेश की दया याचिका ठुकरा दी थी, उसने शनिवार को इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की थी। ट्रायल कोर्ट दूसरी बार दोषियों का डेथ वॉरंट जारी कर चुकी है। चारों दोषियों को 1फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ में फांसी दी जानी है।

जस्टिस आर भानुमती, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने मंगलवार कोमुकेश की याचिका पर सुनवाई की। दोषी की वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि दया याचिका खारिज किए जाते वक्त दिमाग लगाए जाने की जरूरत थी। उसे सह-अभियुक्त अक्षय के साथ शारीरिक संबंध बनाने को बाध्य किया गया। उसका यौन शोषण हुआ। इन तथ्यों को राष्ट्रपति के सामने नहीं रखा गया। दया याचिका को खारिज किया जाना बाहरी विचारों पर आधारित था। इस लिहाज से यह दुर्भावनापूर्ण, एकतरफा और तथ्यों से परे है। इस पर बेंच ने सवाल किया कि आप यह कैसे कह सकती हैं कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते वक्तदिमाग नहीं लगाया? दोषी के दावे पर केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा जघन्य अपराध करने वाला जेल में बुरा बर्ताव होने के आधार पर दया का हकदार नहीं हो सकता है।

निर्भया केस में अब तक

  • चारों दोषी जेल नंबर 3 की हाई सिक्योरिटी सेल की अलग-अलग कोठरियों में हैं। दूसरे कैदियों से तो दूर ये लोग आपस में भी नहीं मिल पाते। दिन में एक-डेढ़ घंटे के लिए ही इन्हें कोठरियों से निकाला जाता है। चारों एक साथ नहीं निकाले जाते।
  • 28 जनवरी को तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों गुनहगाराें काे फांसी दिए जाने के बाद पोस्टमार्टम के लिए डीडीयू अस्पताल में जरूरी व्यवस्था के लिए दिल्ली सरकार काे गोपनीय चिट्ठी लिखी। इसी दिन दोषियों की परिजनाें से मुलाकात कराई गई।
  • 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया आधार नहीं है।

3 दोषियों के पास 4 विकल्प

  • पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दूसरी बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसमें फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई है। पहले वॉरंट में यह तारीख 22 जनवरी थी। दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। वहीं, अक्षय क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर चुका है। उसके पास अब दया याचिका का विकल्प बाकी है। विनय के पास भी दया याचिका का विकल्प है। दोषी मुकेश के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं है। यानी तीन दोषी अभी 4 कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का केस। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।
  • जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में फांसी फिर टल सकती है।

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