अमृतसर में बिक्रमजीत हत्याकांड में 11 पुलिसवालों समेत 13 आरोपी 5 साल बाद दोषी करार, फैसला 8 को
2002 में अकाली नेता गुरदियाल सिंह और उसके परिवार के सदस्यों की 7 मई 2002 को हत्या मामले में बिक्रमजीत सिंह उम्र कैद की सजा काट रहा था। जेल से इलाज करवाने के लिए वह गुरु नानक देव अस्पताल में दाखिल हुआ था। 5 मई 2014 को स्टेट इंटेलीजेंस विंग की टीम ने उसे अस्पताल से अगवा कर लिया। 6 मई को बिक्रमजीत पर पुलिस हिरासत से भागने का केस हुआ। 7 मई को इसे किडनैपिंग केस में तबदील किया गया।
अमृतसर. पुलिस की तरफ से हिरासत में लोगों को प्रताड़ित करने के मामले आए दिन आते है। इसमें हत्या के आरोप में केंद्रीय जेल अमृतसर में सजा काट रहे गांव अलगोकोठी निवासी को अगवा कर थर्ड डिग्री देने, हत्या करने और हत्या के बाद शव को खुर्द-बुर्द करने वाले मुख्य आरोपी काउंटर इंटेलिजेंस के पूर्व इंस्पेक्टर समेत 11 पुलिस वालों और दो अन्य आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया है। बटाला में काउंटर इंटेलिजेंस के पूर्व इंस्पेक्टर नौरंग सिंह समेत सभी 13 लोगों के खिलाफ एडीशनल सेशन जज ने आरोप तय कर दिए हैं और 8 जुलाई को सजा सुनाई जाएगी। फरार एएसआई बलजीत सिंह पहले ही भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।
स्टेट इंटेलीजेंस विंग की टीम ने अस्पताल से आरोपी को किडनैप कर लिया था
2002 में अकाली नेता गुरदियाल सिंह और उसके परिवार के सदस्यों की 7 मई 2002 को हत्या मामले में बिक्रमजीत सिंह उम्र कैद की सजा काट रहा था। जेल से इलाज करवाने के लिए वह गुरु नानक देव अस्पताल में दाखिल हुआ था। 5 मई 2014 को स्टेट इंटेलीजेंस विंग की टीम ने उसे अस्पताल से अगवा कर लिया। 6 मई को बिक्रमजीत पर पुलिस हिरासत से भागने का केस हुआ। 7 मई को इसे किडनैपिंग केस में तबदील किया गया। 14 मई को अमृतसर सिटी पुलिस ने इसे हत्या के मामले में बदला, वहीं दूसरी तरफ 8 मई को थाना कीरतपुर पुलिस को बिक्रम का शव मिला। उसी दिन अमृतसर पुलिस को मामले का पता चला, लेकिन पुलिस ने मामला दबाया। बिक्रम के शव को कीरतपुर पुलिस ने लावारिस बता अंतिम संस्कार कर दिया। अन्य दोषियों में कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल अमनदीप सिंह, लखविंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखविंदर सिंह, मखतोख सिंह, अंग्रेज सिंह, रणधीर सिंह, जगजीत सिंह भी शामिल हैं।
इनकी किस्मत का आठ जुलाई को होगा फैसला
सिविल लाइन थाने की पुलिस ने 6 जून-2014 को एएसआइ बलजीत सिंह, हवलदार जगजीत सिंह, रिटा. हवलदार गुरप्रीत सिंह, रिटा. हलवदार लखविदर सिंह, हेड कांस्टेबल अमनदीप सिंह, हवलदार मखदूल सिंह, हवलदार अंग्रेज सिंह, हवलदार रंधीर सिंह, एएसआइ गुलशनबीर सिंह, एएसआइ सविदर सिंह, बटाला के गैंसपुर निवासी दीपराज सिंह और चाटीविड निवासी जगतार सिंह के खिलाफ अपहरण, हत्या और जालसाजी के आरोप में केस दर्ज किया गया था। मामले में जगतार सिंह और दीपराज सिंह पुलिस के खबरी थे।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा नौरंग सिंह
दोषी करार सुनाए जाने के समय पुलिस के उक्त 11 कर्मी काफी खौफ में थे। सभी न्यायधीश के समक्ष हाथ जोड़ कर खड़े थे कि कुछ रहम मिल सके। नौरंग सिंह के माथे पर बार-बार पसीना देखा जा रहा था। जैसे ही न्यायधीश ने फैसला सुनाया तो इंस्पेक्टर नौरंग गुमसुम-सा हो गया। न्यायाधीश के जाने के बाद पूछने पर दोषी इंस्पेक्टर ने बताया कि वह अपील के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।