चंबा: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन ने कई जिलों में भारी तबाही मचाई है. हाल ही में भारी बारिश से सबसे ज्यादा तबाही चंबा में मची है. यहां जगह-जगह भूस्खलन से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. चंबा के हडसर इलाके में कई जगह पुल और सड़क बहने से सबसे ज्यादा दिक्कत मणिमहेश यात्रा के लिए आए श्रद्धालुओं को हो रही है. हालांकि प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा पैदल यात्रियों के लिए बहाल कर दी है. जबकि वाहन से आने वाले लोगों की यात्रा पर अभी भी रोक लगी है.
सड़क के दोनों तरफ अभी भी फंसे हुए हैं करीब 1100 वाहन
पैदल यात्रियों के लिए मार्ग बहाल करने से हजारों श्रद्धालुओं ने राहत की सांस ली है. रविवार देर रात पुलिया बहने से प्रशासन को दूसरी बार मणिमहेश यात्रा पर रोक लगानी पड़ी. मार्ग के बंद होने से करीब 1100 वाहन सड़क के दोनों तरफ अभी भी फंसे हुए हैं.
मणिमहेश यात्रा की मान्यताएं
बता दें कि मणिमहेश में भगवान भोले मणि के रूप में दर्शन देते हैं. इसी कारण इसे मणिमहेश कहा जाता है. धौलाधार, पांगी और जांस्कर पर्वत शृंखलाओं से घिरा यह कैलाश पर्वत मणिमहेश कैलाश के नाम से भी जाना जाता है. कई साल से श्रद्धालु रोमांचक यात्रा पर आ रहे हैं. इस साल ये यात्रा 24 अगस्त से शुरू हुई है.
माना जाता है कि भगवान शिव इन्हीं पहाड़ों में निवास करते हैं. भगवान शिव ने सदियों तक यहां तपस्या की थी. इसके बाद से ये पहाड़ रहस्यमयी बन गया. मणिमहेश यात्रा कब शुरू हुई, इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं. लेकिन कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने कई बार अपने भक्तों को दर्शन दिए हैं. 13,500 फीट की ऊंचाई पर किसी प्राकृतिक झील का होना दैवीय शक्ति का प्रमाण है.
अमरनाथ यात्रा के बराबर मानी जाती है मणिमहेश यात्रा
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, हिमालय की धौलाधार, पांगी और जांस्कर शृंखलाओं से घिरा कैलाश पर्वत मणिमहेश-कैलाश के नाम से प्रसिद्ध है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) से श्रीराधाष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी) तक लाखों श्रद्धालु पवित्र मणिमहेश झील में स्नान के बाद कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. मणिमहेश यात्रा को अमरनाथ यात्रा के बराबर ही माना जाता है. जो भक्त अमरनाथ नहीं जा पाते हैं वे मणिमहेश झील में पवित्र स्नान के लिए जाते हैं.
कैसे करें मणिमहेश के दर्शन?
हिमाचल के चंबा शहर से हड़सर की दूरी 72 किलोमीटर है और हडसर से मणिमहेश कैलाश पीक की दूरी करीब 16 किलोमीटर है. अगर आप भी मणिमहेश की यात्रा पर जा रहे हैं तो ये जरूरी बातें जान लें-
पैदल के अलावा हडसर से मणिमहेश जाने के लिए घोड़े और खच्चर जैसी सुविधा भी है. ऐसे में आपको घबराने की बिलकुल जरूरत नहीं है. जो पैदल नहीं जा सकते, वह इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
यात्रा 16 किलोमीटर की है और मुश्किल है. ऐसे में आप अपने साथ कुछ खाने-पीने का सामान, जरूरी दवाईयां और गर्म कपड़े जरूर ले जाएं.
यात्रा के लिए आप अपने साथ एक स्टिक (छड़ी) जरूर रखें. चढ़ने और उतरने पर यह काफी काम आती है.
प्रशासन की तरफ से दी गई जानकारियां और चेतावनियों का जरूर पालन करें. घबराएं नहीं और हो सके तो बाकी लोगों के साथ यात्रा करें. अकेले न करें.
ईयर फोन लगाकर यात्रा बिल्कुल न करें. इससे आप किसी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं.
यात्रा के लिए जरूरी सामान-
पहाड़ों पर चढ़ने के लिए अच्छे ग्रिप वाले जूते, चश्मा, छड़ी, टिस्यू पेपर, पेपर सोप, फेस वॉश, प्लास्टिक बैग, कैप, जैकेट, रेनकोट और अपना पहचान पत्र जरूर साथ ले जाएं.