कश्मीर समस्या के लिए शाह ने नेहरू को बताया जिम्मेदार, भड़के कांग्रेसी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस की वजह से देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ. अगर कांग्रेस ऐसा न करती तो आज आतंकवाद का मुद्दा ही न होता और न ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हमसे अलग होता.

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नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव का कांग्रेस ने विरोध किया तो अमित शाह को जवाब देना पड़ा. शाह जब जवाब दे रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और भारत-पाकिस्तान बंटवारा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के चले जाने को लेकर खरी-खोटी सुनाई. संबोधन में जब अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लिया, तो कांग्रेस सांसदों ने खूब हंगामा किया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस की वजह से देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ. अगर कांग्रेस ऐसा न करती तो आज आतंकवाद का मुद्दा ही न होता और न ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हमसे अलग होता. शाह ने कहा कि कांग्रेस हमें इतिहास न सिखाए.

उन्होंने कहा कि तब 600 से अधिक रजवाड़े थे लेकिन तब गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हर रियासत को हिंदुस्तान में शामिल करवाया. उन्होंने कहा कि हैदराबाद और जूनागढ़ की रियासत, हिंदुस्तान में आने से इनकार कर रही थीं लेकिन ये मुद्दा सरदार पटेल के पास था इसलिए कोई दिक्कत नहीं हुई.

इसी दौरान उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा आखिर किसके पास था, आज वहां धारा 370 लगी है. बस अमित शाह के इतना कहते ही कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और अमित शाह का विरोध करने लगे.

दूसरी ओर अमित शाह ने भी पलटवार किया. उन्होंने कहा कि हम उनका नाम क्यों न लें, जब उनकी ही गलती को आज पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है. इस बीच कांग्रेस के लगातार हंगामे के बाद अमित शाह ने कहा कि चलिए, हम उनका नाम नहीं लेते हैं. लेकिन शाह ने उनके लिए पहले प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल किया और इस पर भी बवाल हो गया.

बता दें कि अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा. लेकिन कांग्रेस की तरफ से बोलते हुए मनीष तिवारी ने इसका विरोध किया.

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